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संगीतमयी श्रीराम-सीता विवाह प्रसंग सुन श्रोता हुए मुग्ध

Balia News - बिल्थरारोड के चंदाडीह गांव में मातेश्वरी सोनकली मंदिर में हवनात्मक शतचंडी महायज्ञ के पांचवे दिन, कथावाचक वीरेंद्र तिवारी ने श्रीराम-सीता विवाह की संगीतमयी कथा सुनाई। कथा में सीता स्वयंवर और श्रीराम...

Newswrap हिन्दुस्तान, बलियाSun, 27 April 2025 10:58 PM
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संगीतमयी श्रीराम-सीता विवाह प्रसंग सुन श्रोता हुए मुग्ध

बिल्थरारोड, हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के चंदाडीह गांव स्थित मातेश्वरी सोनकली मंदिर में चल रहे हवनात्मक शतचंडी महायज्ञ के पांचवें दिन शनिवार की शाम कुशीनगर से आए कथावाचक वीरेंद्र तिवारी ने श्रीराम-सीता विवाह की संगीतमयी कथा सुनाकर श्रद्धालुओं को विभोर कर दिया। महाराज ने प्रवचन में बताया कि सीता स्वयंवर के लिए देश- विदेश के राजाओं का जनकपुर में जमावड़ा हुआ। भरे दरबार में राजा जनक ने घोषणा किया कि जो भी शिव धनुष को भंग करेगा, उसी के साथ सीता का विवाह होगा। यह सुन सभी राजाओं ने धनुष तोड़ने की कोशिश की, किंतु धनुष टस से मस नहीं हुआ। इसी बीच गुरु वशिष्ठ की आज्ञा प्राप्त कर श्रीराम ने पलक झपकते ही धनुष को उठाकर तोड़ डाला। देवताओं ने पुष्प वर्षा कर मंगल कामना की। उधर महायज्ञ में मानवता की कल्याण के लिए पावन आहुतियां दी जा रही है। वृंदावन से आई रासलीला मंडली ने श्रीकृष्ण जन्म की भावपूर्ण प्रस्तुति कर श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। इस मौके पर पूर्व विधायक केदारनाथ वर्मा, अमित वर्मा ,सदानंद मिश्र, सुशील मिश्र, विनय कुमार, रामजन्म, कृष्णानंद, दयाशंकर मिश्र आदि थे।

शिव प्राण प्रतिष्ठात्मक महायज्ञ के समापन पर भंडारा

रानीगंज। कोटवां गांव स्थित ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर पर सात दिनों से चल रहे शिव प्राण प्रतिष्ठात्मक महायज्ञ की पूर्णाहुति रविवार को भंडारे के साथ हुई। यज्ञ के अंतिम दिन आचार्यों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मूर्तियों का दुग्धाधिवास, दधिवास, मधुधिवास, घृताधिवास आदि अनुष्ठान कराया। यज्ञ स्थल पर जुटी श्रद्धालुओं की भीड़ और भगवान शंकर के जयघोष से पूरा इलाका शिवमय हो गया। आचार्यों ने बताया कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यज्ञ दर्शन का विशेष महत्व है। इस धार्मिक कृत्य में शामिल होने से न सिर्फ अभिष्ट फल की प्राप्ति होती बल्कि मनुष्य सद्गति को भी प्राप्त करता है। भंडारे में सैकड़ों ब्राह्मणों के अलावा महिला और बच्चों ने प्रसाद ग्रहण किया। कोटवां के प्रधान प्रतिनिधि रोशन गुप्त ने संत महात्माओं को अंगवस्त्र और दक्षिणा देकर विदा किया।

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