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बलिया : सरकारी बकायों ने बढ़ाया बिजली विभाग का घाटा

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के पीछे इसका घाटा बड़ी वजह माना जा रहा है। बिलों का बकाया, लाइन लॉस आदि के चलते विभाग को नुकसान हो रहा है। निजीकरण के खिलाफ सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल के बाद...

Newswrap हिन्दुस्तान, बलियाFri, 9 Oct 2020 03:11 AM
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पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के पीछे इसका घाटा बड़ी वजह माना जा रहा है। बिलों का बकाया, लाइन लॉस आदि के चलते विभाग को नुकसान हो रहा है। निजीकरण के खिलाफ सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल के बाद तीन महीने तक इस प्रक्रिया पर रोक लग गयी है। हालांकि इन तीन महीनों के कार्यों की समीक्षा होगी। निगम को घाट से उबारने के लिए बकायों की वसूली बड़ी चुनौती है। निजी औद्योगिक ईकाइयों या घरेलू कनेक्शन पर तो विभाग सख्त रूख अख्तियार कर लेता है लेकिन सरकारी महकमों पर करोड़ों का बकाया वसूलना उसके लिए टेढ़ी खीर होती है। जबकि बिजली विभाग के घाटे में सरकारी बकायों की भूमिका भी बेहद अहम है। केवल शहर में स्थित विभिन्न सरकारी महकमों पर बिजली विभाग का दो करोड़ से अधिक का बकाया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले भर के सरकारी विभागों पर बकाया 15 करोड़ 27 लाख रुपये का है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार सबसे अधिक विकास भवन पर 82 लाख का बकाया है, जबकि अधिशासी अभियंता जल निगम पर 39 लाख से अधिक का बकाया है। इसी प्रकार जननायक चंद्रशेखर विवि पर 10 लाख तथा इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल (गवर्नमेंट लाइब्रेरी) पर 13 लाख से अधिक का बकाया है।

इनसेट

विभाग का नाम बकाया मॉडल तहसील 3,39,319

कलक्ट्रेट 2,83,407

सीडीओ 82,87,116

अधिशासी अभियंता जल निगम 39,70,830

इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल (गवर्नमेंट लाइब्रेरी) 13,20,069

जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय 10,50,442

चकबंदी अधिकारी (सिविल लाइन) 4,63,863

अधिशासी अभियंता (पीडब्लूडी, रेजिडेंस) 4,08,749

अधिशासी अभियंता (पीडब्लूडी टेम्परोरी डिविजन-3) 1,87,178

डायरेक्टर फारेस्ट डिपार्टमेंट जीरा बस्ती 5,11,408

राजकीय अनुसूचित गर्ल्स हास्टल 2,85,782

मार्केटिंग अफसर (टीचर भवन रामलीला मैदान) 1,35,438

अधिशासी अभियंता एरिगेशन 1,50,060

जिला बचत अधिकारी (सदर) 1,99,852

गर्ल्स पॉलीटेक्निक 3,64,018

सहायक अभियंता (टेवेल वर्कशॉप) 1,26,091

सेंट्रल स्कूल जीराबस्ती 4,63,128

जिला क्रीड़ाधिकारी 2,99,234

ट्रेजरी बिल्डिंग 1,53,438

अधिशासी अभियंता (लोनिवि गोदाम) 5,20,498

इनसेट

12 हजार लोगों पर 1.20 अरब का बकाया

अधीक्षण अभियंता कार्यालय के आफिस असिस्टेंट प्रमोद राय के अनुसार जिले में करीब 12 हजार कनेक्शन ऐसे हैं, जिनपर एक लाख से अधिक का बकाया है। यदि औसतन एक लाख का ही बकाया मान लिया जाय तो यह रकम एक अरब 20 करोड़ रुपये होती है। विभाग यदि सरकारी बकायों के साथ इन बड़े बकायेदारों से भी वसूली कर पाता है तो वह अपने बड़े घाटे को काफी हद तक पाट सकता है। ऑफिस असिस्टेंट ने बताया कि एक लाख से अधिक बकायेदारों के खिलाफ वसूली तेज करने के साथ ही आरसी जारी करने की कार्रवाई की जा रही है। विभाग का पूरा जोर बकाया बिजली बिलों की वसूली पर है।

इनसेट (पिक : 8)

ईमानदारी से हो पहल तो जरूर निकलेगा हल

(विष्णु मालवीय : सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता)

सवाल : क्या तय तीन माह में निगम को बचाया जा सकता है? हां तो कैसे?

