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सरमेरा में एक भी महिला डॉक्टर नहीं, इलाज के लिए जाना पड़ता है बाहर
गंभीर महिला रोगी इलाज के लिए सदर अस्पताल पर पूरी तरह निर्भर
गरीब परिवार की महिलाओं का इलाज ग्रामीण चिकित्सक के भरोसे
सरमेरा मुख्यालय में निजी लेडी डॉक्टर भी नहीं
फोटो:
सरमेरा अस्पताल: सरमेरा सामुदायिक अस्पताल भवन।
सरमेरा। निज संवाददाता
सरमेरा प्रखंड के किसी भी अस्पताल में एक भी महिला डॉक्टर नहीं है। ऐसे में यहां की महिलाओं को गंभीर रोगों के इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है। जहां, पैसे और समय की बर्बादी होती है। इस इलाके की गंभीर महिला रोगियों को इलाज के लिए सदर अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ता है। इमरजेंसी में यहां की महिलाओं को इलाज के लिए बरबीघा अस्पताल का कभी कभार सहाराल लेना पड़ता है। गरीब परिवार की महिलाओं का इलाज तो ग्रामीण चिकित्सक के भरोसे ही है। इतना ही नहीं सरमेरा मुख्यालय में निजी तौर पर भी एक लेडी डॉक्टर तक नहीं है।
जिले के सुदूरवर्ती सरमेरा प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लेडी डॉक्टर की पोस्टिंग नहीं होने से लगभग लाख एक लाख की आबादी प्रभावित है।
कुछ वर्ष पहले सरमेरा में लेडी डॉक्टर की तैनाती की गई थी। लेकिन महज छह माह में ही उनका तबादला कर दिया गया। तब से इस प्रखंड में कोई महिला डॉक्टर नहीं आयी है। निजी क्लीनिकों में भी कहीं महिला चिकित्सक नहीं है। ऐसी स्थिति में गर्भवती महिलाओं की गंभीर हालत होने पर 36 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय जाने की मजबूरी हो जाती है। संपन्न परिवार की महिलाएं अपने साधन से इलाज कराने के लिए बिहारशरीफ चली जाती हैं। पर गरीब गुरबा महिलाएं खासकर रात में जिला मुख्यालय तक नहीं पहुंच पाती हैं। वे जान जोखिम में डालकर नीम हकीम के भरोसे ही इलाज कराने के लिए बाध्य हो जाती हैं।
अस्पताल सिर्फ प्रसव के लिए नहीं होनी चाहिए:
सरमेरा प्रखंड की महिला जनप्रतिनिधी धनुकी पंचायत की मुखिया सीमा कुमारी, मीरनगर पंचायत की पूर्व मुखिया गायत्री देवी, मुखिया सह जदयू नेत्री मणी देवी, चेरो की मुखिया रिंकी कुमारी, केनार की पूर्व मुखिया मुंद्रिका देवी, मलावा की पूर्व मुखिया विजय कुमार सिंह, विवेक कुमार उर्फ मुन्नु बाबु, ससौर पंचायत की मुखिया प्रेमलता व अन्य स्थानीय महिलाओं ने स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से इस अस्पताल में एक महिला डॉक्टर की पोस्टिंग करने की अपील की है। ताकि, महिलाओं का यहां आसानी से इलाज हो सके। इन जनप्रतिनिधियों ने कहा कि अस्पताल सिर्फ प्रसव या सर्दी खांसी बुखार के इलाज के लिए नहीं होनी चाहिए। इन अस्पतालों में स्त्री रोग के इलाज की भी व्यवस्था होनी चाहिए। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तो खुल गया। लेकिन, यहां लेडी डॉक्टर की पोस्टिंग नहीं की गयी। इसका खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। बिहारशरीफ तक आने जाने में पूरा दिन लग जाता है। कभी कभार जांच कराने के कारण महिलाओं को बिहारशरीफ में रात भी गुजारनी पड़ती है।
होने चाहिए 12 एक भी नहीं :
‘भारत में स्वास्थ्य के लिए मानव संसाधन शीर्षक एक अध्ययन में कहा गया है कि देश में महिला डॉक्टरों की काफी कमी है। ग्रामीण इलाकों में दस हजार की आबादी पर महज एक महिला डॉक्टर हैं। सरकारी व निजी डॉक्टरों को मिलाकर इसे देखा गया है। इस हिसाब से सरमेरा की वर्तमान आबादी लगभग एक लाख 24 हजार 266 को देखते हुए 12 महिला डॉक्टर होने चाहिए। लेकिन, यहां एक भी महिला डॉक्टर नहीं हैं।
कहते हैं अधिकारी:
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लेडी डॉक्टर के नहीं रहने से महिलाओं का इलाज सही ढंग से कर पाना मुश्किल है। वरीय पदाधिकारी के पास इस समस्या को रखेंगे। साथ ही नालंदा के सीएस डॉ. सुनील कुमार से इस अस्पताल में लेडी डॉक्टर की पोस्टिंग कराने का अनुरोध करेंगे। उपलब्ध संसाधनों से लोगों के इलाज की बेहतर व्यवस्था की जा रही है।
डॉ. अजीत कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी, सरमेरा
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