कथा सुने बिना अज्ञानता का नाश नहीं होता : राधेश शास्त्री
बीकापुर के भावापुर में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य राधेश शास्त्री ने कहा कि कथा सुनने से मनुष्य को ज्ञान मिलता है और वह निर्भय बनता है। उन्होंने ध्रुव और प्रह्लाद...
बीकापुर। भावापुर मजरे नेवादा में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन वृन्दावन धाम के कथा ब्यास आचार्य राधेश शास्त्री ने कहा कि कथा सुने बिना अज्ञानता का नाश नहीं होता। भागवत कथा से मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति होती है जिससे मनुष्य सत्कर्म करते हुए निर्भय हो जाता है। कथा व्यास ने कहा कि ध्रुव जी मृत्यु के सिर पर पांव रखकर स्वर्ग में गए थे। भागवत श्रवण करने से काल का भय समाप्त हो जाता है। भागवत सुनकर परमात्मा के साथ प्रेम करने पर उसे काल का भय नहीं लगता। जो भागवत का आश्रय लेते हैं वे निर्भय बनकर मृत्यु को अमंगल मानते हैं परंतु मृत्यु अमंगल नहीं है मृत्यु काल परमात्मा का सेवक है। अतः मंगल भी है। कथा ब्यास ने कहा कि पाप करते समय तो मनुष्य डरता नहीं है, डरता है तब जब पापों की सजा भुगतने का समय आता है। मनुष्य किसी भी दिन ईश्वर का भय नहीं रखता है इसलिए वह दु:खी होता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा का स्वभाव अतिशय सुन्दर है दूसरों के दुख को दूर करने का परमात्मा का स्वभाव है। कथा व्यास ने ध्रुव चरित्र और प्रह्लाद चरित्र की कथा सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। इस अवसर पर हुबराज (पूर्व विधायक सोहावल), रमाकांत दुबे,कमलेश द्विवेदी, सूर्य नारायण दुबे रज्जू, वेदप्रकाश दूबे, माता प्रसाद दूबे ,दूधनाथ दूबे, अलख कुमार पाण्डेय सहित नेवादा भावापुर गांव के श्रोतागणों ने भागवत कथा का रसपान किया।
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