Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़बहराइचThe bloody leopards that created terror in this sanctuary are improving and keeping their health intact

हमलावर तेंदुए इन जंगलों में सुधर रहे, सेहत बना रहे

लोगों पर हमला करने, जान लेने वाले खूनी तेंदुओं को सुधार के लिए इस सेंचुरी में छोड़ा जा रहा है। यहां उनको अनुकूल प्राकृतिक माहौल मिल रहा है

Gyan Prakash हिन्दुस्तान, बहराइच प्रदीप तिवारीMon, 14 Oct 2024 06:39 PM
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सेंचुरी क्षेत्र के खूनी तेंदुए के लिए कतर्निया का ट्रांस गेरुआ इलाका अब प्राकृत प्रवास बन चुका है। ग्रामीणों को शिकार बनाने वाले हमलावर तेंदुओं को इसी क्षेत्र में छोड़ा जा रहा है। पिंजड़े में कैद हो रहे तेंदुओं को इस क्षेत्र में अवमुक्त करने के पीछे वैज्ञानिक कारण एक मुख्य वजह भी है। ट्रांस गेरुआ से नेपाल का बर्दिया, नार्थ खीरी तो कौड़ियाला व गेरुआ नदी सेंचुरी क्षेत्र से इसे अलग करता है। यह क्षेत्र मानव रहित होने की वजह से खूनी हो चुके तेंदुओं के प्राकृत पुनर्वास के लिए बेहतर साबित हो रहा है।

551 वर्ग किलोमीटर दायरे में फैला कतर्नियाघाट सेंचुरी क्षेत्र का ट्रांस गेरुआ इलाका जल, जंगल व वन्यजीवों के प्राकृत प्रवास के लिए मुफीद है। बेहतर ग्रासलैंड संग नदियों में पानी की उपलब्धता संग मानव रहित 6500 हेक्टेअर के इस क्षेत्र में स्वच्छंद होकर वन्यजीव विचरण करते हैं। जंगल से निकलकर गांवों में हमला करने वाले तेंदुए व बाघ मानव के खून लगने के बाद और आक्रामक होते हैं। इनके शिकार के शगल में बदलाव की प्रवृत्ति पैदा हो जाती है। समय रहते इस शगल को बदलने के लिए ट्रांस गेरुआ का इलाका बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। उत्तर दिशा में लखीमपुर का निघासन रेंज व दक्षिण में नेपाल का बर्दिया नेशनल पार्क ट्रांस गेरुआ से जुड़ता है, जबकि कौड़ियाला व गेरुआ नदी इसे सेंचुरी से इस इलाके को एक अलग पहचान देती है।

रेंजर सुरेंद्र कुमार तिवारी बताते हैं कि ऐसे में इनसान को शिकार बनाने वाले तेंदुए का रेस्क्यू करने के बाद ट्रांस गेरुआ में छोड़ा जाता है। इसके पीछे यह एक बड़ी वजह है, क्योंकि चिड़ियाघर भेजने पर वह शिकार संग अपना प्राकृत प्रवास भी खोता है, लेकिन इस क्षेत्र में उसकी मौजूदगी उसके पुनर्वास, शिकार संग शगल बदलने के लिए बेहद मुफीद साबित हो रहा है। पिछले दो सालों के रेस्क्यू किए गए तेंदुए को ट्रांस गेरुआ में ही छोड़ा गया है। वर्ष 2023- 24 में पांच व 2024- 25 में अब तक सात तेंदुओं को इस क्षेत्र में छोड़ा गया है। इस तरह दो सालों के 18 माह में 12 तेंदुए ट्रांस गेरुआ का हिस्सा बन चुके हैं।

ग्रासलैंड संग शिकार की भरमार

कतर्निया रेंजर रामकुमार बताते हैं कि ट्रांस गेरुआ का इलाका ग्रासलैंड के मामले में अन्य रेंजों से बेहतर है। यह क्षेत्र हमलावर वन्यजीवों के विचरण संग शिकार के लिए बेहतर विकल्प साबित हो रहा है। इस क्षेत्र में कई किलोमीटर दूरी तक मानव आबादी नहीं है। ऐसे में शिकार करने की प्रवृत्ति में भी सुधार आएगा।

ग्रासलैंड में शिकार के लिए बहाना होगा पसीना

वन्यजीव विशेषज्ञों की माने तो कतर्निया सेंचुरी क्षेत्र में विचरण करने वाले बाघ व तेंदुओं का वजन बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में शिकार के लिए उन्हें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ रही है। जो भविष्य के लिए ठीक नहीं है, लेकिन ट्रांस गेरुआ क्षेत्र में शिकार के लिए बाघ, तेंदुए को दौड़ लगानी होगी। इससे उनकी सेहत भी बेहतर होगी।

कोट

ट्रांस गेरुआ हमलावर वन्यजीवों के प्राकृत पुनर्वास के लिए बेहतर जंगली क्षेत्र है। आबादी रहित क्षेत्र होने से हमले के खतरे भी नहीं रहते हैं। इसी को देखते हुए रेस्क्यू के बाद तेंदुओं को इस क्षेत्र में ही छोड़ा जा रहा है।

बी शिवशंकर, डीएफओ, कतर्नियाघाट

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