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थैलेसीमिया से ग्रसित मरीजों का स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं रिकार्ड

Bagpat News - - बीमारी से ग्रसित मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे मेरठ ओर दिल्लीथैलेसीमिया से ग्रसित मरीजों का स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं रिकार्डथैलेसीमिया से ग्रसित

Newswrap हिन्दुस्तान, बागपतFri, 9 May 2025 01:51 AM
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थैलेसीमिया से ग्रसित मरीजों का स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं रिकार्ड

थैलेसीमिया से ग्रसित मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। जिले में अब तक कई बच्चों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के पास इलाज तो छोड़िए, मरीजों का आंकड़ा तक नहीं है। जिससे स्वयं ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि थैलेसीमिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग कितना अलर्ट है। थैलीसीमिया का नाम सुनकर अच्छे भलों की रूह कांप जाती है। यह एक ऐसा रोग है। जिसमें मौत निश्चित मानी जाती है। इसलिए इस रोग को पैदा होने से पहले ही खत्म करना होगा, लेकिन बागपत के स्वास्थ्य विभाग तो कुंभकरणी नींद सोया हुआ है। उसके पास तो इस बीमारी से ग्रसित मरीजों का कोई आंकड़ा ही नहीं है।

ऐसे में वह इस जानलेवा बीमारी को कैसे खत्म करेगा, इसका अंदाजा स्वयं लगाया जा सकता है। वहीं, चिकित्सकों की मानें, तो शादी के लिए कुंडली मिलान से पहले ब्लड ग्रुप मिलाने से यह रोग खत्म किया जा सकता है। रोगी के साथ विवाह करने से संतान में इसके फैलने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। दूसरा यह कि अगर दो माइनर रोगी भी अगर शादी करते हैं, तो उनके बच्चों में यह रोग हो जाता है। -------- जिला अस्पताल में चढ़ता है ब्लड जिला अस्पताल में फिल्टर से ब्लड चढ़ाने और दवाओं की व्यवस्था तो कर दी गई, लेकिन थैलेसीमिया मरीजों की जांच और विशेषज्ञ की तैनाती नहीं होने के कारण बेहतर इलाज नहीं मिल पाता है। जिसके चलते मेरठ, गाजियाबाद, दिल्ली और नोएडा तक की दौड़ लगानी पड़ती है। ऐसा नहीं है कि शासन से बजट नहीं मिलता है, लेकिन अफसर व्यवस्था करने में फेल साबित हो रहे। ------- खून बदलना पड़ता है थैलेसीमिया से ग्रसित मरीजों को बीच-बीच में ब्लड ट्रांसफ्यूजन (खून बदलने) की जरूरत पड़ती है। सबसे खतरनाक मेजर थैलीसीमिया होता है। बच्चे इसके सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। लगातार ट्रांसफ्यूजन से इन्हें 20 या अधिकतम 25 साल तक जीवित रखा जा सकता है, लेकिन ऐसा बहुत कम हो पाता है। कई बार दिक्कतें बढ़ जाने से, समय से रक्त उपलब्ध न होने पर इनकी जान चली जाती है। ऐसे में रक्तदाता जीवनदायी साबित होते हैं। ------- तीन तरह के मरीज माइनर- हीमो का स्तर 12.5 से कम रहता है। खून चढ़ाने की जरूरत नहीं होती। जीवन को संकट नहीं होता है। इंटरमीडिया हीमो का स्तर 7.0 से 9.0 के बीच रहता है। कभी-कभी खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती रहती है। मेजर हीमो का स्तर 4.0 से 6.0 के बीच रहता है। हर महीने खून बदलने/सफाई करने की जरूरत पड़ती है। ------- कोट- थैलीसीमिया जानलेवा बीमारी है। यह बीमारी बच्चों में अधिकतर पाई जाती है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और सीएचसी अधीक्षकों को थैलेसीमिया से ग्रसित मरीजों को तलाशने और उनका उपचार शुरू कराने के निर्देश दे दिए गए हैं। डा. तीरथ लाल, सीएमओ बागपत ------

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