नहाए-खाए के साथ छठ महोत्सव आज से शुरु
छठ पूजा का महापर्व मंगलवार से शुरू होगा। व्रती 7 नवंबर को अस्ताचल सूर्य को अघ्र्य देंगे और 8 नवंबर को उदयगामी सूर्य को अघ्र्य देकर पूजा का समापन होगा। इस बार पूजा सामग्री की खरीदारी के दौरान फलों और...
आस्था और लोक भक्ति का चार दिवसीय सूर्य उपासना का महापर्व छठ मंगलवार से शुरू हो जाएगा। बुधवार को खरना रहेगा। छठ पूजा पर व्रती सात नवंबर की शाम को अस्ताचल सूर्य को अघ्र्य देंगे। अगले दिन आठ नवंबर को उदयगामी भगवान सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। इसी के साथ महापर्व का समापन हो जाएगा। पर्व को डाला छठ भी कहा जाता है। पूजा की तैयारी में जुटे लोगों ने सोमवार को पूजा सामग्री की खरीदारी की। दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद रात को घर में मिट्टी के चूल्हे में लकड़ी जलाकर लौकी और चना की सब्जी तथा देसी घी में पूड़ी बनाकर भोजन किया जाएगा। बुधवार को खरना रहेगा। व्रत रखने वाली महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर रात को उसी मिट्टी के चूल्हे पर बने गुड़युक्त चावल की खीर और रोटी खाएंगी। फिर सात नवंबर को महिलाएं पूड़ी, ठेकुआ (मीठा पुआ) बनाएंगी। उसे एक दौरा (बांस की बनी टोकरी) में फल, मेवा आदि के साथ कपड़े में रखकर शाम होने से पूर्व ही अपने सिर पर रखकर नंगे पांव घाट व पोखरे के पास पूजा करने पहुंचेंगी। भगवान सूर्य के अस्त होते ही दूध से अघ्र्य देकर पुन अपने-अपने घर वापस आएंगी। घर के आंगन में दउरे को गन्ने के बीच में रखकर दीप प्रज्जवलित करेंगी। दूसरे दिन भोर में नंगे पैर हाथ में दीपक लेकर गाजे बाजे के साथ घाट पर पहुंचेंगी। उदयगामी सूर्य को दूध का अघ्र्य देकर अनुष्ठान का समापन करेंगी।
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जिले में 5 हजार से ज्यादा हैं पूर्वांचल के लोग
जिले में पांच हजार से ज्यादा पूर्वांचल समाज के लोग हैं। जिनमें से करीब तीन हजार लोग छठ व्रत रखेंगे। छठ को लेकर सूप का अधिक महत्व होता है। इस बार 70 रुपये से लेकर 300 रुपये तक बांस का दउरा सूप बिक रहा है। पीतल के सूप की भी खूब मांग रही। 500 से 2000 रुपये तक पीतल का सूप बिका। फलों एवं सामग्रियों के दाम आसमान छू रहे हैं। सेब 100 से 150 रुपये, नारियल 60 रुपये तक बिक रहा।
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पहले दिन नहाय खाय
नहाय खाय के साथ ही छठ पूजा का प्रारंभ हो जाता है। साफ-सफाई करने के साथ ही शाकाहारी भोजन का सेवन किया जाता है।
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दूसरे दिन खरना
इसे खरना के नाम से जानते है। लोहंडा भी कहा जाता है। व्रत शुरू होता है। रात में खीर खाकर 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखा जाता है।
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तीसरे दिन अस्तगामी सूर्य को अघ्र्य
कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन छठी मैया और सूर्य देव की पूजा होती है। छठ पूजा के दिन डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है
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चौथे दिन उगते सूर्य को अघ्र्य
समापन चौथे दिन किया जाता है। इस दिन 36 घंटे से किए जा रहे कठिन व्रत पारण किया जाता है और उगते हुए सूर्य का अघ्र्य किया जाता है।
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