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Balia News - वर्दी हो गई सपना, हाथ-पैर धोने के लिए साबुन भी अपना नगर को चकाचक

Newswrap हिन्दुस्तान, बलियाTue, 6 May 2025 07:39 PM
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वर्दी हो गई सपना, हाथ-पैर धोने के लिए साबुन भी अपना नगर को चकाचक रखने की जिम्मेदारी संभालने वाले नगरपालिका के सफाई कर्मचारी सिस्टम की ‘गंदगी से परेशान हैं। यूनिफार्म नहीं दिया जाता। सफाई के बाद हाथ-पैर धोने के लिए साबुन भी नहीं मिलता। वेतन और मानदेय के लिए तो कमोबेश हर महीने जंग लड़नी पड़ती है। काम पूरे माह करते हैं, लेकिन वेतन में कटौती कर दी जाती है। आउटसोर्स कर्मचारियों को मनमाने तरीके से निकाल बाहर कर दिया जाता है और बकाया भुगतान भी नहीं किया जाता। मुंह खोलने पर बोनस के रूप में धमकी मिलती है। नगर के जगदीशपुर स्थित पानी टंकी परिसर में ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान नगर पालिका के स्थायी और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने अपनी पीड़ा जाहिर की।

सफाई कर्मचारी संघ (नगर पालिका) के जिलाध्यक्ष शंभूनाथ ने बताया कि भोर होते ही सफाई कर्मचारी सड़कों पर काम करने निकल जाते हैं। सड़कों, गलियों में झाड़ू लगाने के साथ कूड़ा उठाते हैं। सफाई के दौरान ही नगर के लोग कूड़ा निकालना शुरू कर देते हैं। कई लोग घरों के टूटे-फूटे बड़े सामान भी हटाने का दबाव बनाते हैं। मना करने पर दुर्व्यवहार करने लगते हैं। बोले, हमसे अपेक्षा रहती है कि हम नियमित पूरी ईमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी करें लेकिन हमारी चिंता किसी को नहीं है। शायद ही कोई महीना होगा, जब हमें वेतन या मानदेय के लिए लड़ाई न लड़नी पड़े। बिना हो-हल्ला या हड़ताल के भुगतान नहीं होता। नगर पालिका में स्थायी सफाई कर्मचारी नाममात्र के ही बचे हैं। बड़ी संख्या में आऊटसोर्सिंग कर्मचारी ही काम करते हैं। जब इन्हें सुविधा और जरूरी इंतजाम देने की बात आती है तो जिम्मेदार कन्नी काटने लगते हैं। मनोज कुमार रावत और नंदलाल ने कहा कि आउटसोर्सिंग सफाई कर्मचारियों से काम तो सख्ती से लिया जाता है लेकिन वेतन देने में हीलाहवाली की जाती है। अवकाश भी जल्दी नहीं मिलता। महीने के 30 दिन काम करते हैं लेकिन वेतन में हर महीने चार से पांच दिन की कटौती से सफाईकर्मियों को आर्थिक चोट पहुंचती है। इन कर्मचारियों का वर्ष 2024 का जुलाई-अगस्त माह का वेतन-मानदेय अबतक बकाया है। भुगतान के लिए कई बार गुहार लगाई गई लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। जरूरत पर नहीं होता पीएफ से भुगतान: टिंकू और भोला रावत ने कहा कि सफाई कर्मचारियों के लिए बचत खाता रखा गया है लेकिन इसे पीएफ खाता नहीं कराया जा रहा है। इस खाते से लेन-देन पर रोक लगाई गई है। कई बार रोक हटाने की मांग की गई लेकिन विभाग के जिम्मेदार इसे लेकर उदासीन बने हुए हैं। यही नहीं, बीते पांच वर्षों से पीएफ की कटौती की गई है लेकिन कभी भी जरूरत पड़ने पर हम इससे भुगतान नहीं ले पाते हैं। इसके चलते विशेष स्थितियों में कर्ज लेकर काम चलाना पड़ता है। विभाग की उपेक्षा का खामियाजा पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है। मौसम के अनुसार वर्दी नहीं: बबलू रावत और गुड्डू राम ने कहा कि सफाई कर्मचारियों को नियमानुसार जाड़ा, गर्मी के अनुसार वर्दी मिलनी चाहिए। यहां सामान्य पहनावा में ही काम करना पड़ता है। कपड़े खराब होने पर नुकसान भी हमें ही उठाना पड़ता है। सफाई के दौरान सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं रहता। अधिकारियों से लेकर नागरिक तक काम का दबाव बनाते हैं लेकिन हम अपनी परेशानी किसी से कह भी नहीं सकते। उन्होंने बताया कि नगर पालिका में अब गिनती के ही स्थायी सफाई कर्मचारी बचे हैं। वे भी समय-समय पर सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं। शासनादेश के बावजूद सेवानिवृत्ति के समय इन कर्मचारियों को न तो सम्मान के साथ विदाई दी जाती है और न ही उनके देयकों का भुगतान होता है। रिटायर होने के बाद उन्हें कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है। स्थायी कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं : शंभूनाथ ने बताया कि नगर पालिका में कई स्थायी सफाई कर्मचारी बीते 15 वर्षों से काम कर रहे हैं। इनमें कई की शैक्षणिक योग्यता भी है। फिर भी उनकी पदोन्नति की पहल नहीं होती। बीते डेढ़ दशक से नगर पालिका में स्थायी सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हुई। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है। तकलीफदेह है जिम्मेदारों का रवैया: भोला रावत और शिवजी ने कहा कि हम भी नगरपालिका के अंग हैं लेकिन अधिकारियों, कर्मचारियों का रवैया हमारे प्रति ठीक नहीं रहता। इससे तकलीफ होती है। हमेशा दबाव बनाकर काम करा लिया जाता है। उसके बाद कोई न कोई बहाना बनाकर वेतन काटने या काम से बाहर करने की धमकी दी जाने लगती है। हर वर्ष सैकड़ों परिवार झेलते हैं जलजमाव : हर वर्ष नगर पालिका बारिश से पहले शहर के छोटे-बड़े करीब 26 नालों की सफाई का दावा करता है। इसके लिए बड़ा बजट भी खर्च किया जाता है। इसके बावजूद नगर वासियों को बरसात के दिनों में जलभराव झेलना पड़ता है। बरसात के दिनों में नगर के पॉश इलाके कलक्ट्रेट परिसर सहित कई मोहल्लों में जलभराव होता है। जलभराव से नगर के करीब दो हजार परिवार हर वर्ष जूझते हैं। श्रीराम बिहार कालोनी के 100, कल्पना कॉलोनी के 200, आवास विकास कॉलोनी के एक हजार, विवेकानंद कॉलोनी के 100, रामदहिनपुरम कॉलोनी के 500, जेल कॉलोनी के 50, पुलिस लाइन में करीब 300 आवास और टैगोर नगर के 20 से 25 घरों के अलावा काजीपुरा मोहल्ला की बड़ी आबादी प्रतिवर्ष जलभराव से जूझती है। जब चाहे कर देते हैं बाहर: रामजी और सुरेश ने बताया कि नगर में सफाई कार्य के लिए करीब 300 आउटसोर्सिंग कर्मचारी हैं। इनकी नियुक्ति में मनमानी की जाती है। कोई न कोई बहाना बनाकर पुराने कर्मचारियों को हटाकर नए कर्मचारी को रख लिया जाता है। प्रस्तुति : एनडी राय कोट नगर में सफाई के लिए संसाधनों के नाम पर भुगतान तो मिलता है लेकिन साबुन आदि की सुविधाएं नहीं मिलतीं। मनोज कुमार सफाईकर्मियों के लिए वर्दी होना जरूरी है। बार-बार मांग के बावजूद वर्दी उपलब्ध नहीं कराई रही है। नंदलाल नगर में सफाई आउटसोर्स कर्मचारी ही