संस्कार विहीन शिक्षा व्यर्थ होने के साथ समाज के लिए अभिशाप
Balia News - सिकंदरपुर के वनखंडी नाथ धाम पर चल रहे राजसूय महायज्ञ में भारी भीड़ जुटी है। श्रद्धालु मंडप परिक्रमा कर रहे हैं और बच्चे मेले में मस्ती कर रहे हैं। प्रवचन में शांतनु महाराज ने बताया कि शिक्षा में...
सिकंदरपुर, हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के वनखंडी नाथ धाम पर चल रहे राजसूय महायज्ञ में यज्ञ मंडप परिक्रमा और मंदिर परिसर में लगे मेला में सुबह से भारी भीड़ जुट रही है। श्रद्धालु जहां मंडप परिक्रमा कर रहे हैं, वहीं बच्चे मेला में विभिन्न व्यंजनों और मनोरंजन के साधनों पर मस्ती करते नजर आ रहे हैं। यज्ञशाला में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मानवता के कल्याण के लिए पावन आहुतियां डाली जा रही है। बुधवार की शाम मानस मर्मज्ञ शांतनु महाराज ने प्रवचन में बताया कि शिक्षा में संस्कार का होना बेहद जरूरी है। संस्कार विहीन शिक्षा व्यर्थ होने के साथ समाज के लिए अभिशाप है। बताया कि प्रभु श्रीराम गुरु वशिष्ठ के यहां शिक्षा ग्रहण कर समाज को संदेश दिया है कि गुरु ही सद्मार्ग का रास्ता दिखा सकते हैं। प्रवचन में उन्होंने रामजन्मोत्सव का प्रसंग सुनाकर श्रोताओं का विभोर कर दिया। महाराज ने बताया कि भारतीय संस्कृति में सोलह संस्कारों की व्यवस्था है। लेकिन आज परिपाटी बदल रही है, इस पर हम सबको ध्यान देना होगा। बताया कि भारतीय संस्कृति का दुर्भाग्य है कि मां-बाप कई सन्तानों को पालते हैं किन्तु कई सन्तानें मां-बाप की सेवा नहीं कर पातीं। शास्त्रों में माता-पिता जीवित और प्रत्यक्ष देवता बताए गये हैं। इनकी सेवा करना पुत्र और बहू का परम कर्त्तव्य है।
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