बोले बहराइच- नशे के नाम पर युवाओं के जीवन में जहर घोल रहा चिप्पड़
Bahraich News - बहराइच में शराब की दुकानों की बढ़ती संख्या ने स्थानीय निवासियों की चिंता बढ़ा दी है। शराब के नशे में धुत युवा महिलाओं और छात्राओं के लिए परेशानी का कारण बनते हैं।
नेपाल की सरहद से बहराइच की सीमा लगी हुई है। देशी, अंग्रेजी व बीयर की हर चौक-चौराहों पर दुकानें सजी दिख रही हैं। जहां शाम होते ही शराब के शौकीनों का जमावड़ा शुरू हो जाता है। शराब की बिक्री से सरकारी खजाना भले ही भर रहा हो, लेकिन नशे के नाम पर गुमटियों पर बिक रहा चिप्पड़ न केवल युवाओं के जीवन में जहर घोल रहा है बल्कि राजस्व को भी बड़ा झटका लगा रहा है। चिप्पड़ के नशे में चूर युवा फब्तियां कसने में भी पीछे नहीं हैं। अक्सर इसका विरोध भी महिलाओं की ओर से मुखर होकर किया जाता है। हद तो तब हो जा रही है जब सोशल मीडिया पर चिप्पड़ की बिक्री के वायरल पोस्ट पर भी पुलिस गंभीर नहीं हो रही है।
सूर्य अस्त, मयकदा व मयकश मस्त
लाइसेंसधारक अनुज्ञापियों की अब लगभग हर ग्राम पंचायत मे देशी, अंग्रेजी व बीयर की दुकानें खुल गई हैं। गांव में तो अधिकांश दुकानें आबादी से हटकर है। वही कस्बे व शहर में ऐसा नहीं है। नियम के विरुद्ध सरकारी लाइसेंस धारक देशी, अंग्रेजी व बीयर की दुकानें किसी न किसी मंदिर, मस्जिद या स्कूल के रास्ते पर पड़ती है। इसकी वजह दुकानों का न मिलना हो सकता है। यही दुकानें आम आदमी को तब परेशानी का सबब बनने लगती है। जब इन पर मयकशों का जमावड़ा होता है।
नशे मे धुत्त पियक्कड़ को अपना ही होश नहीं होता। उसे यह भी पता नहीं होता कि वह जो गाली गलौज कर रहा है। उससे आने जाने वाली छात्राओं, यात्रियों, महिलाओं को इनसे भारी परेशानी तो होती ही है। आसपास के निवासियों का जीना हराम हो जाता है। हालांकि समय समय पर पुलिस अभियान चलाती है। जिससे कुछ समय को रोकथाम हो जाती है। फिर वही हालात शुरू हो जाते हैं। रविवार यानि 16 फरवरी को हरदी थाने के भगवानपुर में जहां देशी, अंग्रेजी शराब व बीयर तीनों की दुकाने हैं। एक नशे मे धुत्त युवक को अन्य नशे में धुत्त साथी पीट रहे थे। यह सिलसिला घंटों चला। न तो किसी ने थाने मे शिकायत की। न ही इसकी पुलिस को जानकारी ही हुई। हालांकि आसपास के लोगों का कहना है कि यह वीडियो ही इसका प्रमाण है। आन रिकार्ड शिकायत कर कोई दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहता। क्योंकि पुलिस डंडा भांज चली जाएगी।
कोई ठोस कार्रवाई हो तो शिकायत करना भी बनता है। इससे आसपास के बाशिंदों को कोई निजात नहीं मिलती। हालांकि बढ़ती दुर्घटनाओं के मद्देनजर हाईवे पर अब देशी, अंग्रेजी, बीयर की दुकानें खोलने पर सख्त रोक है। तो यह दुकाने हाईवे से हटकर आसपास के इलाकों में चली गई है। शहर के स्टील गंज तालाब हो, रेलवे स्टेशन रोड, छावनी, आसाम हाईवे हर जगह यही स्थिति है। नानपारा के बंजरिया में महिला दस्तों के कच्ची शराब के मोर्चे के बारे में पूर्व प्रधान व अधिवक्ता शफाकत अजीज बताते हंै कि उस दौरान यह मुहिम काफी चर्चा में रही थी। यही नहीं इन महिलाओं को पुलिस व सरकारी तंत्र का काफी सहयोग मिला। कच्ची शराब पर काफी दिनों तक रोक लगी रही। उसके बाद अब बंजरिया में फिर वही हालात है। यह बदलाव स्थाई न होकर महज वक्ती ही रह गया। अधिकांश लोगों का मानना है कि शराब का धंधा ही इतने मुनाफे का है कि यह लोगों की शिकायतें धरी रह जाती है।
