बोले बलिया : पोर्टल पर विजयीपुर ‘गायब, तीन किमी चलने पर मिलता है राशन
Balia News - विजयीपुर मोहल्ले के निवासी खेती-किसानी से जुड़े हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। जलनिकासी के लिए कटहल नाला ही सहारा है, जबकि पेयजल की पाइपलाइन चार दशक पहले खराब हो गई थी। राशन के लिए...
नगर के विजयीपुर मोहल्ले के बाशिंदों में ज्यादातर खेती-किसानी से जुड़े हैं लेकिन राजस्व विभाग के पोर्टल पर मोहल्ले का नाम नहीं होने के चलते इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। जलनिकासी के लिए पास से गुजरने वाला कटहल नाला ही सहारा है, जबकि नाले का पानी गंगा नदी में जाता है। चार दशक पहले की पेयजल पाइप लाइन खराब होने से पानी की आपूर्ति भी नहीं होती। करीब 700 कार्डधारक हैं लेकिन राशन के लिए तीन किमी दूर जाना पड़ता है। मोहल्ले में जुटे लोगों ने ‘हिन्दुस्तान से बातचीत शुरू की तो एक-एक कर समस्याओं की परत खुलती गयी। आनंद कुमार सिंह ने कहा कि नगर पालिका के अस्तित्व में आने के बाद से ही यह मोहल्ला शहर का हिस्सा है लेकिन बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित हैं। बताते हैं, करीब चार दशक पहले पेयजल आपूर्ति के लिए यहां पाइप बिछाई गई लेकिन अब इसकी ‘कब्र बन गयी है। इसका हालचाल जानने कभी कोई नहीं आया। पीने के पानी का इंतजाम भी खुद ही करना है। सार्वजनिक स्थल पर आरओ की बात को काफी आगे की है।
पिंटू सिंह व राजेश कुमार ने बताया कि मोहल्ले में वर्षों पहले की बनी नालियों के अधिकांश ढक्कन टूटकर नष्ट हो चुके हैं। इसके चलते कचरा आदि से वह जाम हो गयी हैं। कई जगह तो पानी ओवरफ्लो होकर रास्ते पर बहता है। गलियों में खेलते समय बच्चे अक्सर नालियों में गिर जाते हैं। उनकी सफाई भी कभी नहीं होती। नालियों का बहाव भी कटहल नाला में है, जबकि उसका पानी गंगा में जाकर मिलता है। ऐसे में जाने-अनजाने हम ‘पाप भी बटोर रहे हैं। कहा कि मोहल्ले में डस्टबिन तो आपको खोजे नहीं मिलेंगे। कूड़ा खाली स्थानों पर ही फेंकना पड़ता है। कमोवेश झाड़ू तो लगता है लेकिन कूड़ा निस्तारण का इंतजाम नहीं है, कटहल नाले के किनारे ही फेंक दिया जाता है। ज्यादा दिन तक पड़े रहने से वहां से बदबू उठने लगती है। बारिश के दिनों में तो सड़ांध से रहना मुश्किल हो जाता है।
राशन के लिए तीन किमी का सफर
आनंद कुमार सिंह व हृदय मोहन प्रसाद ने बताया कि मोहल्ला काफी बड़ा है। करीब 700 राशन कार्डधारक हैं लेकिन वर्ष 1980 के बाद से कोटे की कोई दुकान संचालित नहीं होती, जबकि विजयीपुर के नाम से ही यहां से करीब डेढ़ किमी दूर दुकानों का संचालन अफसरों की ‘कृपा से होता है। मोहल्ले के कार्डधारकों को नगर के अलग-अलग मोहल्ले में संचालित कोटे की चार दुकानों से संबद्ध किया गया है। हालात यह है कि राशन तो मुफ्त में मिलता है लेकिन दुकान तक आने-जाने का किराया ठीक-ठाक लग जाता है।
15 वर्षों से नहीं बनी कोई सड़क
राजकुमार वर्मा व शिवशंकर यादव ने बताया कि मोहल्ले की खराब सड़कों पर पैदल चलना भी आसान नहीं है। 15 वर्षों में किसी भी मार्ग पर कोई काम नहीं हुआ। बारिश होने पर कई रास्तों पर कीचड़ जमा हो जाता है। सभी ने कई बार आवाज उठायी लेकिन असर नहीं हुआ। बताया कि हमारा मोहल्ला जिला अस्पताल व जिला महिला अस्पताल से सटे है। आवासीय परिसरों में अवैध तरीके से निजी अस्पतालों का संचालन भी होता है। इसके चलते देर रात तक वाहनों की आवाजाही रहती है और परेशानी यहां रहने वालों को झेलनी पड़ती है। आनंद ने इसी बात को आगे बढ़ाया। कहा कि महिला अस्पताल के आसपास की सड़कों पर सुबह आठ से शाम तीन बजे तक एंबुलेंस चालक कब्जा कर लेते हैं। इसके चलते मोहल्ले में आना-जाना मुश्किल होता है। कई बार तो कहासुनी व मारपीट भी हो जाती है।