करते हैं। लेकिन उनके मानदेय का भुगतान कभी भी समय से नहीं होता। शिवजी सफाई कर्मचारियों पर दबाव बनाकर काम कराया जाता है। विरोध करने पर हटा देने की धमकी दी जाती है। टिंकू रावत आउटसोर्स कर्मचारियों को मनमाने तरीके से हटा कर नए को रख लिया जाता है। इस पर रोक लगनी चाहिए। भोला रावत आउटसोर्स सफाई कर्मचारियों के पीएफ की कटौती की जाती है लेकिन जरूरत पर उसका भुगतान नहीं किया जाता है। राजेश अधिकतर सफाई कर्मचारियों का बीते वर्ष के दो माह का भुगतान लटका हुआ है। इसकी कई बार शिकायत हुई है। सुरेश रावत विभागीय लोग आउटसोर्स सफाई कर्मचारियों को ओछी निगाहों से देखते हैं। शिकायत को लेकर गंभीर नहीं रहते। बबलू रावत आउटसोर्स सफाई कर्मचारियों के वेतन में हर महीने कटौती की जाती है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है। बिरजू रावत सफाई कर्मचारियों के साथ हमेशा मनमाना व्यवहार होता है। मनमाने तरीके से हटाते हैं लेकिन बकाया भुगतान नहीं करते। राजेश लंबे समय से कार्यरत स्थायी सफाई कर्मचारियों की पदोन्नति की पहल नहीं होती। शैक्षिक योग्यता के आधार पर पदोन्नति हो। रामजी वेतन भुगतान के लिए हर महीने जूझना पड़ता है। जब हम लोग हड़ताल करते हैं तब हमारे वेतन का भुगतान किया जाता है। राजेश कुमार सुझाव 1. सफाई कर्मचारियों को मौसम के अनुसार वर्दी मुहैया कराई जाए। इससे उनकी पहचान होगी और कपड़े भी सेफ रहेंगे। 2. सफाई कार्य के बाद साबुन आदि उपलब्ध कराया जाए। सुरक्षा किट भी मिलना चाहिए। 3. वेतन और मानदेय का भुगतान समय से होना चाहिए। भुगतान में दिनों की कटौती पर रोक लगे। 4. सफाई कर्मचारियों को जरूरत पड़ने पर पीएफ से भुगतान किया जाए। इससे उन्हें कर्ज नहीं लेना पड़ेगा। 5. शैक्षिक योग्यता रखने वाले सफाईकर्मियों को पदोन्नति दी जाय। बिना वजह कर्मचारियों को बाहर न किया जाय। शिकायत 1. सफाई कर्मचारियों को मौसम के अनुसार वर्दी मुहैया नहीं कराई जाती। इससे उन्हें परेशानी होती है। 2. सफाई कार्य के बाद साबुन आदि उपलब्ध नहीं कराया जाता। खुद से खर्च करना पड़ता है। सुरक्षा किट भी नहीं मिलती। 3. वेतन और मानदेय का भुगतान समय से नहीं किया जाता। बिना किसी कारण कटौती भी कर दी जाती है। 4. पांच वर्षों में कभी भी जरूरत पड़ने पर पीएफ से भुगतान नहीं मिला। इसके चलते उन्हें जरूरत के समय कर्ज लेना पड़ता है। 5. शैक्षिक योग्यता के बाद भी सफाईकर्मियों को प्रमोशन नहीं दिया जा रहा। बिना कारण आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया जाता है। बोले जिम्मेदार नए टेंडर में यूनिफॉर्म का करेंगे प्रावधान सफाई कर्मचारियों को यूनिफॉर्म देने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। नया टेंडर होने वाला है, जो एजेंसी तय होगी, उनके जरिए यूनिफॉर्म दिलाने का प्रावधान किया जाएगा। साबुन आदि की व्यवस्था पहले होती थी लेकिन अब शासन स्तर से ही बंद हो चुका है। काम नहीं करने पर उनके वेतन से कटौती की जाती है। बिना किसी कारण के कार्रवाई होती है तो बताएं, निस्तारण किया जायेगा। सुभाष कुमार, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद, बलिया

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