जवाब : सरकार व विभाग दोनों को ईमानदारी से काम करना होगा। लड़ने या जीतने-हारने की बजाय समाधान की बात सोचनी होगी। विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी है, सरकार को उसे पूरा करना चाहिए। विभागीय कर्मचारियों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।

सवाल : बड़े सरकारी बकायेदारों और निजी बकायेदारों से निपटने के कारगर उपाय क्या हैं?

जवाब : सरकारी कार्यालयों के कनेक्शन काटने के बाद उसे बातचीत या आश्वासन पर जोड़ना पड़ जाता है। विभागों के बजट में बिजली बिल का प्राविधान करना होगा, ताकि बकाया जमा हो सके।

सवाल : लाइनलॉस से कैसे बचा जाय?

जवाब : लाइनलॉस में पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है। इस दिशा में अभी और काम करने की जरूरत है।

सवाल : बिजली कटिया के बढ़ते मामले कैसे रोकें?

जवाब : सबको वैध कनेक्शन देने में पहले की अपेक्षा तेजी आयी है। सरकारी विभागों में भी बिजली चोरी के मामले सामने आते रहे हैं। इस दिशा में ईमानदारी से पहल करनी होगी।

सवाल : बढ़ते मरम्मत खर्च को कैसे कंट्रोल करें?

जवाब : समय पर मेंटनेंस कराकर मरम्मत खर्च को कम किया जा सकता है। जबकि अपने यहां यह सिद्धांत है कि जबतक काम चल रहा है, चलाते रहिए। किसी मशीन को 200 बार ऑपरेट करने के बाद मरम्मत की जरूरत है लेकिन 500 बार ऑपरेट के बाद भी मरम्मत नहीं होता। इससे अंतत: खर्च अधिक बढ़ जाता है।

सवाल : क्या बिजली बिल समायोजित करने से भी नुकसान हो रहा है?

जवाब : जी हां, बिल्कुल। बैंकों के बैड लोन की तरह बिजली विभाग को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जहां पांच लाख का बकाया है, वहां एक-डेढ़ लाख रुपये पर समायोजन हो जाता है। ऐसे में विभाग को घाटा हो रहा है।

सवाल : विभागीय भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है? क्या घाटे की वजह यह भी है?

जवाब : भ्रष्टाचार को लेकर जितना शोर है, उतना नहीं है। महज 0.2 प्रतिशत ही ऐसा होगा।

सवाल : मीटर से छेड़छाड़ रोकना क्या सम्भव है? हां तो कैसे?

जवाब : इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगने के बाद इससे छेड़छाड़ पहले की तरह संभव नहीं है।

सवाल : तार चोरी, महंगे उपकरणों को जलने से हो रहे नुकसान को कैसे रोकें?

जवाब : मेंटनेंस के अभाव में और लोड अधिक होने के कारण उपकरण जल जाते हैं। समय रहते उनकी मरम्मत तथा क्षमता वृद्धि की जरूरत है।

सवाल : क्या मुफ्त बिजली स्कीमों से भी नुकसान हुआ है?

जवाब : जी हां। तमाम सरकारी योजनाओं के चलते विभाग को नुकसान उठाना पड़ता है। विभागीय अधिकारी चाहकर भी कुछ बोलने या हस्तक्षेप की स्थिति में नहीं होते लेकिन अंतत: इसका घाटा विभाग को उठाना पड़ता है।

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