संतान की मंगलकामना को रखा निर्जला व्रत
बलिया में जीवित्पुत्रिका व्रत श्रद्धा के साथ मनाया गया। माताओं ने संतान की मंगलकामना के लिए निर्जला व्रत रखा। स्नान के बाद पूजा-पाठ किया गया। महिलाओं ने मंदिरों में पूजन के बाद व्रत के महात्म्य की कथा...
बलिया, संवाददाता। जीवित्पुत्रिका व्रत (जिउतिया) का पर्व बुधवार को आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया गया। माताओं ने संतान की मंगलकामना के लिए निर्जला व्रत रखा। पूरे दिन बगैर अन्न-जल के व्रत रखने के बाद दोपहर बाद स्नान कर पूजा-पाठ किया। व्रती महिलाएं गुरुवार की सुबह पारण कर व्रत का समापन करेंगी। आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानि बुधवार को पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद दोपहर बाद माताओं ने मंदिर, पार्क, बाग-बगीचा, नदी व सरोवर तट पर स्नान कर नया परिधान धारण किया। उसके बाद पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना किया।
शहर में व्रती महिलाओं ने भृगु मंदिर, बाबा बालेश्वर मंदिर आदि जगहों पर पूजन-अर्चन के बाद समूह में बैठकर व्रत के महात्म्य की कथा का श्रवण किया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में देवी कुंती ने कर्ण का नदी में प्रवाह करने के बाद उनकी रक्षा के लिये बरियार का पूजन-अर्चन किया था। माना जाता है कि बरियार का कुंती द्वारा पूजन-अर्चन किए जाने से ही कर्ण का शरीर वज्र के समान हुआ था। मान्यता है कि जीवित्पुत्रिका व्रत संतान के लिए रक्षा कवच होता है। इस व्रत के प्रभाव से संतान को कभी कोई कष्ट नहीं होता है। संतान को दीर्घायु और उत्तम सेहत का वरदान प्राप्त होता है।
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