बोले बलिया : गंदगी और अतिक्रमण से कारोबार हुआ बदरंग
Balia News - ऑनलाइन शॉपिंग ने कपड़ा व्यापारियों के लिए कई समस्याएँ खड़ी कर दी हैं। जीएसटी के जटिल नियमों ने व्यापारियों को परेशान किया है। बाजार में सुविधाओं की कमी, गंदगी, सुरक्षा की कमी और शौचालयों की अनुपस्थिति...
ऑनलाइन शॉपिंग के चलन ने कारोबार का रंग वैसे ही उतार रखा है, विभागीय जटिलताओं ने मुश्किलों को और बढ़ाया है। जीएसटी विभाग की कार्यशैली ने व्यापारियों को अर्थशास्त्र का ‘विद्यार्थी बना दिया है। व्यापार के बजाय टैक्स के पेंच समझने पर उनका पूरा फोकस हो जाता है। बाजार में जरूरी सुविधाओं की कमी अखरती है। आसपास की गलियां गंदी हैं। शौचालय-यूरीनल नहीं हैं। वाहन स्टैंड न होने से दुकानों के पास जाम लग जाता है। ग्राहक दुकान तक नहीं पहुंच पाते। आग से बचाव का भी इंतजाम नहीं है। बाजार के एक प्रतिष्ठान पर ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में कपड़ा कारोबारियों का दर्द सामने आया। प्रीतम गुप्त ने कहा कि ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते दायरे ने व्यवसाय को बर्बाद तो किया ही है, विवाद की वजह भी बन गया है। आम तौर पर कोई ग्राहक कपड़ा देखने के बाद ही खरीदता है। ऑनलाइन खरीद के बाद जब संतुष्टि नहीं मिलती तब वह बाजार में आता तो है लेकिन ऑनलाइन प्राइज से तुलना करने लगता है। तब विवाद की स्थिति बन जाती है। उसको समझाना काफी कठिन हो जाता है। कई बार ग्राहक अपनी डिमांड के मुताबिक कपड़ा कटवा कर ले जाते हैं और दूसरे दिन यह कहकर लौटाने आते हैं कि ऑनलाइन सस्ता मिल रहा है। हमारे प्रति उनका नजरिया बदल जाता है। उन्हें भी ऑफलाइन बाजार का मर्म समझना चाहिए।
प्रीतम कुमार और रामजी प्रसाद ने इसी बात को आगे बढ़ाया। बताया कि किसी तरह मकान का किराया, कर्मचारी का मानदेय और बिजली बिल निकाल पा रहे हैं। कभी-कभार दुकानदारों की बोहनी तक नहीं होती। कई बार ठगी का शिकार होने के बावजूद ग्राहक ऑनलाइन शॉपिंग से परहेज नहीं कर रहे। छोटे व्यापारियों को ध्यान में रखकर ऑनलाइन खरीदारी को नियंत्रित करना चाहिए।
प्रमोद कुमार सिंह ने उन तकलीफों को साझा किया, जिनसे रोज सामना होता है। बताया कि बाजार के आसपास कई ऐसी गलियां हैं, जिससे लोग कम समय में खरीदारी को पहुंच सकते हैं। लेकिन उनमें गंदगी के चलते आना-जाना दुरुह है। खासकर महिलाएं इन गलियों में जाने से परहेज करती हैं। ये गलियां शाम ढलते ही शराबियों का अड्डा बन जाती हैं। इनमें न तो प्रकाश की कोई व्यवस्था है और न ही सफाई। जाहिर है, सबका असर हमारे कारोबार पर पड़ता है।
दुकानों के कैमरे पर्याप्त नहीं
मंजय सिंह ने सुरक्षा का मुद्दा उठाया। बोले, बाजारों में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। पुलिस या नगर पालिका प्रशासन की ओर से कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। व्यवसायियों ने अपनी-अपनी दुकानों के सामने कैमरे लगवा रखे हैं लेकिन उनका अपना दायरा है। चोरी की घटनाओं में बदमाश डीबीआर तक खोल ले जाते हैं। प्रशासनिक कैमरों का कंट्रोल पुलिस के पास होने से आपराधिक घटनाओं का सुराग आसान से मिल सकता है। व्यवसायियों ने कहा कि बाजार में प्रकाश व्यवस्था भी लुंज-पुंज है। मुख्य मार्ग के साथ गलियों में स्ट्रीट लाइट के पूरे इंतजाम होने चाहिए। अतिक्रमण के खिलाफ कभी ठोस कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने माना कि अतिक्रमण के लिए व्यापारी भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। मार्ग की बाधाओं के चलते ग्राहक दुकानों पर आने में कतराते हैं। ऑनलाइन शॉपिंग बढ़ने की एक वजह यह भी हो सकती है। बाजार के आसपास की सभी गलियां मुख्य सड़कों को जोड़ती हैं। यदि गलियों से अतिक्रमण हटा दिया जाय तो शहर को जाम से भी राहत मिलेगी।