सिस्टम की खामी ने रोकी सरकारी मदद
अजीत कुमार सिंह ने बताया कि विजयीपुर के लोग आज भी ठीक-ठाक खेती करते हैं। अधिसंख्य खेत गंगा किनारे ही है। संकट यह है कि राजस्व विभाग के पोर्टल पर ‘विजयीपुर प्रदर्शित नहीं होता है, जबकि तहसीलों से जारी खसरा-खतौनी में मोहल्ले का नाम होता है। नतीजा, सरकारी योजनाओं के लिए न तो किसानों का पंजीकरण हो पाता है और न ही कोई लाभ मिल पाता है। हर वर्ष सरकारी खाद-बीज के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है। कहा कि खेतों की सीमा जिला महिला चिकित्सालय से लगती है, जहां हर रोज ‘ओडीएफ की हवा निकलती है। सुबह-शाम खेतों की रखवाली के लिए किसानों को पहरेदारी करनी पड़ती है। कई बार तो खुले में शौच से मना करने पर झड़प तक हो जाती है।
पार्क न सरकारी स्कूल, कहां जाएं हमारे बच्चे
रामप्रीत वर्मा व हृदय मोहन प्रसाद कहते हैं कि मोहल्ले में बच्चों के खेलने के लिए न तो कहीं पार्क है और न ही कहीं खेल का मैदान। यहां कोई सरकारी स्कूल भी नहीं है। इसके अभाव में बच्चे आउटडोर गेम तो छोड़िए, बाहर निकल नहीं पाते। सड़क पर जाएं तो हादसे का भय रहता है। पार्क के अभाव में महिलाएं भी घरों में ही कैद रहती हैं। उनका टहलना भी नहीं हो पाता।
नहीं रुका खनन तो मिट जाएगा विजयीपुर का अस्तित्व
राजकुमार वर्मा व अजीत कुमार सिंह ने बताया कि विजयीपुर के दियारा क्षेत्र में रात में व्यापक स्तर पर मिट्टी का खनन होता है। रोजाना रात में मवेशी अस्पताल रोड होते हुए 80 से 90 ट्रैक्टर जाते हैं। पहले मोहल्ले के रास्ते से ही ट्रैक्टर रात में जाया करते थे। सभी ने विरोध किया तो अब मवेशी अस्पताल होकर जाते हैं। कहा कि जिस प्रकार पुलिस व खनन विभाग की मिलीभगत से मिट्टी का खनन हो रहा है, उससे तो लगता है कि विजयीपुर का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। बताते हैं, मोहल्ले से पांच-छह किमी दूर पर बहने वाली गंगा अब खनन के चलते एक से डेढ़ किमी की दूरी पर बह रही हैं। जाहिर है, कभी नदी का उग्र रूप हुआ तो परिणाम बुरा होगा।
अस्पताल के पास बसने का झेल रहे दंश
आनंद ने सरकारी योजना से मोहल्ले में बरात घर बनवाने की वकालत की। कहा कि बाहर से आने वाले शौच-यूरिनल के लिए खेतों का रुख कर देते हैं, जिससे किसान परेशान होते हैं। तारकेश्वर सिंह व कार्तिकेय सिंह ने बताया कि मोहल्ले की आबादी 10 हजार से अधिक है, लेकिन एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है। महिला-पुरुष अस्पताल में आने वाले मरीजों के तीमारदार भी शौचादि के लिए खेतों में जाते हैं। इससे हम सभी को परेशानी होती है।
कैंप लगाकर बनाएं वंचित पात्रों का आयुष्मान कार्ड
रवि सिंह व आकाश वर्मा की बातों में नाराजगी दिखी। कहा कि हम तो शायद सिर्फ वोट देने के लिए ही हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ हम तक पहुंचे, इसके लिए नगर पालिका की ओर से कोई पहल नहीं होती। सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान योजना के लाभ से भी मुहल्ले के अधिसंख्य लोग वंचित हैं। शिविर लगाकर बनाने की बात होती तो है लेकिन कभी ऐसा अवसर आया नहीं।
सुझाव :
पेयजल आपूर्ति के लिए वर्षों पहले बिछी पाइपलाइनों की मरम्मत कराकर जलापूर्ति सुनिश्चित की जाय। आरओ भी लगना चाहिए।
नालियों की मरम्मत के साथ ही उन पर ढक्कन भी लगाया जाय। उनकी नियमित सफाई करायी जानी चाहिए।
मोहल्ला के पास कटहल नाला के किनारे कूड़ा रखने की व्यवस्था बंद होनी चाहिए। इससे कचरा गंगा नदी में नहीं जाएगा।
बदहाल सड़कों की मरम्मत होनी चाहिए। सड़कों पर एंबुलेंस खड़ा होने से रोकने की पहल नगरपालिका प्रशासन करे।
