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बोले अयोध्या: रामनगरी में खो गया ‘नन्हें फरिश्तों का बचपन

Ayodhya News - अयोध्या में बाल श्रम की समस्या गंभीर होती जा रही है। बच्चे, जो स्कूल में पढ़ाई करने के बजाय काम करने को मजबूर हैं, परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद कर रहे हैं। बाल श्रम को खत्म करने के लिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, अयोध्याMon, 24 Feb 2025 05:47 PM
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बोले अयोध्या:  रामनगरी में खो गया ‘नन्हें फरिश्तों का बचपन

अयोध्या। जिन कोमल हाथों में कलम व किताबें होनी चाहिए, उन हाथों में जूठे बर्तन और टेम्पो व ई- रिक्शा की स्टेयरिंग थमा दी गई है। चेहरे पर मासूमियत लिए किशोर अन्य बच्चों की तरह स्कूलों में भविष्य गढ़ने का ख्वाब न देखकर परिवार के जीविकोपार्जन की रीढ़ बन चुके हैं और बालश्रम की भट्टी में खुद को तपा रहे हैं। रामनगरी अयोध्या सहित ग्रामीण इलाके में बालश्रम का कार्य धड़ल्ले से जारी है। चाय का होटल, ढाबा, पंचर की दकान हो या सड़कों व कबाड़ बीनते नौनिहाल सरकारी अमले के लिए चुनौती बन चुके हैं। सदियों से बालश्रम की रूढ़िवादिता चली आ रही है। जिसे खत्म करने के लिए बाश्रम कानून से लेकर शासन- प्रशासन, समाजसेवी संगठन व अन्य की तमाम कवायदें चल रही हैं, लेकिन महज औपचरिकता तक सिमटकर रह गया और धरातल पर सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। बालश्रम को बढ़ाने में अशिक्षा, गरीबी, बढ़ती आबादी व बेरोजगारी का अहम रोल है। जिस पर अंकुश के लिए हर किसी को समाज में एक अगुवा की भूमिका निभाकर ‘नन्हें फरिश्तों के बालपन को वापस लौटना होगा।

ए छोटू इधर आ एक चाय- नमकीन ला...

मवई। अक्सर होटल ढाबों पर छोटू मिल ही जाता है। यह नाम का ही नहीं, बल्कि काम में भी छोटे होते हैं, क्योंकि ये होटल- ढाबे व अन्य प्रतिष्ठानों पर बाल मजूदर के रूप में कार्यरत होते हैं। रविवार को ‘हिन्दुस्तान ने विशेष अभियान के तहत रूदौली तहसील के रानीमऊ चौराहे के एक होटल पर छोटू नाम सुनकर तमाम जगहों पर बालश्रम करने वाले छोटू की याद दिला दी। इसके अलावा वहीं रानीमऊ में दो मासूम बच्चे बाइक सर्विसिंग का काम करते नजर आए। कक्षा- चार व कक्षा छह में पढ़ाई करने वाले दोनों मासूम बच्चों ने बताया कि गरीबी से उबरने के लिए हुनर सीखने आया हूं। आगे बढ़ने पर ढाबे पर एक बुजर्ग को चाय पानी दे रहे दो मासूम ने बताया पैसे के लिए काम करता हूं। होटल व्यवसाई का कहना था कि कई बार मना किया, लेकिन ये दोनों नहीं जाते। रुदौली तहसील क्षेत्र के राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे भेलसर में स्थित एक होटल में तीन छोटू नामक बच्चे काम करतेनजर आए। होटल मालिक ने बताया कि मंहगाई में बड़े आदमी कहां रख पाएंगे। ये सभी बच्चे अपने माता- पिता से पूंछकर काम करते हैं। किसी को जबरदस्ती नहीं रखा गया है। अयोध्या में एक नाबालिक ई-रिक्शा चलाते हुए बताया परिवार के भरण- पोषण के लिए मजबूरी में ये काम कर रहा हूं।

शादी- विवाह व पार्टियों में बालश्रम का मिलेगा नमूना

अयोध्या। शहरी या ग्रामीण इलाके में शादी-विवाह या पार्टियों में अब बेटर का प्रचलन काफी बढ़ गया है। विभिन्न आयोजनों में अधिकतर बालश्रमिक मेहमानों को चाय- पानी, खाना परोसते नजर आते हैं। जहां आयोजन होते हें उसी में तमाम तमगेदार अधिकारी व नेता शरीक होते हैं और उनकी खुशामद में ये बालश्रमिक जी- हुजूरी करते रहते हैं, लेकिन बालश्रम पर अंकुश के लिए उनकी निगाहें नहीं उठती, बल्कि बच्चों को बख्शीस देकर चलते बनते हैं। बताया जाता है कि बालश्रमिकों को बेटर के रूप में इस्तेमाल करने की वजह कम पैसे की मजदूरी का भुगतान होता है। इसलिए बच्चों को बेटर के काम में वरीयता दी जाती है।

