भगवत् भजन ही सभी शास्त्रों का सार : आचार्य राधेश
बीकापुर के जोड़ियां गांव में द्वितीय दिवस की भागवत कथा में आचार्य राधेश शास्त्री ने बताया कि मन का सच्चा गुरु आत्मा है। उन्होंने कलियुग में दान और दया के महत्व पर जोर दिया। राजा परीक्षित और शमीक ऋषि...
बीकापुर। सरायसागर के जोड़ियां गांव में चल रही द्वितीय दिवस की भागवत कथा में आचार्य राधेश शास्त्री ने बताया की मन का सच्चा गुरु आत्मा है। ‘दानं एकम कलियुगे... कलयुग में दान और दया के सहारे धर्म रह गया है। राजा परीक्षित ने शमीक ऋषि के गले में मरा हुआ सांप पहनाया, किंतु ऐसा करके उन्होंने अपने गले में तो मानो जीवित सांप ही पहन लिया हो। सर्प काल का स्वरूप है। सभी इंद्रिय वृत्तियों को अंतर्मुख करके प्रभु में फंसा हुआ ज्ञानी जीव के गले में सर्प पहनाने का अर्थ है। काल को मारना जितेंद्रिय योगी का काल स्वयं मरता है अर्थात काल उसे प्रभावित नहीं कर सकता। राजा का अर्थ है रजोगुण में फंसा हुआ प्रधान बिलासी जीव। ऐसों के गले में सर्प लटकता है अर्थात जीवित सर्प उसके गले में है। इस मौके पर रामदत्त तिवारी, तेज प्रताप तिवारी, सूर्य नारायण तिवारी, गुड्डू पाण्डेय, निशाकांत तिवारी, कुन्नू तिवारी, राजन तिवारी व अन्य श्रोताओं ने व्यास का माल्यार्पण किया।
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