पछुआ से गलन, नहीं हुए सूर्यदेव के दर्शन
बलिया। निज संवाददाता हर रोज बढ़ते कोहरा, ठंड व गलन से आवागमन व दिनचर्या
बलिया। निज संवाददाता
हर रोज बढ़ते कोहरा, ठंड व गलन से आवागमन व दिनचर्या प्रभावित हो रही है। बढ़ती गलन ने गंवई जनजीवन को भी काफी हद तक प्रभावित कर दिया है। सर्द पछुआ हवा ने ऐसी परेशानी बढ़ायी है कि बचने के लिए लोग घरों में दुबकने को विवश है। गुरुवार को जिले का अधिकतम तापमान 17 डिग्री तथा न्यूनतम सात डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। पूरे दिन कोहरा व बादल छाये रहे। गलन के चलते लोग जहां थे, वहीं जमे रहे। पान के दुकानदार तो बकायदा कम्बल ओढ़कर दुकान चलाते नजर आए।
पिछले कुछ दिनों से पूरा जनपद हाड़ कंपा देने वाली ठंड की चपेट में है। शीतलहर के चलते सामान्य जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। सर्द पछुआ हवा से बचने के लिए लोग घरों में दुबके नजर आ रहे हैं। ठंड छोटे-छोटे बच्चों, बुजुर्गंे व बीमार लोगों को ज्यादा तकलीफ दे रही है।
पिछले कुछ दिनों से मौसम ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया था। लगातार ठंड में इजाफा के चलते सार्वजनिक स्थलों पर लोगों का आना-जाना काफी कम हो गया है। सबसे अधिक परेशानी रिक्शा-ठेला चालक, गारा-माटी करने वाले व फूटपाथ पर बैठकर काम करने वालों को हो रही है। पश्चिम की ओर जिन दुकानों का रूख है, वे दुकानदार खासा प्रभावित दिख रहे हैं। कारण कि सर्द भरी पछुआ हवा सीधे उनकी दुकानों को निशाने पर ले रही है। मवेशीपालकों को अपने पशुओं के लिए सानी-पानी करने व रख-रखाव के लिए काफी परेशानी हो रही है। हालांकि प्रशासन की ओर से अलाव की व्यवस्था की गयी है लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हो रही है।
चितबड़ागांव हिसं के अनुसार गुरुवार को भीषण ठंड व शीतलहर ने आम जनजीवन को प्रभावित कर रखा है। कड़ाके की ठंड ने इंसान ही नहीं जानवरों को भी अपना शिकार बनाया है। ठंड ने जानवरों को भी नहीं बख्शा है। पशुओं के सामने चारा का संकट तो है ही, ठंड ने उनके ठिकानों पर भी कहर बरपा रहा है। पशुपालक किसी प्रकार बोरा-चट्टी ओढ़ाकर व आग सुलगाकर गर्मी का इंतजाम तो कर रहे हैं लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहा है।
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