समाज कल्याण अधिकारी को एससी-एसटी आयोग की फटकार

बदायूं के जिला समाज कल्याण अधिकारी ने स्वयं न आकर लिपिक आयोग के सामने भेजा। जिसके द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट में कहा गया कि मेडिकल जांच के दस्तावेजों में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है। आयोग ने जिला...

हिन्दुस्तान टीम बदायूंWed, 17 July 2019 07:29 AM
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बदायूं के जिला समाज कल्याण अधिकारी ने स्वयं न आकर लिपिक आयोग के सामने भेजा। जिसके द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट में कहा गया कि मेडिकल जांच के दस्तावेजों में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है। आयोग ने जिला समाज कल्याण अधिकारी की इस रिपोर्ट को गैर जिम्मेदाराना, अड़ियल और विवेक से परे करार दिया है।

बदायूं में एक नाबालिग से बलात्कार के मामले में वहां के जिला समाज कल्याण अधिकारी की गैर जिम्मेदाराना रिपोर्ट पर उत्तरप्रदेश अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग ने सख्त नाराजगी जताई। आयोग ने बदायूं के जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि वह वहां के जिला समाज कल्याण अधिकारी से इस मामले में स्पष्टीकरण तलब करें। आयोग ने आदेश दिया है कि बदायूं के जिला समाज कल्याण अधिकारी सात अगस्त को अपने जवाब और पूरे ब्यौरे के साथ स्वयं पेश हों।

आयोग के चेयरमैन बृजलाल ने बदायूं के जिला समाज कल्याण अधिकारी को यह भी आदेश दिया है कि वह एससी/एसटी एक्ट के तहत बलात्कार के मामले में प्रावधानित 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता में से 75 प्रतिशत यानि 3 लाख 75 हजार रुपए पीड़िता को अविलम्ब उपलब्ध कराएं। इसके अलावा शासनादेश के अनुसार पीड़िता को 5000 रुपए की मासिक पेंशन स्वीकृत की जाए, ताकि वह अपने होने वाले शिशु का पालन पोषण कर सके। उसको बर्तन, चावल, गेहूं, दलहन आदि का तीन महीने का बंदोबस्त भी किया जाए।

आयोग के समक्ष लिपिक को कर दिया पेश

बीती 15 जुलाई को बदायूं के जिला समाज कल्याण अधिकारी ने स्वयं न आकर लिपिक आयोग के सामने भेजा। जिसके द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट में कहा गया कि मेडिकल जांच के दस्तावेजों में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है। आयोग ने जिला समाज कल्याण अधिकारी की इस रिपोर्ट को गैर जिम्मेदाराना, अड़ियल और विवेक से परे करार दिया है।

यह हुई थी घटना

जिला बदायूं की अनुसूचित जाति की एक नाबालिग के साथ लगभग 6-7 महीने पहले बलात्कार की घटना हुई। जिससे वह गर्भवती हो गयी। इस मामले में पुलिस पाक्सो एक्ट, एससी/एसटी एक्ट और आईपीसी की सुसंगत धाराओं के तहत विक्रम मौर्य पुत्र राजपाल निवासी ग्राम फूलपुर कोतवाली उझानी जिला बदायूं के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया। आरोपी गैर अनुसूचित जाति का है। मामले की जांच के दौरान पीड़िता के बयान दर्ज करवाए गए। मेडिकल परीक्षण के बाद डाक्टर ने पीड़िता की उम्र 16 साल बताई और उसको 23 हफ्ते से अधिक समय का गर्भवती बताया गया। इसके बाद इस मामले में दर्ज मुकदमा एससी/एसटी एक्ट की अन्य गंभीर धाराओं में परिवर्तित किया गया।

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