राम विवाह के लिए अयोध्या से जनकपुर जाएगी भव्य बारात
अयोध्या से जनकपुर धाम तक राम बारात यात्रा 26 नवंबर को निकाली जाएगी। यह परंपरा 2004 से हर पांचवें वर्ष आयोजित होती है। इस बार विवाह पंचमी 6 दिसंबर को है। विश्व हिंदू परिषद ने इस यात्रा की जिम्मेदारी ली...
अयोध्या, संवाददाता। भारत व नेपाल के सांस्कृतिक सम्बन्धों को प्रगाढ बनाने में सनातन काल से कायम रिश्ता आज भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। इस परम्परा का निर्वाह संतों की अगुवाई में होता आ रहा है। इसी कड़ी में वर्ष 2004 से विश्व हिन्दू परिषद ने भी भव्य राम बारात ले जाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली। तब से हर पांचवें साल इस परम्परा का निर्वहन हो रहा है। मध्य के वर्षों में लक्ष्मण जिलाधीश महंत मैथिली रमण शरण आचार्य परम्परा का निर्वाह करते हैं। यहां सबसे पहले लक्ष्मण किलाधीश महंत सीताराम शरण ने राम बारात निकाली थी। फिलहाल इस विहिप की ओर से फिर राम बारात निकाली जाएगी। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने बताया कि 2004 से हर पांचवें साल अयोध्या से श्री राम बारात यात्रा जनकपुर धाम के लिए जाती है। पिछली बार 2019 में बालाजी जनकपुर गयी थी। इस बार पुनः यह यात्रा 26 नवंबर को जाएगी। विवाह पंचमी छह दिसंबर को है। उन्होंने बताया कि प्रभु राम अपने मंदिर में विराजमान हो चुके हैं जिस प्रकार प्राण प्रतिष्ठा हुई थी उसी प्रकार प्रभु राम का विवाह भी धूमधाम के साथ उत्साह के साथ मनाया जाएगा। कुछ चीज जो अभी तक नहीं होती थी वह भी इस बार शामिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हम लोगों ने तैयारी शुरू कर दी हैं।
अगहन पंचमी पर्व पर अयोध्या में दर्जनों मंदिरों से निकलती है राम बारात:
श्रीसीताराम विवाहोत्सव अयोध्या के सभी पर्वों में सर्वाधिक आकर्षक उत्सव है। इस उत्सव का आयोजन अगहन पंचमी के सप्ताह भर पहले से शुरू होता है। इस अवसर दर्जनों मंदिरों से भगवान राम की बारात भी निकाली जाती है और फिर रात्रि में विधि विधान से विवाहोत्सव का आयोजन होता है। इस उत्सव में भाग लेने के लिए देश भर के श्रद्धालु यहां आते हैं और अपने अपने गुरु स्थानों में आश्रय लेकर स्वयं वर-वधू पक्ष में खड़े होकर रीति निभातें है। विअहुति भवन अयोध्या का अकेला ऐसा मंदिर है जहां विवाह उपासना ही होती है। यहां चैत्र व बैसाख मास के अतिरिक्त ज्येष्ठ मास को छोड़कर शेष सभी मास की पंचमी को राम विवाहोत्सव का आयोजन किया जाता है। यहां भगवान श्रीसीताराम कोहबर में ही निवास करते हैं इसलिए यहां श्रीराम चरित मानस का पाठ भगवान के विवाह तक ही होता है। यहां भगवान के प्रतीक रुप में रामायण का ही पूजन किया जाता है।
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