फूड प्वाइजनिंग से 'कस्तूरबा' की 12 छात्राएं बीमार

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खेजुरी की एक दर्जन छात्राएं गुरुवार को बीमार हो गयीं। सभी को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने तबियत खराब होने की वजह फूड प्वाइजनिंग को बताया।...

सिकन्दरपुर (बलिया), हिन्दुस्तान संवाद Thu, 24 Aug 2017 06:31 PM
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कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खेजुरी की एक दर्जन छात्राएं गुरुवार को बीमार हो गयीं। सभी को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने तबियत खराब होने की वजह फूड प्वाइजनिंग को बताया। सीएचसी खेजुरी के डॉक्टरों पांच छात्राओं को सदर अस्पताल रेफर कर दिया। सूचना मिलते ही एसडीएम, सीओ, बीएसए आदि स्कूल व अस्पताल पर पहुंच गये। घटना की छानबीन शुरू कर दी गयी। 

विद्यालय में पढ़ने वाली कुल 90 छात्राओं में से 12 छात्राएं नाश्ता के बाद पेट दर्द व बुखार से पीड़ित हो गयीं। करीब 11 बजे बीमार आठ वर्षीय सिद्धि, 12 वर्षीय ब्यूटी, 10 वर्षीय अंशु कुमारी, सात वर्षीय अंजली, 13 वर्षीय संध्या, 14 वर्षीय तृप्ति, 12 वर्षीय सोनमति, 12 साल की अंशिका, 14 वर्षीय प्रियंका, नौ वर्षीय अंशु, छह साल की सोनी तथा सात वर्ष की अनामिका को सीएचसी खेजुरी पर पहुंचाया गया। डॉक्टर सभी को भर्ती कर दवा-इलाज करने लगे। इस दौरान पांच की हालत अधिक खराब होने पर चिकित्सकों ने सदर अस्पताल रेफर कर दिया। बीमार छात्राओं में सिद्धि, ब्यूटी, अंशु, संध्या व अंजली को जिला अस्पताल पहुंचाया गया। 

मामले की जानकारी होने के बाद बीएसए संतोष राय, एसडीएम राजेश यादव, सीओ भागवत सहाय, एसडीआई सुरेन्द्र नाथ त्रिपाठी तथा फुड इंस्पेक्टर संतोष यादव पहुंच गये। अधिकारियों ने छात्राओं का हालचाल जानने के बाद स्कूल पर पहुंचकर शिक्षकों से बातचीत की। छात्राओं का इलाज करने वाले चिकित्सक डॉ. रत्नेश कुमार का कहना था कि प्रथम दृष्टया छात्राओं की हालत फुड प्वाइजनिंग के चलते खराब हुई है। फुड इंस्पेक्टर ने स्कूल में बने नाश्ता का नमूना के लिये भेज दिया।

नाश्ते में मिला था हलवा, दूध व चाय
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं की हालत गुरुवार की सुबह नाश्ता करने के बाद ही खराब हुई। विद्यालय के कर्मचारियों का कहना है कि सुबह उन्हें नाश्ता में हलवा, दूध व चाय एक ही साथ दिया गया था। बताया जाता है कि कुछ लड़कियों को पिछले कई दिनों से बुखार था। स्कूल की शिक्षिकाओं का कहना है कि उनका इलाज सीएचसी सिकन्दरपुर ले जाकर कराया जा रहा था। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि बीमार छात्राओं का इलाज पीएचसी पंदह के एक डॉक्टर से कराया जा रहा था। विद्यालय की प्रभारी वार्डेन गीता सिंह ने बताया कि छात्राओं की तबियत कुछ दिनों पहले से खराब थी, जिनका इलाज कराया जा रहा था।

स्कूल में गंदगी का अम्बार, बच्चे क्यों न हों बीमार!
एक तरफ पीएम नरेन्द्र मोदी तथा सीएम योगी आदित्यनाथ का पूरा जोर साफ-सफाई पर है। अभियान चलाकर सार्वजनिक जगहों तथा स्कूल-कॉलेजों की सफाई की जा रही है, वहीं दूसरी ओर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय खेजुरी की तस्वीर इससे इतर है।

विद्यालय की एक दर्जन छात्राओं के बीमार होने के बाद पहुंचे कुछ अधिकारी भी स्कूल की इस हालत को देख हैरान थे। जिन कमरों में छात्राएं रहती हैं, उनकी खिड़कियों में लगे शीशे टूटे हुए थे। स्कूल के आसपास ही नहीं बल्कि परिसर में भी बड़ी-बड़ी घास उगी हुई थी। विद्यालय की चहारदीवारी के पास पानी जमा था, लिहाजा सीलन भी थी। लोगों का कहना है कि छात्राओं की बीमारी के पीछे काफी हद तक स्कूल के अंदर व बाहर पसरी गंदगी भी जिम्मेदार है। उनका कहना था कि निरीक्षण के लिये आने वाले जिम्मेदार अधिकारी भी सिर्फ खानापूर्ति कर वापस लौट जाते हैं।

अस्पताल में बिजली-पंखा, फिर भी कागज से हवा
कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की छात्राओं के बीमार होने के बाद सीएचसी खेजुरी पर मौजूद सुविधाओं की पोल खुल गयी। बच्चियों को देखने पहुंचे अधिकारियों के सामने न तो पंखे चले और न ही अन्य सुविधाएं ठीक-ठाक रहीं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों का दावा फ्लाप साबित हुआ। छात्राओं के बीमार होकर अस्पताल पहुंचने के बाद एसडीएम (सिकन्दरपुर) राजेश यादव समेत अन्य अधिकारी सीएचसी पर पहुंच गये। सभी उस वार्ड में पहुंचे जहां पर छात्राओं को भर्ती कराया गया था। वहां साफ-सफाई के  साथ ही अन्य व्यवस्था नदारद मिली। वार्ड में चार पंखे भी लटक रहे थे तथा उस समय बिजली आपूर्ति भी चालू थी। हालांकि अधिकारियों ने पंखा चलाने का निर्देश दिया तो एक वार्ड ब्वाय ने लाठी से पंखों को ठोका। इसके बावजूद भी वह चल नहीं सका। गर्मी व उमस से परेशान बीमार छात्राओं को खुद एसडीएम ने एक कागज के टूकड़े से हवा देने का प्रयास किया। इस दौरान मौजूद लोगों ने एसडीएम से अस्पताल के अधिकारियों की शिकायत की। उनका कहना था कि लाखों रुपये बिजली का बिल दिया जाता है तथा पंखा आदि के मरम्मत के नाम पर भी सरकारी धन को कागजों में खर्च किया जाता है। उप जिलाधिकारी ने भरोसा दिया कि जल्द ही व्यवस्था में सुधार कराया जायेगा।

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