प्लास्टिक के नाम पर उत्पीड़न
दिलीप कुमार गुप्त ने बताया कि कपड़ों को सुरक्षित रखने के लिए मोटे प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। इसका उपयोग एक से दूसरे कपड़े के लिए होता है। इसके बावजूद समय-समय पर कारोबारियों को प्लास्टिक रखने के नाम पर परेशान किया जाता है। रोक सिंगल यूज प्लास्टिक पर है लेकिन कई बार मनमाना अर्थदंड लगा दिया जाता है।
परेशान करती है जीएसटी की नोटिस
योगेंद्र सिंह ने बताया कि सभी व्यवसायी नियमानुसार जीएसटी जमा करते हैं। इसके बावजूद विभाग की ओर से बेसमय नोटिस भेज दिया जाता है। इसके बाद कार्यालय में बुलाकर सेटलमेंट की बात की जाती है। इससे कपड़े के छोटे कारोबारी परेशान होते हैं। इसका असर व्यापार पर पड़ रहा है। जीएसटी की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है, फिर भी ऑफलाइन दिक्कतें जस की तस हैं।
आग रोकने को पर्याप्त इंतजाम नहीं :
प्रीतम गुप्त और प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि बाजार में मुख्य सड़क से लेकर गलियों तक में हर कदम पर कपड़ों की छोटी-बड़ी दुकानें हैं। हर वर्ष किसी न किसी दुकान में आग लगती है, जिसमें लाखों का नुकसान होता है। इसके बावजूद आग से बचाव के उचित प्रबंध नहीं किए गए हैं। चौक क्षेत्र में एक स्थान पर हाईड्रेंट है लेकिन वह कई बार धोखा दे चुका है। बाजार में जगह-जगह हाईड्रेंट बनने चाहिए ताकि आग लगने की स्थिति में कम समय में काबू पाया जा सके। खासकर गलियों को सुरक्षित करने की जरूरत है, जहां दमकल की बड़ी गाड़ियां नहीं पहुंच सकतीं।
स्ट्रीट लाइटों की दरकार है सरकार
दिलीप कुमार गुप्त और डॉ. अभिनेष कुमार गुप्त ने बताया कि नगर का गुरुद्वारा क्षेत्र कपड़ा कारोबार का हब बन चुका है। इस क्षेत्र में 100 से अधिक दुकानें हैं। इसके अलावा किराना आदि की दुकानें भी हैं। किसी गली में नगर पालिका ने स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं की है। यहां शाम होते ही अंधेरा पसर जाता है, जिससे दुकानों को जल्दी ‘बढ़ाना पड़ता है। प्रकाश न होने का फायदा नशेड़ी और अराजकतत्व उठाते हैं। नतीजा? ग्राहक दुकान तक आने में कतराते हैं। शाम में बाजारों और गलियों में पुलिस गश्त बढ़ाने की जरूरत है।
व्यापारिक क्षेत्र में शौचालय-यूरिनल बने
योगेंद्र सिंह और सुनील कुमार सिंह ने ध्यान दिलाया कि शहर के गुरुद्वारा क्षेत्र, गुदरी बाजार, लोहापट्टी, सिनेमा रोड, स्टेशन रोड, सुतली पट्टी रोड, कासिम बाजार रोड में यूरिनल नहीं है। जबकि इन इलाकों में रोजाना हजारों लोगों का आनाजाना है। चौक में एकमात्र एक पेड शौचालय है। यूरिनल के अभाव में दुकानदार, कर्मचारी और ग्राहक खुले में लघुशंका को विवश होते हैं। सबसे बड़ी दिक्कत महिलाओं को होती है। उन्होंने कहा कि नगर पालिका हर व्यापारिक क्षेत्र में कम से एक या दो यूरिनल का निर्माण कराए। उसके लिए अधिक जगह की जरूरत नहीं होगी।
टेंडर के बाद भी नहीं लगे कैमरे
मंजय सिंह और उपेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि नगर के अंदर सार्वजिक स्थानों पर सीटीटीवी कैमरे लगाने के लिए करीब 25 लाख रुपए का टेंडर पहले ही हो चुका है। लेकिन अब तक इसे संबंधित विभाग ने लगवाया नहीं है। कैमरों के लग जाने से छोटीघटनाओं पर तो रोक लगती ही, पुलिस को निगरानी में भी मदद मिलती।