मोहल्ले में ही कोटे की दुकान का संचालन हो। कैंप लगाकर पात्रों को राशन कार्ड व आयुष्मान कार्ड बनवाया जाय।
शिकायतें :
पेयजल आपूर्ति कई वर्षों से ठप है। चार दशक पुरानी पाइप लाइन पूरी तरह कबाड़ होकर जमीन के नीचे पड़ी है।
नालियां बदहाल हैं। ढक्कन टूट कर नष्ट हो चुके हैं। इससे आए दिन जाम रहती हैं। नाली का पानी सड़क पर बहता है।
मोहल्ला के पास कटहल नाला किनारे ही कूड़ा रखे जाने से दुर्गंध के चलते परेशानी होती है। वही कूड़ा गंगा नदी तक पहुंच जाता है।
सड़कें वर्षों से बदहाल हैं। निजी एंबुलेंस खड़ी रहने से मार्ग भी अवरुद्ध रहता है। इससे आवागमन मुश्किल होता है।
मोहल्ले में कोटे की दुकान नहीं है। कार्डधारकों को तीन किमी दूर जाना पड़ता है। कई पात्रों को राशन कार्ड व आयुष्मान कार्ड नहीं है।
हमारी पीड़ा सुनिए :
कहने को नगर पालिका के वार्ड में रहते हैं लेकिन मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं। नालियों की सफाई गाहे-बगाहे ही होती है। उनके ढक्कन टूटे पड़े हैं।
पिंटू सिंह
मोहल्ले में पेयजल की आपूर्ति नहीं होती है। करीब चार दशक पहले बिछी पाइप लाइन जगह-जगह क्षतिग्रस्त हो गयी है। लोग आर्सेनिक युक्त पानी या खरीदकर पीने को मजबूर हैं।
राजेश कुमार
मोहल्ले की आबादी 10 हजार से अधिक है लेकिन कोटे की एक भी दुकान नहीं है। राशन के लिए तीन किमी दूर जाना पड़ता है। इससे नुकसान होता है।
आनंद कुमार सिंह
मोहल्ले में पार्क का अभाव है। महिलाएं व बच्चे घर से बाहर टहलने-खेलने नहीं निकल पाते। गरीब परिवार के बच्चों के लिए सरकारी स्कूल भी यहां नहीं है।
शिवशंकर यादव
नगर पालिका की ओर से कभी फागिंग नहीं करायी जाती। इससे मोहल्ले में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। गर्मी का सीजन आ रहा है। प्राथमिकता से दवा छिड़काव करना चाहिए।
अर्जुन वर्मा
नगर पालिका द्वारा मोहल्ले में कहीं भी सूखा-गीला का डस्टबिन नहीं लगाया गया है। कूड़ा निस्तारण की भी कोई व्यवस्था नहीं है। डोर-टू-डोर कूड़ा उठान की व्यवस्था होनी चाहिए।
अजीत कुमार सिंह
मोहल्ले में बच्चों के खेलने के लिए न तो कहीं पार्क है और न खेल का मैदान। इसके अभाव में बच्चे आउटडोर गेम नहीं खेल पाते। सड़क पर निकलने पर हादसे का भय रहता है।
कृष्णा सिंह
नगर पालिका द्वारा मोहल्ले के कुछ एरिया में स्ट्रीट लगाया गया है, जबकि अधिकांश हिस्सा इससे वंचित है। अंधेरा होने के कारण लोग गिरकर जख्मी हो जाते हैं।
राजकुमार वर्मा
मोहल्ले में कहीं भी सुलभ शौचालय की व्यवस्था नहीं की गई है। इसके अभाव में महिला अस्पताल में मरीज के साथ आए तीमारदार खेतों की ओर रुख करते हैं। इससे परेशानी होती है।
वीर बहादुर वर्मा
मोहल्ले में आने वाले मार्ग पर एंबुलेंस चालकों द्वारा कब्जा कर लिया जाता है। इससे यहां के वाशिंदों को घर तक आने में काफी मुश्किलें होती हैं। कई बार कहासुनी व मारपीट भी हो जाती है।
रामप्रीत वर्मा
मोहल्ले के लोगों को सुबह आठ से शाम तीन बजे तक जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। एंबुलेंस समेत अन्य वाहनों को खड़ा करने के लिए इंतजाम करना चाहिए।
संजय सिंह
कालोनी में पुलिस की रात्रि गश्त बढ़ाने की जरूरत है। इससे चोरी-उचक्कागिरी जैसी छोटी-छोटी घटनाओं पर रोक लगेगी।
विशाल कुमार
मोहल्ले के रास्ते रात में पशु तस्करी पहले खूब होती थी। हालांकि मुहल्ले के लोगों की सक्रियता से इसमें कमी आयी है। फिर भी तस्कर आदत से बाज नहीं आ रहे हैं।
रवि सिंह
मोहल्ले के दियारा क्षेत्र में मिट्टी खनन रात में व्यापक स्तर पर हो रही है। इसके चलते गंगा नदी काफी करीब आ गयी हैं। ऐसा ही रहा को मोहल्ले का अस्तित्व पर ही संकट आ जाएगा।
आकाश वर्मा
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