Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़बागपतDeclining Urdu Language Education in India A Cultural Crisis

विश्व उर्दू दिवस: जिले में उर्दू पढ़ाने वाले शिक्षकों का टोटा

उर्दू भाषा को खत्म करने की साजिश के चलते आज स्कूलों और कॉलेजों में उर्दू के छात्र और शिक्षक दोनों की संख्या घटती जा रही है। सरकारी खर्चों के बावजूद, उर्दू विषय का चयन करने वाले छात्र नहीं हैं। सिर्फ...

Newswrap हिन्दुस्तान, बागपतFri, 8 Nov 2024 09:29 PM
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तहजीब और अदब की जबान उर्दू को किसी ने मुसलमानों से जोड़कर खत्म करने साजिश रची तो कुछ रोजी-रोटी का जरिया न मानकर इससे दूर हो गए। इस पर परदेशी भाषा होने का ठप्पा लगाने का भी प्रयास किया गया, लेकिन वे भूल गए कि उर्दू की पैदाइश हिन्दुस्तान में ही हुई और इसी मुल्क में यह बढ़ी। इतना सब कुछ सुनहरा इतिहास होने के बावजूद आज आलम यह है कि स्कूल कॉलेज में न तो पढ़ने वाले छात्र ही मिल पा रहे हैं और ना ही उर्दू पढ़ने वाले शिक्षक। उर्दू के आज के हालात की बात करें तो यहां मदरसे और मकतब ही हैं जो उर्दू को जिंदा किए हुए हैं। इनके अलावा कहीं भी उर्दू पढ़ाई नहीं जा रही। स्कूलों के उर्दू अध्यापकों पर ही सरकार करीब करोडों रुपये हर साल खर्च कर रही है, लेकिन पढ़ने वाला बच्चा एक भी नहीं। जिले में 70 से अधिक इंटर कॉलेज हैं, लेकिन इनमे पढ़ने वाले हज़ारों बच्चों में से 50 छात्र भी ऐसे पंजीकृत नहीं हैं जिन्होंने उर्दू विषय का चयन किया हुआ हो। कुछ ऐसी ही हालत गुरुजनों की भी हैं। जिले के सभी माध्यमिक विद्यालयों में एक दो ही उर्दू शिक्षक नियुक्त हैं, लेकिन इनसे पढ़ने वाले बच्चे नहीं। कुल मिलाकर जिले में उर्दू पढ़ने और पढ़ाने वाले दोनों की तादाद शून्य की ओर अग्रसर हैं। वहीं डिग्री कॉलेजों में भी यही स्थिति हैं। इनमे भी उर्दू के शिक्षक नहीं हैं और न ही उर्दू के छात्र। 95 फ़ीसदी स्कूल कॉलेज तो ऐसे हैं जहां पर उर्दू विषय ही नहीं है। जब विषय ही नहीं है तो छात्र दाखिला कैसे लें?

फैक्ट फाइल-

बेसिक शिक्षा: जनपद में बेसिक शिक्षा भी प्राइमरी व उच्च प्राथमिक (जूनियर) के रूप में हैं। प्राइमरी के 483 विद्यालय, जूनियर के 191 विद्यालय जनपद में हैं। प्राइमरी विद्यालयों में 41181 तथा जूनियर में 10876 बच्चे पंजीकृत हैं। प्राइमरी विद्यालयों में 1920 तथा जूनियर में 593 शिक्षक तैनात हैं।

माध्यमिक शिक्षा-

वित्तविहीन विद्यालयों की संख्या: 71

राजकीय विद्यालयों की संख्या: 18

बच्चों की संख्या: लगभग 10 हजार

शिक्षकों की संख्या: लगभग 1150

राजकीय विद्यालयों में शिक्षक: लगभग 100

उर्दू शिक्षक: शून्य

उच्च शिक्षा-

उच्च शिक्षा के रूप में भी सहायता प्राप्त व सेल्फ फाइनेंस के रूप में शिक्षण संस्थान जनपद में मौजूद हैं।

सहायता प्राप्त विद्यालयों की संख्या: 05

सेल्फ फाइनेंस विद्यालयों की संख्या: 40

शिक्षक (सहायता प्राप्त): 135-140

शिक्षक (सेल्फ फाइनेंस): 300-325

उर्दू शिक्षक: शून्य

कोट-

उर्दू की सलामती के लिए इसे रोजगारपरक बनाना होगा। फिल्म-मीडिया जगत छोड़ दिया जाए तो कहीं भी यह भाषा रोजी-रोटी का जरिया नहीं है। जो खुद को उर्दू का रहनुमा कहते हैं वो खुद अपने विजिटिंग कार्ड, शादी कार्ड और बोर्ड वगैरह उर्दू में नहीं लिखवाते।

-मौलाना आरिफ उल हक, बडौत

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