सत्संग एक जल है जिसमें स्नान करके कौआ हंस बन जाता है: बाबा पंकज
महसी के बैकुंठा में आयोजित सत्संग कार्यक्रम में बाबा पंकज महाराज ने कहा कि सत्संग एक जल है, जिसमें स्नान करने से कौआ हंस बन जाता है। उन्होंने प्रभु-प्राप्ति का मार्ग बताया और सभी को भगवान का भजन करने...
बहराइच, संवाददाता। महसी के बैकुंठा में सोमवार को आयोजित सत्संग कार्यक्रम में आध्यात्मिक संत बाबा पंकज महाराज ने कहा कि सत्संग एक जल है, जिसमें स्नान करके कौआ हंस बन जाता है। सत्संग कोई कथा कीर्तन, गाना गाना, बाजे बजाना या किस्सा कहानी नहीं। सत्संग में प्रभु-प्राप्ति का रास्ता बताया जाता है। मालिक के प्रति प्रेम पैदा किया जाता है। सत्संग में अच्छे संस्कार डाले जाते हैं। सद्विचार ग्रहण करने की प्रेरणा मिलती है। 108 दिवसीय शाकाहार सदाचार मद्यनिषेध आध्यात्मिक वैचारिक जन-जागरण यात्रा में कहा कि यदि सच्ची सुख शान्ति पाना है तो सबको भगवान का भजन करना चाहिए। मनुष्य शरीर रूपी मन्दिर में निरन्तर उतरने वाली आकाशवाणियों को जीवात्मा के कानों से सुनने का नाम भजन है। सत्संग में उन्होंने जीते जी प्रभु प्राप्ति का सरल से सरल मार्ग नामदान देकर सुमिरन, ध्यान, भजन की क्रिया समझाई, उन्होंने चरित्र को मानव धर्म की सबसे, बड़ी पूंजी कहा। सन्त महात्मा जाति, पॉति, धर्म, मजहब, सम्प्रदाय, वर्ग की सीमा से बहुत परे होते हैं। वह सबके होते हैं, सबको अपना समझते हैं, सबकी भलाई व कल्याण का काम करते हैं। महात्मा टूटे दिलों को जोड़ते हैं। ईर्ष्या द्वेष की भावना खत्म करके सबमें प्रेम जगाते हैं।
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