Hindi NewsUttar-pradesh NewsBagpat NewsGlanders Disease Detected in 80 Horses Across 21 Districts in Uttar Pradesh

ग्लैंडर्स फारसी: सहारनपुर और बिजनौर में चार-चार, बागपत में मिले तीन संदिग्ध घोड़े

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Newswrap हिन्दुस्तान, बागपतFri, 9 May 2025 01:54 AM
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ग्लैंडर्स फारसी: सहारनपुर और बिजनौर में चार-चार, बागपत में मिले तीन संदिग्ध घोड़े

प्रदेशभर के 21 जिलों में 80 घोड़ों में ग्लैंडर्स फारसी के लक्षण पाए गए है। इनमें मेरठ मंडल के चार जिलों के 12 घोड़े भी शामिल है। जिनमें सहारनपुर और बिजनौर में चार-चार, बागपत में तीन और शामली के एक घोड़े में ग्लैंडर्स के लक्षण मिले है। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र हिसार हरियाणा की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद प्रदेशभर में हड़कंप मचा हुआ है। पशुपालन विभाग की टीम घोड़ों व अन्य पशुओं के सेंपल जुटा रही है, तो स्वास्थ्य विभाग की टीम घोड़ों के संपर्क में आने वाले लोगों के सेंपल लेकर जांच के लिए हिसार भिजवा रही है। रिपोर्ट संदिग्ध पाई गई है।

ज ग्लैंडर्स फारसी एक जानलेवा बीमारी है। इसका कोई उपचार नहीं है। घोड़ों में होने वाली यह बीमारी मनुष्य को भी अपनी चपेट में ले लेती है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि यदि किसी घोड़े में ग्लैंडर्स की पुष्टि हो जाती है, तो उसे इंजेक्शन देकर मौत की नींद सुला दी जाती है। इसी खतरे को मद्देनजर रखते हुए पशुपालन विभाग ग्लैंडर्स की जांच के लिए प्रतिमाह घोड़ों के सेंपल लेकर उन्हें जांच के लिए हिसार हरियाणा के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र पर भिजवाता है। अब राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र की रिपोर्ट शासन को प्राप्त हुई है। जिसके बाद से पशुपालन और स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। इसका कारण यह है कि जांच रिपोर्ट में प्रदेश के 21 जिलों के 80 घोड़ों में ग्लैंडर्स के लक्षण मिले है। मेरठ मंडल की बात करें, तो सहारनपुर ओर बिजनौर में चार-चार, बागपत में तीन और शामली के एक घोड़े में ग्लैंडर्स के लक्षण मिले है। हालांकि अभी घोड़ों में ग्लैंडर्स की पुष्टि होने वाली रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद शासन ने संबंधित जिलों के सीवीओ और सीएमओ को दिशा-निर्देश जारी करते हुए सैंपलिंग करने के निर्देश दिए है। पशुपालन विभाग घोड़ों के संपर्क में आने वाले पशुओं के सैंपल लेगा, तो स्वास्थ्य विभाग घोड़ों के संपर्क में आने वाले अश्व पालक और उसके परिजनों के सेंपल लेकर जांच के हिसार भिजवाएगा। निदेशक संचारी रोग ने संबंधित 21 जिलों के सीएमओ को पत्र जारी करते हुए तत्काल सेंपलिंग करने के निर्देश दिए है। सीएमओ बागपत डा. तीरथलाल ने बताया कि पिलाना ब्लॉक के दत्तनगर गांव में तीन घोड़ों में ग्लैंडर्स के लक्षण मिले है। उनके संपर्क में आने वाले लोगों के सेंपल ले लिए गए है। उन्हें जांच के लिए हिसार भिजवाया जा रहा है। --------- ग्लैंडर्स का नहीं है कोई इलाज ग्लैंडर्स की चपेट में आने के बाद प्रभावित पशु को मारने के सिवाय कोई चारा नहीं बचता। यह लाइलाज रोग न केवल पशुओं में बल्कि पशुओं से इंसान को चपेट में ले सकता है। अश्व प्रजाति से यह रोग ऊंट, कुत्ता और बिल्ली को संक्रमित कर सकता है। अश्व प्रजाति के पशुओं में फेफड़ों और नाक में गांठ, पशु खांसी से ग्रसित होता है। बीमार पशु का तापमान बहुत ज्यादा होता है। -------- घोड़े की मौत पर मिलती है आर्थिक मदद सीवीओ डा. अरविंद त्रिपाठी ने बताया कि ग्लैंडर्स से संबंधित बीमारी को लेकर पशुपालकों को जागरूक करें। यह संक्रमित बीमारी है और पशुओं से मानव में तुरंत फैलती है। नमूना लेते समय इसमें विशेष सावधानी बरतें। अन्यथा यह बीमारी अश्व से मानव में फैल सकती है। दूसरे स्वस्थ्य पशुओं को इनसे अलग रखें। इस बीमारी से ग्रसित होने पर सीरम -सैंपल पाजीटिव आने पर घोड़ों को मारकर दफनाया जाता है। घोड़ों के लिए क्षतिपूर्ति 25 हजार रुपये और गधा व खच्चर के लिए 16 हजार रुपये दिए जाते हैं। ------- ऐसे कर सकते हैं बीमारी का पता इस बीमारी का पता एलाइजा और कॉम्लीमेंट फिक्सेशन (सीएफटी) टेस्ट के जरिए लगाया जा सकता है। एक्यूट फार्म में घोड़ों में इस बीमारी में फेफड़ों में गांठें व श्वसन तंत्र की म्यूकस मैमरेन पर घाव पाए जाते हैं। इसमें पशु खांसी से ग्रसित होता है और नाक से स्राव निकलता है। उसके बाद सैप्टीसीमिया से मौत हो जाती है। क्रोनिक रूप में लिम्फ वैसल पर गांठें, जिसमें घाव बन जाते हैं और उसके बाद मौत हो जाती है। --------- मनुष्य में ऐसे फैलती है बीमारी घोड़ों से मनुष्यों में यह बीमारी आसानी से पहुंच जाती है। जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर ईलाज करते हैं, उनको खाल, नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण हो जाता है। मनुष्यों में इस बीमारी से मांस पेशियों में दर्द, छाती में दर्द, मांसपेशियों की अकड़न, सिरदर्द और नाक से पानी निकलने लगता है। -------- पता चले तो तुरंत करें घोड़े को दूर सीवीओ ने बताया कि यदि किसी भी घोड़े में इस तरह के लक्षण पाए जाएं, तो उसे आबादी से अलग बांधा जाए। उसके परिवहन पर रोक लगा दी जाए। संबंधित जगह का डिसइंफेक्शन कराया जाए और घोड़े का सैंपल लेकर हिसार हरियाणा के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान भेजा जाए। --------- इन जिलों में मिले ग्लैंडर्स के लक्षण वाले अश्व मैनपुरी 19, बदायू 1, बरेली 8, आगरा 2, उन्नाव 16, गौरखपुर 5, शामली 1, फरूखाबाद 1, कानपुर देहात 1, गाजियाबाद 8, बहराईच 1, सहारनपुर 4, मुरादाबाद 1, रामपुर 2, बिजनौर 4, कानपुर नगर 1, बागपत 3, पीलीभीत 10, मऊ 1, हरदौई 7 और बस्ती के 1 घोड़े में ग्लैंडर्स के लक्षण मिले है।

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