समाज में समरसता बनाए रखने का ध्यान रखे जिला प्रशासन
सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों का मानना है कि भले ही शराब बिक्री सरकारी राजस्व का एक बड़ा जरिया है। फिर भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि बस्ती मे खुल रही शराब की दुकानों से समाज के हर वर्ग पर असर पड़ेगा। छात्राओं, महिलाओं ही नहीं उस इलाके के हर बाशिंदा को शराब की दुकानें सरदर्द हैं। सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिन्दुस्तानी का मानना है कि जो इसके लती हंै। वह दुकान कहीं भी होगी। खरीदने पहुंचेंगें। हर जगह पुलिस गश्त करती दिखेगी। शराब के दुकान के आस पास पुलिस की गतिविधियों में काफी कमी रहती है। लोगों का मानना है कि वर्दी की हनक अपराध पर नियंत्रण करती है। पुलिस की उपस्थिति भर गलत लोगों के लिए काफी होती है। लोगों का यह भी कहना है कि यह एकायक नहीं हो सकता। सामाजिक संगठनों को न ए आंवटन से काफी पहले प्रशासन को इस समस्या से निजात के लिए मांग रखनी होगी। बस महत्वपूर्ण सवाल यही है पहल कौन करेगा।
ज्ञापन व शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाल दे रहे अधिकारी
बहराइच। विश्व हिन्दू परिषद के जिलाध्यक्ष पंडित राकेश कुमार दुबे बताते हंै कि महिलाओं व लोगों की शिकायत पर उन्होंने अपने पदाधिकारियों के साथ मिलकर पांच फरवरी को ज्ञापन सौंपा था।
जिसमें रोडवेज बस स्टैंड के पास स्थित गली मे देशी शराब की दुकान पर रोजाना पियक्कड़ों का जमावड़ा रहने की शिकायत की थी। शराब की दुकान में कैंटीन होने के बावजूद भी सड़क पर खड़े होकर लोग शराब पीकर उत्पात मचाते हो। गाली गलौज करते है। इतना ही नही रोडवेज बस से आने वाली किशोरी, महिला यात्रियों को अपशब्द कहते है। दो सप्ताह बाद भी कोई नतीजा नही निकला है। यही एक वजह है जो लोग यह परेशानी सहकर चुप रह जाते है। लोगों को 2014 के बाद इस समस्या से निजात पाने की उम्मीद धरी रह गई।
शहरी दुकानों पर बाहरी ग्राहकों की उमड़ती है भीड़
देशी हो या अंग्रेजी शराब, बीयर का लती। वह अपने गांव कस्बे में हो या सफर पर। वह बिना पीए नही रह सकता। जरूरी नही कि हर गांव में शराब दुकान हो। इसलिए शराब की दुकान पर आने वाले साठ फीसदी ग्राहक बाहरी ही कहे जा सकते हैं। इनमे भी पांच से दस फीसदी ही ग्राहक दुकान के आसपास पीते हैं। लोगों का मानना है कि यह दुकानें अगर आबादी के बाहर हो तो भी ग्राहक वहां जरूर जाएगा। बहराइच-जमुनहा मार्ग पर आसाम रोड से दो किमी आगे ऐसी ही जगह है, जो चारो और आबादी से दूर है। यहां देशी, अंग्रेजी व बीयर की दुकान तो है ही। इनके आसपास एक अच्छा बाजार बस गया है।
सुझाव
1. शराब व भांग की दुकानें आबादी से बाहर होनी चाहिए।
2. शराब की दुकान के आस पास पुलिस के कुछ कुछ अंतराल पर गश्त करनी चाहिए।
3. जिन शराब की दुकानों पर सीसीटीवी कैमरे न हों, वहां लगवाने की जरूरत है।
4. कच्ची व नेपाली शराब जो तस्करी कर आती है उसके विरुद्ध लगातार मुहिम चलाई जाए।
5. मिलावटी कच्ची शराब में केमिकल, खाद मिलाकर जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
6. स्कूल, कालेज खुलने व बंद होने के समय पुलिस की ड्यूटी लगाई जाए।
शिकायतें
1. शराब की दुकान की शिकायत मिलने पर अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं।
2. जिले के अधिकांश भांग की दुकानों पर अवैध रूप से चिप्पड़ बेची जा रही है।
