माता-पिता भगवान के साक्षत् रूप उनकी सेवा करें-कथा व्यास
Ayodhya News - मिल्कीपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस पर पं सुरेश शुक्ल ने प्रेम और भक्ति का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि माता-पिता भगवान के स्वरूप हैं और उनकी सेवा करनी चाहिए। भगवान कृष्ण की लीलाओं से...
मिल्कीपुर,संवाददाता। चाहे जितना यत्न कर लो जब तक हृदय में प्रेम नहीं होगा भगवान नहीं मिलेंगे, भगवान को प्रेम से ही पाया जा सकता है। इसलिए भगवान से प्रेम करो, आडम्बर में मत फंसो। माता- पिता साक्षात भगवान के स्वरूप हैं, उनकी सेवा करो। उक्त बातें कथावाचक पं सुरेश शुक्ल ने परसवां पूरे शुक्ल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस बाल लीला एवं गोवर्धन पूजा की कथा सुनाते हुए कही। कथा व्यास ने कहा कि भगवान की लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक हैं। भगवान कृष्ण अपनी अनेक लीलाओं से लोगों का मन मोहा करते थे। नटखट स्वभाव के चलते यशोदा मां के पास उनकी हर रोज शिकायत आती थी। मां उन्हें कहती थी कि प्रतिदिन तुम माखन चुरा के खाया करते हो, तो वह तुरंत मुंह खोलकर मां को दिखा दिया करते थे कि मैंने माखन नहीं खाया। प्रसंग में बताया गया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ। इस अवसर पर गोवर्धन भगवान को छप्पन भोग लगाया गया।कथा में मुख्य यजमान राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, राधेलली शुक्ला, राजनरायन शुक्ला, राज बहादुर शुक्ला, शैलेन्द्र शुक्ला, आलोक द्विवेदी, प्रभाकर मिश्रा, प्रमोद पाण्डेय, राजेन्द्र प्रसाद तिवारी, अनिल तिवारी सहित अनेक लोगों ने कथा का रसपान किया।
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