घरों व मंदिरों में हुई मां के दूसरी ब्रह्मचारिणी की पूजा
घरों व मंदिरों में हुई मां के दूसरी ब्रह्मचारिणी की पूजा, हिन्दुस्तान संवाद हिन्दू आस्था का प्रतीक चैत्र की धूम सभी देवी मंदिरों में देखने को मिल...
फोटो फाइल नंबर- 14 बीएएचपीआईसी 12
कैप्सन- मरी माता मंदिर में सजी में पूजन करते मंदिर पुजारी
बहराइच। हिन्दुस्तान संवाद
हिन्दू आस्था का प्रतीक चैत्र की धूम सभी देवी मंदिरों में देखने को मिल रही है। अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए श्रद्धालु सुबह ही मंदिर को प्रस्थान कर रहे हैं। नवरात्र के पावन दूसरे दिन श्रद्धालुओं ने घरों व मंदिरों में मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना की। शहर स्थित संहारिणी मंदिर व मरी माता मंदिर में भोर पहर से ही भक्त पहुंच गए और घंटे की आवाज से मंदिर गुंजायमान हो गए।
मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, वैराग्य व तप की देवी कहा जाता है। देवी भक्तों ने पूरे विधि-विधान से घरों पर मां के दूसरे स्वरुप की पूजा-अर्चना की। भक्तों ने फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि मां को अर्पित किया और पंचामृत व मेवों से मां का भोग लगाया। ज्ञान प्राप्ति के आशीर्वाद के लिए विद्यार्थियों ने भी मां की पूजा की और उनकी आरती उतारी। मां का अशीर्वाद पाने के लिए मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ उमड़ी। हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते पहले जैसी भीड़ देखने को नहीं मिली। मंदिरों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कोरोना गाइडलाइन का पालन करवाया जा रहा है।
मरी माता मंदिर व संहारिणी माता मंदिर में हाथ सैनिटाइज करने की आटोमेटिक मशीन लगी है। भक्तों को मास्क के साथ हाथ सैनिटाइज करने के बाद प्रवेश पूजन के लिए प्रवेश दिया जा रहा है। संहारिणी मंदिर के महंत ओम प्रकाश तिवारी ने बताया कि मंदिर में सैनिटाइजर मशीन की ओर से भक्तों को प्रवेश दिया जाता है। हाथ सैनिटाइज करने के साथ ही भक्तों को मास्क पहनकर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूजन की करने की अपील की जा रही है।
आस्था का केंद्र बना हुआ है बलदेव बाबा का सिद्ध पीठ मंदिर
इस खबर के साथ फोटो फाइल नम्बर 14 बीएएचपीआईसी 20 है।
कैप्सन:-नवाबगंज के जमोग स्थित बलदेव बाबा पर हवन करती महिलाएं
बहराइच। हिन्दुस्तान संवाद
नवाबगंज ब्लाक के बाबागंज मल्हीपुर मार्ग पर स्थित चर्दा किला का महज अवशेष ही बचा है। जो वर्तमान में एक छोटे से गांव के रूप में सिमट चुका है। इस गांव के बीच स्थित बाबा बलदेव प्रसाद का सिद्धपीठ मंदिर दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे लोगों के आस्था का केंद्र है।
आस्था की ड्योढ़ी से मांगलिक कार्यक्रम का शुभारंभ दशकों से चली आ रही है। आज भी यहां आस्था का सैलाब उमड़ता रहा है। बाद में शनि देव का मंदिर बनवाया गया है। जिसमें मान्यता अनुसार शनिवार को दीप जलाते हैं। यहां की महिला पुजारी अन्जू मिश्र ने बताया कि प्रतिदिन यहां भक्तों की भीड़ पूजा-पाठ आरती में जमा होती है। नवरात्रि के दिन में यहां काफी चहल-पहल रहता है। चर्दा नरेश का खंडहर हो चुका किला आज भी गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए है।
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