3. शराब पीने वाले लोग पाउच, खाली बोतलें इधर-उधर फेंक कर गंदगी फैला रहे हैं।
4. शराब की दुकानों के आस-पास सफाई नहीं होती है।
5. कचरा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है।
6. शराब की दुकान के पास शाम को जमघट लगता है, मारपीट के दौरान पुलिस नहीं पहुंचती है।
शराब की दुकानें आबादी से हटकर होने पर समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। इस बार दुकानों के आवंटन होते समय प्रशासन ध्यान दे। जिससे कोई परेशानी न हो। समय समय पर पुलिस को गश्त भी लगानी चाहिए। - अब्दुल वली खान
शराब खरीदने के बाद दुकान पर उसका सेवन करने के बजाए अलग लेकर जाएं और पिएं। इससे न तो बवाल होगा और न ही दूसरे लोगों को कोई परेशानी होगी। अगर न मानें तो पुलिस को सख्ती बरतनी चाहिए।- सरदार गुरदीप सिंह
शराब की दुकानें बस्ती में बिल्कुल नहीं खुलनी चाहिए। इससे घर से बाहर निकलने वाली महिलाओं स्कूल जाने वाली छात्राओं को बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। पुलिस और प्रशासन को इस पर लगाम लगानी चाहिए। - मो. वसीम
यदि लोग सामाजिक विरोध कर कच्ची शराब की समस्या से निजात की कोशिश करें, तो समाज आगे नहीं आता, बिक्री वाले धमकाते हैं। प्रशासन सहयोग नहीं करता है। उसे सहयोग करना चाहिए।
- विवेक कुमार श्रीवास्तव
शराब अपराध की जननी है। नशे के चंगुल में फंसकर युवा अपना भविष्य खो रहे हैं। ऐसी दुकानें ऐसी जगह होना चाहिए, जहां संभ्रात लोग आते जाते न हों। इसका भी ध्यान दिया जाना चाहिए जिससे लोग परेशान न हों। - शराफत अली
शासन को चाहिए कि शराब की दुकान के आंवटन के समय जगह चिन्हित कर ही लाइसेंस जारी करे। देशी, अंग्रेजी, बीयर व भांग की दुकानें एक साथ आस-पास व बस्ती से दूर रहें लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। - पंडित राकेश दुबे
शराब पीना एक सामाजिक बुराई है। प्रतिबंध जगहों पर लोगों को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। जहां प्रतिबंधित है वहां शराब की तस्करी होती है। आम जनमानस इसे ध्यान रखे और अपने ऊपर नियंत्रण रखे। - संतोष कश्यप
नशेड़ियों को समाज में नहीं जाना चाहिए। समाज से दूर रहना चाहिए। शराब पीने के बाद नशेड़ी के पहुंचने पर वहां मौजूद लोग भागने लगते हैं। नशेड़ियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए। पुलिस को सख्ती बरतनी चाहिए। - मो.जुबैर
नशे के आदी लोगों की संख्या समाज में काफी कम है। हालांकि राजस्व का एक बड़ा जरिया है। ऐसी दुकानें चिन्हित स्थान पर ही रहनी चाहिए। आबादी के बीच में इन दुकानों को स्थान नहीं मिलना चाहिए।
- मोहम्मद आदिल
धन ही सब कुछ नहीं होता। इसलिए हर मनुष्य की भावना का ध्यान रखा जाए। शराब की दुकानें उचित जगह होना चाहिए। समाज की बस्ती में कदापि नहीं होनी चाहिए। बस्ती से काफी दूर शराब की दुकानें होनी चाहिए। - सरोज कुमार
समस्याएं होती हैं, तो उनका समाधान भी होता है। जो तरीके हैं, उनसे आप समस्या हल कर पाएंगे या नहीं यह सरकारी अमले का दायित्व है। फिलहाल शराब की दुकानें आबादी से दूर होना चाहिए। सुनवाई होनी चाहिए। - रानी कौर
जो गलत है उसे हर व्यक्ति गलत ही कहेगा। शराब की दुकान के लिए इस भावना से देखा जाना चाहिए। आपके एक निर्णय से लोगों को लंबे समय तक परेशान होना पड़ेगा। इसलिए सोचसमझकर निर्णय लेना चाहिए। - विनय मित्तल
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