Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़बहराइचMalaria Outbreak in Bahraich 36 Cases Reported Amidst Environmental Changes

बहराइच-तराई में मलेरिया का प्रकोप, तीन सालों में सर्वाधिक रोगी मिले

बहराइच में मच्छरजनित बीमारियों, विशेषकर मलेरिया का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। पिछले तीन सालों में 36 नए मरीज सामने आए हैं, जबकि पिछले साल केवल 10 मामले थे। मच्छरों के बढ़ने का मुख्य कारण शहरीकरण और...

Newswrap हिन्दुस्तान, बहराइचSat, 23 Nov 2024 07:22 PM
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बहराइच,संवाददाता। तराई में मच्छरजनित बीमारियों में एक मलेरिया का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। यह वह मरीज हैं, जो जिला अस्पताल या लखनऊ में मलेरिया से पीड़ित होने पर भर्ती किए गए हैं। इनकी संख्या 36 सामने आई है। तीन साल बाद इतनी संख्या में सामने आए पीड़ितों की रिपोर्ट ने मलेरिया के खात्मे के दावों को झुठला रहे हैं। इनमें दो ब्लॉकों को छोड़कर अन्य ब्लॉक संवेदनशील पाए गए हैं, जहां सर्वाधिक मलेरिया पीड़ित रोगी पाए गए हैं। जिले में मलेरिया से बचाव के उपाय तेजी से हो रहे हैं और इसमें काफी हद तक सफलता भी मिली है। फिर भी पर्यावरण में बदलाव आने के कारण अब मलेरिया के मच्छर वहां भी तेजी से पनप रहे हैं, जहां पहले नहीं पाए जाते थे। इसका एक और कारण, बढ़ता शहरीकरण और स्लम क्षेत्रों का बढ़ना भी है। इन क्षेत्रों में साफ सफाई की कमी, पानी का जमाव, संकरे घरों में मलेरिया के मच्छरों को पनपने का मौका मिलता है। हाल के माह में सामने आई पीड़ितों की रिपोर्ट में तीन सालों का आंकड़ा टूट गया है। पिछले साल जहां मलेरिया के 10 रोगी सामने आए। वहीं इस साल अब तक 36 मलेरिया पीड़ित पाए गए हैं। इनमें कई लखनऊ में पुष्ट किए गए हैं। इस खुलासे ने मलेरिया पर अंकुश लगने के दावों की पोल खोली है। इनमें विशेश्वरगंज व पयागपुर ब्लॉक को छोड़कर अन्य 12 ब्लॉकों में मलेरिया के मच्छर पाए गए हैं। रिपोर्ट में सामने आए पीड़ितों की विभाग सत्यापन कर सुरक्षा के उपाय कर रहा है।

प्रधानों के चौखट से बाहर नहीं आईं फागिंग मशीनें

ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरजनित बीमारियों से निजात की जिम्मेदारी पंचायती विभाग व स्वास्थ्य विभाग मिलकर करते हैं। इसके लिए पिछले साल मच्छर के प्रकोप पर अंकुश के लिए छोटी फागिंग मशीनें भी खरीदी गई थी। यह मशीनें प्रधानों के चौखट से बाहर नहीं आई हैं। हालाकि अन्य जरूरी केमिकल का भी अभाव बताया जा रहा है, जिसके चलते मच्छरों पर प्रहार नहीं हो पा रहा है।

सीएचसी व वेलनेस सेंटरों पर जांच की सुविधा

डीएचईआईओ बृजेश सिंह ने बताया कि सीएसची व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर जांच की पूरी व्यवस्था है। मलेरिया, डेंगू की भी किट से जांच कराने के लिए केंद्र पर जा सकते हैं। जरूरत पड़ने पर सैंपल जिले पर भी भेजकर कराया जाता है।

अनदेखी पर जटिल हो सकती है बीमारी

मलेरिया मादा मच्छर से फैलता है। यह गंभीर व कभी-कभी घातक भी हो सकता है। अधिकतर रोगी उपचार के बाद मलेरिया के लक्षणों से जल्दी ठीक हो जाते हैं। लेकिन उपचार में देरी करते हैं तो गंभीर मलेरिया एनीमिया, सेरेब्रल मलेरिया, कोमा या मृत्यु का कारण भी बन सकता है। डॉ प्रभाकर मिश्र बताते हैं कि प्लाज़्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण अधिक मौतें होती हैं।

बचाव के उपाय

-लक्षण महसूस होने पर तुरंत जांच कराना चाहिए

-मलेरिया की दवाओं को चिकित्सक के परामर्श से ही लें

-मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें

-कमरे में कीटनाशक का छिड़काव भी कर सकते हैं

-आसपास पानी का जमाव न होने दें

-पानी के टबों के ढक्कन बंद रखें।

-बंद कूड़ेदान के प्रयोग की आदत डालें

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मच्छरजनित बीमारियों पर अंकुश के लिए लगातार कवायद चल रही है। जागरूकता संग जरूरी जांच के भी प्रबंध सीएचसी पर किए गए हैं। सुविधा मिलने की वजह से ही मरीज सामने आ रहे हैं।

डॉ एसके शर्मा, सीएमओ, बहराइच

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