मृदुल के गीतों ने महोत्सव को दिया मुकाम
बलिया महोत्सव का समापन शुक्रवार को हुआ, जिसमें मनोज तिवारी ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके गीतों जैसे 'इंटरनेशनल बाटी-चोखा' और 'रिंकिया के पापा' ने भीड़ को झूमने पर मजबूर कर...
बलिया, वरिष्ठ संवाददाता। बलिया स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित बलिया महोत्सव की आखिरी शाम शुक्रवार को यादगार बन गयी। दिल्ली के सांसद और भोजपुरी अभिनेता व गायक मनोज तिवारी ‘मृदुल के गीतों ने दर्शकों को अपना दीवाना बना दिया। ‘इंटरनेशनल बाटी-चोखा..., ‘बगलवाली जान मारेली... और ‘हिन्द के सितारा एक दिन सीएम होईहें जैसे गीतों ने युवाओं को खूब झुमाया, वहीं ‘बढ़ई-बढ़ई खूंटा चीर, खूंटा में मोर दाल बा... जैसे पारम्परिक गीत ने कार्यक्रम को नयी बुलंदी पर पहुंचाया। ‘रिंकिया के पापा... ने आम दर्शकों संग मंत्री-सांसद और अधिकारियों को गुदगुदाया। जबकि ‘मेरी एक बूढ़ी मां है, उसका उससे नाता है, मेरी मां बताती है, गंगा मेरी माता है... गीत के जरिए मृदुल ने पतितपावनी मां गंगा को स्वच्छ बनाने का आह्वान भी किया।
28 अक्तूबर से पुलिस लाइन परेड ग्राउंड में आयोजित बलिया महोत्सव का भव्य समापन शुक्रवार की देर रात को हुआ। पांच दिनों तक चले महोत्सव में देश भर से आए कलाकारों ने दर्जनों कार्यक्रम प्रस्तुत किए। अंतिम दिन मनोज तिवारी ने अपनी प्रस्तुति से समां बांध दिया। ‘बलिया में लागे जहां दादरी के मेला ए बलमुवा हमरे से उन्होंने शुरुआत की। उसके बाद ‘इंटरनेशनल लिट्टी चोखा गाया तो सब झूम उठे। पंचायत सीरिज का महीनों तक ट्रेंड कर चुका गीत ‘एकरे त रहल ह जरूरत पर जनता बेकाबू हो उठी। भीड़ में बैठे युवा डिमांड करते हुए और मनोज तिवारी पूरी मस्ती के साथ एक-एक कर उसे पूरी करते गए। अपने कार्यक्रम का समापन उन्होंने छठ गीत से किया।
इससे पहले लोक कलाकार सन्नी पांडेय ने अपने लोकप्रिय गीत ‘सब जिला खाली जिला ह, हामार जिला बलिया बागी ह.. के जरिए रंग जमा दिया।
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