भरत जैसा भाई संसार में नहीं मिल सकता- शांतनु
धनवती देवी सरस्वती इंटर कालेज में चल रही रामकथा के आठवें दिन भारत के चरित्र का चित्रण हुआ। भगवान ने भरत की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि वह संसार में अद्वितीय भाई हैं। पिता की मृत्यु और भगवान के वन...
नगर के धनवती देवी सरस्वती इंटर कालेज मैदान पर चल रही रामकथा के आठवें दिन भारत चरित्र कथा का चित्रण किया गया। कहा, भगवान स्वयं भरत का स्मरण करते हैं, मानस में भरत को अनेक लोगों ने महिमा मंडित किया है। तीर्थराज प्रयाग ने कहा कि भरत सब विधि साधु हैं, भगवान ने स्वयं कहा कि लखन भरत जैसा पवित्र भाई संसार में नहीं मिल सकता। जनक ने सुनयना से कहा कि रानी भरत की महिमा राम जानते तो है परंतु वे भी बता नहीं सकते भरत की साधना को बताते हुए पूज्यश्री ने कहा कि उनकी कठिन साधना को देखकर बड़े बड़े साधु संत भी उनके पास जाने में घबराते थे। स्वयं वशिष्ठ भी जाने से कतराते थे
पिता की मृत्यु अवाम भगवान के वन गमन का समाचार मिलने पर भरत विह्वल हो गए, और विलाप करने लगे माता कैकेई को बहुत बुरा भला कहा है। सारी सभा को फटकार लगाई है, कौशल्या के समझाने पर भरत शांत हुए है और सबको आश्वासन दिया है, कि हम सबको भगवान से मिलाने ले चलेंगे और पूरी प्रजा भरत के साथ भगवान से मिलने चित्रकूट चली है ।
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