सुझाव :
बाजार में वाहन पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे जाम नहीं लगेगा और ग्राहक आसानी से दुकानों तक पहुंच सकेंगे।
आग की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए मुख्य बाजारों में वाटर हाईड्रेंट लगाए जाएं। जो पहले से लगे हैं, उन्हें दुरूस्त कराया जाय।
बाजार के आसपास की गलियों की नियमित सफाई होनी चाहिए। प्रकाश की भी उचित व्यवस्था हो। इससे ग्राहकों का बाजारों में आना-जाना आसान होगा।
शौचालय के लिए जगह की कमी की स्थिति में जगह-जगह यूरिनल स्थापित किए जाएं। इससे गंदगी दूर होगी। लोगों को राहत भी मिलेगी।
प्रशासन और नगरपालिका की ओर से सार्वजनिक स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगने चाहिए। उनसे चोरी की घटनाओं पर रोक लगेगी।
शिकायतें :
वाहन पार्किंग का इंतजाम नहीं है। इसके चलते वाहन दुकानों के सामने खड़े होते हैं। तब ग्राहक आने से परहेज करते हैं।
आग पर काबू पाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। वर्षों पुराने हाईड्रेंट निष्क्रिय हो गए हैं। आबादी और दुकानों की संख्या बढ़ी लेकिन नए हाईड्रेंट नहीं लगे।
बाजार के आसपास की गलियों में गंदगी है। इससे निकलने वाली दुर्गंध परेशान करती है। गलियों में प्रकाश की भी उचित व्यवस्था नहीं है।
बाजार में शौचालय-यूरिनल के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। कारोबारियों के साथ ग्राहकों, खासकर महिलाओं को परेशानी होती है।
प्रशासनिक स्तर पर कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। इससे असुरक्षा बनी रहती है। चोरी-उचक्कागीरी भी होती है।
हमारी भी सुनिए....
गलियों में शाम होते ही अंधेरे में नशेड़ियों का जमावड़ा हो जाता है। इसके चलते व्यापार पर असर पड़ रहा है।
-रामजी प्रसाद
शहीद चौक के मुख्य मार्ग से आसपास के गलियोंतक एक शौचालय शहीद पार्क के पास है। जगह-जगह यूरिनल होने चाहिए।
-डॉ. अभिनेश गुप्त
अधिकांश गलियों में ठेला-खुमचा के साथ वाहन खड़े होने से अतिक्रमण रहता है। ग्राहक आने से परहेज करते हैं।
-योगेंद्र सिंह
व्यापारी क्षेत्र की गलियों में शौचालय न होने से लोग खुले में पेशाब करते हैं। दुर्गंध से दुकानों में बैठना मुश्किल हो जाता है।
-दिलीप कुमार गुप्त
गुरुद्वारा रोड हो या दूसरा मार्ग, दुकानदार अतिक्रमण कर लेते हैं। बाकी जगह पर वाहन खड़े होने से परेशानी होती है।
-छवि कुमार
ऑनलाइन खरीदारी से कपड़ा कारोबार पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। इस पर रोक लगनी चाहिए।
-प्रीतम गुप्ता
जीएसटी विभाग के मनमाने नोटिस से हमें परेशान होना पड़ता है। यह उत्पीड़न बंद होना चाहिए।
-मंजय सिंह
किराया, कर्मचारी का वेतन और बिजली बिल किसी प्रकार निकल पा रहा है। सहूलियत बढ़ने पर शायद कुछ फायदा हो।
-सुनील कुमार सिंह
शहीद चौक और गुदरी बाजार में लगे आरओ खराब हैं। व्यापारियों और ग्राहकों को प्यास बुझाने के लिए जेब ढीली करनी पड़ती है।
-उपेंद्र नाथ सिंह
जीएसटी विभाग मनमानी नोटिस भेजकर परेशान करता है। समय से जीएसटी जमा करने वालों को रियायत नहीं देता।
-प्रमोद कुमार सिंह
गलियों में स्ट्रीट लाइटें नहीं लगी हैं। इसका फायदा उठाकर नशेड़ी और अराजकतत्व पहुंच जाते हैं। उनसे परेशानी होती है।
-शशिदेव सिंह
आग से निबटने का नगर क्षेत्र में पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। नए हाईड्रेंट लगाने के साथ पुरानों को ठीक करने की जरूरत है।
-हरिशंकर सिंह
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