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जगमग घर का हर एक कोना, करता दूर अंधकार दीवाली

दीवाली पर्व पर काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें कवियों ने अंधेरे से लड़ने का संदेश दिया। कविताओं में दीपों का त्यौहार और खुशियों का जिक्र था। श्रोताओं ने कविताओं का आनंद लिया। शुभारंभ में पारूल चौधरी...

Newswrap हिन्दुस्तान, बागपतWed, 30 Oct 2024 07:57 PM
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दीवाली पर्व पर आयोजित काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपने उदगार व्यक्त किए। दीवाली पर अंधेरे से लडने का संदेश देते हुए रचनाएं पढी। श्रोताओं ने भरपूर आनंद उठाया। लोक साहित्य संस्कृति समिति, राष्ट्रीय कवि संगम और हिंदी साहित्य भारती के संयुक्त तत्वावधान में दीवाली पर्व पर बुधवार को काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। कवि और कवयित्रियों अपनी प्रस्तुतियां दी। दीवाली पर्व पर अंधेरे से लडने का संदेश देते हुए रचनाएं पढी। शुभारम्भ में कवियत्री पारूल चौधरी ने मां सरस्वती की वंदना की। लक्ष्मी व गणपति की पूजा में पंक्तियां पढी। दीवाली पर सुनाते हुए कहा कि दीपों का त्यौहार दीवाली, लाता खुशियां अपार दीवाली, जगमग घर का हर एक कोना, करता दूर अंधकार दिवाली। कवयित्री पूनम नैन मलिक ने सुनाया, उजियारा हर ओर हो, तम का कटे कलेश, सबके अंतस से मिटे, पाप क्रोध और द्वेष। कवि कश्यप राजेश राज ने सुनाया, जलाओ दीप घर-घर में मेरे श्री राम आए हैं, संग में जानकी माता, भ्राता लक्ष्मण भी आए हैं। कवि गजेंद्र गजानन ने सुनाया, मां के दीप जला ना सके तो हाथ मिलाने से क्या होगा, झोपड़ियों में दीप जला ना सको तो घरों में दीप जलाने से क्या होगा। कवि अमित गोयल ने सुनाया, कार्तिक अमावस्या की पावन वेला, सर्वजन मना रहे मंगल उत्सव। मंगल गीत गाकर पटाखे जलाकर, दीप प्रज्ज्वल कर मना रहे दीपोत्सव। कवि रविंद्र कुमार सिरोही ने सुनाया, सुख के दीप जले आंगन में, चारों ओर खुशहाली हो, हर आंगन महके और चहके, हर घर में दीवाली हो। श्रोताओं ने काव्य गोष्ठी का भरपूर आनंद लिया।

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