हाल-ए-गांव : जरूरी इलाज को स्थास्थ्य विभाग का इंतजार कर रहे दहेमी गांव के लोग
जिला मुख्यालय से करीब आठ किलोमीटर दूर है दहेमी गांव। यहां कोरोना की दहशत से गलियां सूनी हो गई हैं। 1750 लोगों की आबादी वाले इस गांव में पिछले कुछ...
सालारपुर ब्लाक के दहेमी गांव में करीब 15 दिनों में कोरोना का संक्रमण बढ़ गया। कोरोना का कहर ऐसा बरपा कि नवनिर्विचत ग्राम प्रधान भी इसकी चपेट में आ गये। घटपुरी सीएचसी की टीम ने गांव में जाकर लोगों की जांच की। 33 लोग संक्रमित निकले हैं। सभी होम आइसोलेट हैं।
गांव में तीन मौतों के कारण मातम का माहौल है। लोगों ने शादियां टाल दी हैं। सामूहिक आयोजनों में जाना छोड़ दिया है। हालात यहां तक पहुंच गये हैं कि चाहे दसवां हो, हवन संस्कार हो या विवाह लोग किसी भी आयोजन में नहीं जा रहे हैं। इतना ही नहीं आयोजनों में पूजा-पाठ कराने वाले ब्राह्मण तक नहीं मिल रहे हैं। गांव की गलयों से लेकर चौपाल तक सन्नाटा है। ग्रामीण खेतों में काम करने के बाद घरों में अपने आप को कैद कर ले रहे हैँ।
ब्लाक की टीम ने सैनिटाइज किया गांव
ब्लाक सालारपुर के गांव दहेमी में दो-चार दिन पहले ही ब्लाक की टीम ने गांव में जाकर सेनेटाइजेशन किया है। गलियों में ट्रैक्टर से मशीन घुमाकर दवाओं का छिड़काव कराया गया। वहीं पंचायत विभाग की टीम गांव में साफ-सफाई का कार्य चला रही है।
350 बुजुर्ग लगवा चुके हैं वैक्सीन
गांव दहेमी के ज्यादातर बुजुर्गों ने टीकाकरण करा लिया है। 45 वर्ष से ऊपर के करीब 80 फीसदी लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है। इसमें महिला-पुरुष दोनों शामिल हैं। अभी पिछले कुछ दिनों से कोरोना ने गांव को अपने चपेट में ले लिया है। इससे गांव में दहशत का माहौल बना हुआ है।
मनरेगा श्रमिकों के सामने रोजगार का संकट
पंचायत चुनाव से पहले तो मानव दिवस के लक्ष्य को लेकर दिक्कत थी। इसलिये गांव में मनरेगा का कार्य रोक दिया गया था, इसके बाद अप्रैल आया तो पंचायत चुनाव आ गया। गांव में मनरेगा के 77 श्रमिक हैं जिनके जॉब कार्ड बने हुए हैं। मगर मनरेगा का कार्य नहीं हो पा रहा है इसलिये मनरेगा श्रमिकों के सामने रोजगार का संकट बना हुआ है।
तीन किलोमीटर दूर सब सेंटर
गांव दहेमी मुरादाबाद-फर्रूखाबाद हाईवे पर जिला मुख्यालय से आठ किलो मीटर दूर है। इस गांव में कोई स्वास्थ्य विभाग का सब सेंटर नहीं है। गांव का सब सेंटर सिलहरी में तीन किलो मीटर दूर है। वहीं सीएचसी की बात करें तो वह करीब 20 किलो मीटर बरेली रोड पर है। इसलिये मरीजों को जिला मुख्यालय का दौड़ लगाना पड़ता है।
ग्रामीण बोले
इससे ज्यादा खराब हालात कभी नहीं रहे
मुन्ना लाल का कहना है कि कोरोना का कहर तो पिछले वर्ष भी था लेकिन गांव का कोई संक्रमित नहीं हुआ और इतने ज्यादा खराब हालात कभी नहीं बने। इस बार तो गांव में दर्जनों लोग संक्रमित हैं और मौत भी हो रही हैं। गांव के कई लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं लेकिन चिकित्सा विभाग अभी ज्यादा गौर नहीं कर रहा है।
रोजगार खत्म, बच्चे पढ़ाई से दूर
अंकित बोले, कोरोना ने झकझोर कर रख दिया है। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित है। युवाओं के सामने रोजगार की समस्या खड़ी हो गई है।
खेतों तक नहीं जा पा रहे, सब चौपट हो रहा है
काले बाबू बोले, गर्मी का मौसम चल रहा है और खेतों में फसलें सूख रही हैं। मेंथा सहित गन्ना की फसल की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। जिन परिवारों में कोरोना संक्रमित निकले हैं उन परिवारों की खेती चौपट हो गई है और बड़ा नुकसान हुआ है।
गांव में एक-दूसरे के घर जाना बंद
अरविंद कुमार ने बताया कि गांव के लोगों ने एक-दूसरे के घर आना जाना बंद कर दिया है। कार्यक्रमों से दूरी बना लिया है इसके बाद भी इतनी बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित निकल रहे हैं। यह ऐेसी आपदा आई है परिवार को बचाना मुश्किल है, रोजगार का संकट है और ऊपर से कर्फ्यू के साथ बीमारी का कहर परेशान कर रहा है।
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