Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़बागपतMother intent Devi fulfills the wishes of devotees

मां मंशा देवी पूरी करती हैं श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं

बड़ागांव का प्राचीन मंशा देवी मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की मां मंशा मईया मनोकामना...

Newswrap हिन्दुस्तान, बागपतMon, 12 April 2021 10:01 PM
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बड़ागांव का प्राचीन मंशा देवी मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की मां मंशा मईया मनोकामना पूरी करती है। नवरात्र के दिनों में वर्ष में यहां दो बार मेला लगता है और मां भगवती का जागरण होता है, लेकिन कोरोना काल ने इस प्राचीन परंपरा पर पानी फेर रखा है। पिछले एक वर्ष से मंदिर में मेले का आयोजन नहीं हो रहा है।

रावण उर्फ बड़ागांव नाम से ही पता चल जाता है कि गांव का संबंध किसी न किसी रूप में राजा रावण से रहा होगा। गांव के एक छोर पर स्थित प्राचीन मंशा देवी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। प्रति वर्ष यहां दूर दराज से हजारों लाखों श्रद्धालु आकर पूजा अर्चना करते हैं। गांव की नव दंपत्तिया तो अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत भी मां की पूजा अर्चना के बाद ही करते है। प्राचीन मान्यता है कि मंशा देवी की प्रतिमा को हिमालय पर्वत या किसी पवित्र स्थान से लंकाधिपति रावण लाए थे। बताया जाता है कि राजा रावण को बड़ागांव के जंगल में लघुशंका की शिकायत हुई, तो उन्होंने वहां गाय चरा रहे ग्वाले को प्रतिमा देते हुए कहा। वह लघुशंका से निवृत्त होने के बाद प्रतिमा को ले लेंगे, तब तक वे प्रतिमा को हाथ में रखे, जमीन पर नहीं रखना। बताया जाता है कि प्रतिमा को रावण अपने देश ले जाना चाहता था, लेकिन देवी की शर्त थी कि यदि कही पर उसे जमीन पर रख दिया तो फिर नहीं उठेगी। मान्यता के अनुसार, प्रतिमा के तेज को ग्वाले सहन नहीं कर सके और प्रतिमा को वहीं पर रख दिया। इसके बाद रावण ने पूरा जोर लगाया, लेकिन प्रतिमा नहीं उठी। बताया जाता है तभी से देवी की प्रतिमा यही पर विराजमान है।

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रावण कुंड हुआ समाप्त

रावण प्रतिमा के न उठने पर कुछ दिन यही रहा और देवी की पूजा अर्चना की। दैनिक नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद स्नान ध्यान आदि करने के लिए उसने एक तालाब बनाया था। महाभारत सर्किट योजना के तहत विकास के नाम पर यहां पर रावण कुंड नाम से बोर्ड भी लगाया था, लेकिन आज यहां न तो बोर्ड है और न ही तालाब का अस्तित्व।

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कोरोना की वजह से नहीं होगा मेले का आयोजन

मां मंशा मईया सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। नवरात्रों में यहां प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु मां के दर्शनों के लिए पहुंचते है। मंदिर कमेटी के कैशियर उमेश त्यागी ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से इस बार भी धार्मिक मेले और जागरण का आयोजन तो नहीं हो रहा है, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए मंदिर को खोला जाएगा।

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