कोरोना काल में जरी कारोबार को लगा झटका
कोरोना काल में जरी जरदोजी के काम को झटका लगा है। जिससे इस काम से जुड़े करीब सात हजार कामगारों पर रोजगार का संकट है। इन दिनों कारीगर हाथ पर हाथ रखे...
बदायूं। हिन्दुस्तान संवाद
कोरोना काल में जरी जरदोजी के काम को झटका लगा है। जिससे इस काम से जुड़े करीब सात हजार कामगारों पर रोजगार का संकट है। इन दिनों कारीगर हाथ पर हाथ रखे हुये बैठे हैं। पिछली वर्ष भी कोरोना काल के चलते जरी का काम प्रभावित हो गया था। साहलग सीजन में वैसे जरी के आइटमों की बाहर बढ़े पैमाने पर मांग रहती आई है।
शहर के अलावा शेखूपुर, उसहैत, सहसवान, सैदपुर, वजीरगंज आदि स्थानों पर जरी का बड़े पैमाने पर काम होता है। यहां के करीब सात हजार परिवार जरी के काम के ऊपर ही निर्भर रहते हैं। जिनमें पुरूषों के अलावा महिलायें एवं युवतियां शामिल हैं। जो कि ठेकेदारों की दी डिजायन एवं मॉल से सुंदर लहंगा, चुन्नी तैयार करने का काम करते हैं। इन्हें इसके बदले में तैयार पीस पर चार से पांच हजार रुपये मिल जाते हैं।
कोरोना काल के चलते पूरी तरह से काम बंद हैं, इन दिनों न तो गांव में ठेकेदार मॉल तैयार कराने पहुंच रहे हैं, न ही खुद तैयार करने के लिये जरी का सामान मिल रहा है। ऐसे में कारीगर खाली हाथ बैठे हुये हैं। जबकि विगत वर्षो में अप्रैल, मई, जून की साहलग सीजन में एडवांस बुकिंग रहती थी। दो वर्षो से साहलग सीजन में कारोबार प्रभावित है।
जयपुर, आगरा से मिलते हैं आर्डर
स्थानीय कारीगरों को जयपुर एवं आगरा से ज्यादातर आर्डर मिलते हैं। यहां के ठेकेदार एडवांस में कारीगरों को कच्चा मॉल देकर अपनी पसंद एवं डिजायन के आइटम तैयार कराते हैं और तैयार मॉल के लिये गैर राज्यों के साथ ही विदेशों तक में मुनाफे के साथ सप्लाई करते हैं।
सरकार करें मदद
शेखूपुर के जरी कारीगर शाकिब खान ने कहा कि दो साल से जरी का काम करने वालों के सामने रोजगार का संकट है। सरकार को चाहिये कि जरी के काम से जुड़े कारीगरों की मदद की जाये। जिससे उनके सामने आईं दिक्कतें दूर हो सकें।
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