प्रशासन को नहीं पता कम्युनिटी किचन का स्वाद
कोरोना काल ऐसा आया है कि समाजसेवा में भी शोषण है। समाज सेवा करने लोग निकल पड़े हैं लेकिन भूखे प्यासे लोगों को क्या बांट रहे हैं उसका क्या स्वाद है...
बदायूं। संवाददाता
कोरोना काल ऐसा आया है कि समाजसेवा में भी शोषण है। समाज सेवा करने लोग निकल पड़े हैं लेकिन भूखे प्यासे लोगों को क्या बांट रहे हैं उसका क्या स्वाद है इसकी जानकारी वितरण करने वालों को भी नहीं है। एक बार बने भोजन के पैकेट भी दो-दो दिन तक बांट जा रहे हैं। इसका स्वाद आज तक प्रशासन के अफसरों ने भी नहीं लिया। अफसरों ने सिर्फ परमिशन देकर छोड़ दिया।
शहर में चार कम्युनिटी किचन संचालित हैं। इसके अलावा बिल्सी, बिसौली, सहित देहात के कई स्थानों पर भी कम्युनिटी किचन चल रही हैं। तहसीलों में प्रशासन के द्वारा कम्युनिट किचन चल रहे हैं। समाजसेवा करने के लिये प्रशासन ने प्राइवेट कम्युनिटी किचन वालों को अनुमित लेकर छोड़ दिया है। सरकारी कम्युनिटी किचन को खुलवाने का आदेश देकर भूल गये हैं।
शहर में प्राइवेड बस स्टैंड स्थित सरकारी आश्रय स्थल पर तहसील प्रशासन कम्युनिटी किचन चल रहा है जो केवल लेखपाल चला रहे हैं। यह दावा प्रशासन कर रहा है। हकीकत में यहां किचन सूनी पड़ी है। भोजना कहां बन रहा और कौन बना रहा, कहां बंट रहा, यह किसी को पता नहीं। किसी भी जिम्मेदार अफसर ने जाकर यह नहीं देखा कि खाना बन कहां रहा, वितरण कहां हो रहा है। जो अधिकारी वितरण का दावा कर रहे हैं वे पता नहीं खाने के पैकेट कहां से ला रहे? यही हाल प्राइवेट किचन का है, किसी भी कम्युनिटी प्राइवेट किचन का न तो किसी अफसर ने निरीक्षण किया न ही खाद्य विभाग की टीम ने स्वाद चखा।
यही कारण है कि कम्युनिटी किचन का प्रशासन को स्वाद पता नहीं है। सरकारी कम्युनिटी किचन पर साफ-सफाई ठीक नहीं है तो वहीं संस्थायें क्या बांट रही हैं, ये अफसरों को नहीं पता। बीते दिनों एक संस्था ने दो दिन का रखा हुआ खाना बांटा था, जिसे बाद में लोगों को फेंकना पड़ा और आपत्ति जताई थी।
पशुपालन विभाग भी बेपवरवाह
शहर से देहात तक आवारा पशुओं के आगे कोरोना काल में क्या संकट है इससे पशुपालन विभाग बिल्कुल अनजान है। पशुपालन विभाग को इसकी जानकारी नहीं है, वहीं समाजसेवा में पशुओं को क्या-क्या खिलाया जा रहा है और कितने पशु बीमार हो रहे हैं लेकिन पशुपालन विभाग ने इसकी कोई सुध नहीं ली है। शहर की सड़कों पर भूखे घूमते पशुओं का जिम्मा सिर्फ पशु पालकों के कंधों पर है।
शहर में चार कम्युनिटी किचन चल रही हैं, देहात में भी कुछ हैं। कम्युनिटी किचन के भोजन के बारे में शिकायत तो कोई नहीं आयी। गुणवत्ता को चेक नहीं कराया है, फिर भी खाद्य विभाग को निर्देशित करते हैं कि वह अपनी टीम से कम्युनिटी किचन को चेक करायें।
अमित कुमार, नगर मजिस्ट्रेट
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