कोरोना संकट के बीच निराश्रितों का पेट भर रहे युवा
कोरोना संकट में अन्य लोगों के साथ ही रोज कमाने-खाने वालों, रिक्शा-ठेला खींचने वालों, भीख मांगकर गुजारा करने वालों के सामने पेट भरने का संकट खड़ा हो गया है। इसे देखते हुए शहर के कुछ युवाओं की टोली बिना...
कोरोना संकट में अन्य लोगों के साथ ही रोज कमाने-खाने वालों, रिक्शा-ठेला खींचने वालों, भीख मांगकर गुजारा करने वालों के सामने पेट भरने का संकट खड़ा हो गया है। इसे देखते हुए शहर के कुछ युवाओं की टोली बिना किसी शोर-शराबा के ऐसे लोगों की सेवा में लगी है। रेलवे स्टेशन व आसपास के क्षेत्र में खुले आसमान में रात बिताने वाले ऐसे लोगों के रोज रात के खाने का इंतजाम ये युवा कर रहे हैं।
बुधवार की रात को ‘हिन्दुस्तान स्टेशन परिसर की ओर पहुंची तो वहां का नजारा दिल को सुकून देने वाला था। फोटो खींचने लगे तो उन युवाओं ने यह कहते हुए मना करने का प्रयास किया कि हम पब्लिसिटी नहीं चाहते। हालांकि जैसे-तैसे वे फोटो खींचवाने को राजी हुए। बातचीत में पता चला कि रोज शाम को युवाओं यह टोली खाना लेकर स्टेशन पर आ जाती है और आसपास मौजूद निराश्रित व कमजोर लोगों को बैठाकर पूरे आदर से खाना खिलाती है।
युवाओं ने बताया कि कोरोना महामारी को लेकर हुए लॉकडाउन के बाद अधिकांश लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। रोज कमाने-खाने वालों को काम नहीं मिल रहा है। तमाम ऐसे रिक्शा-ठेला चालक हैं जो गांव-परिवार छोड़कर यहां रहते हैं। ऐसे लोगों की मुश्किलें कम करने की कोशिश हो रही है। ये युवा आपस में ही सहयोग राशि जुटाते हैं और खाना बनवाकर लाते हैं।
एक अगस्त से शुरू इस अभियान में एक के बाद युवा जुटने लगे और अब इस अभियान में सौ से अधिक युवा जुड़ गए हैं। बताया कि निराश्रितों को रोजाना भोजन कराने का सिलसिला बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर से शुरू होता है। इसके बाद चित्तू पांडे चौराहा, रोडवेज, टीडी कालेज, महुआ मोड़ और अंत में रेलवे स्टेशन पर लोगों को भोजन कराते हैं।
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