शवाब पर धनुषयज्ञ मेला, अप्रत्याशित भीड़ से दुकानदार गदगद
Balia News - 0 प्रकृति प्रेमियों को खूब लूभा रही हाजीपुर की नर्सरी हिन्दुस्तान संवाद। द्वाबा का ऐतिहासिक और सुप्रसिद्ध धनुषयज्ञ मेला अब अपने शवाब पर पहुंच गया है।
रानीगंज, हिन्दुस्तान संवाद। द्वाबा का ऐतिहासिक और सुप्रसिद्ध धनुषयज्ञ मेला अब अपने शवाब पर पहुंच गया है। इस समय मेला में उम्मीद से कई गुना ज्यादा भीड़ देखने को मिल रही है। इसे लेकर मेले में आए दुकानदार काफी उत्साहित हैं। मेले के समापन में अब सिर्फ चार दिन ही शेष बचे हैं। छह दिसम्बर से शुरू हुए मेला का विधिवत समापन 29 दिसंबर को हो जाएगा। लिहाजा अब महिलाओं की भागीदारी काफी बढ़ गई है। मंगलवार को मेले में महिलाओं की भारी भीड़ देखी गई। गांव-देहात से मेला घूमने पहली बार आई नई नवेली दुल्हनों को धनुषयज्ञ मेला खूब भा रहा है। एक हाथ से सिर का पल्लू तथा दूसरे हाथ से कंधे में लटके पर्स को संभालती महिलाओं के बढ़ते कदम मेले की ग्रामीण संस्कृति का गवाह बने हुए हैं। ग्रामीण इलाकों के महिलाओं व पुरुषों के साथ साथ शहरी बाबुओं का भी जमावड़ा लग रहा है।
मेला में बिहार के हाजीपुर से आई नर्सरियों में आम, अनार व आंवला की विभिन्न प्रजातियों के साथ ही बेला, चमेली, रजनीगंधा के अलावा फर्स्ट लव लोगों को खूब भा रहा है। यूं तो नर्सरी में कई तरह के पौधे आए हैं लेकिन इनमें सबसे खास फर्स्ट लव पहला प्यार का है। इस पौधे को खरीदने के लिए युवाओं में खासा क्रेज है। इसके अलावा मोगरे का फूल के पौधे की बिक्री इस बार काफी हो रही है। नर्सरी संचालक उमेश पासवान बताते हैं कि मोगरे के फूल की खुशबू जीवन में रोमांस पैदा करने का काम करती है। इसकी खुशबू मन मस्तिष्क में सकून भर देती है और प्रेम भावना का विकास करती है। साथ ही गेंदे का पीले फूल वैवाहिक जीवन में आए तनाव को दूर करने में सहायक होता है।
उधर, मेले के पूर्वी छोर पर साईं बाबा मंदिर के पास टैटू बनाने वाले एक दर्जन कलाकार भी युवक-युवतियों के लिए आकर्षण बने हैं। युवा मनपसंद टैटू बनवा रहे हैं, वहीं उम्रदराज महिलाएं भी गोदना का नाम लेकर टैटू बनवा रही हैं।
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