बाल श्रमिकों के भविष्य को संवारने के दावा

अयोध्या। होटल- ढाबों, प्रतिष्ठानों व ईंट भट्ठों पर काम करने वाले बाल श्रमिकों को मुक्त कराकर उनके भविष्य को सरकारी योजनाओं से संवारने के दावा श्रम विभाग द्वारा किया जा रहा है। सहायक श्रम आयुक्त एनके चौधरी की मानें तो बालश्रमिकों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए समय- समय पर अभियान चलाकर होटलों, ढाबा, गैराज, कल-कारखानों में छापेमारी की जाती है। जहां बाल मजदूरी करते हुए मासूम श्रमिकों को मुक्त कराकर उन्हें सरकारी योजनाओं से आच्छादित किया जाता है। अब तक छापेमारी में बाल किशोर श्रमिकों को मुक्त कराकर नजदीकी परिषदीय विद्यालय में प्रवेश दिलाकर शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा गया है। वही कई किशोर श्रमिकों को कौशल विकास योजना के तहत पंजीयन कराकर उन्हें भी रोजगार परक प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। बालश्रमिकों के उत्थान के लिए एक और कल्याणकारी बाल विद्या योजना लाई है। इस योजना के तहत चिन्हित बालक को प्रतिमाह एक हजार व बालिकाओं को 12 सौ रुपए देने का प्रावधान है।

सुझाव-

- बालश्रम को रोकने के लिए गरीब अभिभावकों को जागरूक किया जाय

-बाल श्रम को रोकने के लिए बच्चों की शिक्षा पर जोर दें

- गरीबों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएं

- बच्चों को सस्ती व अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराई जाए

- बालश्रम को रोकने के लिए नियम का सख्ती से पालन हो

शिकायतें-

- ग्रामीण स्तर पर कोई जागरूकता अभियान नहीं चल रहा

- बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने वाली योजनाएं संचालन में हीलाहवाली

- सरकार की कल्याणकारी योजनाएं गरीबों तक नहीं पहुंच रही

- निजी स्कूलों में शिक्षा के लिए फीस पर अंकुश लगे

- बालश्रम को रोकने के लिए बनाए नियमों का सख्ती से पालन न होना

बालश्रम पर बोले-

1- बाल मजदूरी का मुख्य कारण निर्धनता है। बच्चे परिवार की आर्थिक समस्या के कारण परिवार में सहयोग की भावना से कार्य करते हैं। कभी- कभी वह स्वयं स्वेच्छा से होता है और कभी परिवार का दबाव भी होता है। ऐसे परिवार को आर्थिक सहयोग व बच्चों के शिक्षा के लिए मुख्य्मंत्री बाल सेवा योजना, बाल श्रमिक विद्या योजना व केंद्र सरकार की स्पॉन्सरशिप योजना से जोड़कर उन्हें आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाता है। योजना से जोड़ने के बाद निरंतर उनका फॉलोअप भी सीडब्ल्यूसी द्वारा किया जाता है, ताकि वे पुनः बाल श्रम में न जुड़ सकें। जिले में भारी संख्या में बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराया गया है और प्रयास जारी है।

- सर्वेश अवस्थी, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष अयोध्या

2- बालश्रम से जुड़े कानूनों का सख्ती के साथ पालन किया जाना चाहिए। सामाजिक संगठनों के अलावा आम नागरिकों को बालरम पर रोकथाम के लिए जागरूकता लानी चाहिए। बालरम का उल्लंघन करने वाले को सख्त सजा का मिलनी चाहिए और सामाजिक चेतना के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। बालरम के आधा दर्जन मामले में कानूनी तैार पर हस्तक्षेप करके नौनिहालों के भविष्य को बचाया है। हाल ही बालश्रम से जुड़े एक मामले में छह हजार रुपए का जुर्माना कराया है।

- अरशद शेरा, अधिवक्ता

3- जिलाधिकारी के निर्देश पर रुदौली तहसील में गठित टीम द्वारा बालश्रम को रोकने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। मैं स्वयं ईंट भट्ठों व दुकानों पर पहुंचकर लोगों को चेतावनी के साथ बालश्रम न कराने के लिए जागरूक कर रहा हूं। सभी विभागीय अधिकारियों को इसको लेकर जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। बालश्रम पर अंकुश के लिए सामाजिक संगठनों के साथ आम नागरिकों को भी आगे आना होगा, क्योंकि सभी के सहयोग से ही बालश्रम पर पूर्ण रूप से अंकुश लग सकेगा।

- प्रवीण कुमार यादव, एसडीएम रुदौली

4- हमारी सामाजिक संस्था लगातार ‘एक्सेस- टू- जस्टिस के तहत बाल श्रम व बाल शोषण के तहत काम कर रही है। अब तक जिले में बड़ी संख्या में बच्चे बालश्रम में संलिप्त पाए गए हैं। इनमें से कई बच्चे अनाथ है तो बहुतायत का परिवार आर्थिक रुप से कमजोर है। बालश्रम से मुक्त बच्चों के लिए प्रभावी पुनर्वास योजनाएं लागू करने की मांग की है। 25 से 30 बालश्रमिकों को मुक्त कराया गया है। इसमें तीन बालिकाओं को राजकीय बालिका गृह लखनऊ में शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। स्थानीय प्रशासन से बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने की भी मांग की गई है।

- कविता मिश्रा, जिला कोऑर्डिनेटर, अपराजिता

5- टीम द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है, लेकिन अशिक्षा व गरीबी बालश्रम का मुख्य कारण है। अशिक्षित माता-पिता बाल मजदूरी से उनके बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में नहीं जानते हैं। इसलिए बाल मजदूरी के लिए प्रेरित करते हैं। शासन की ओर से तमाम योजनाएं चलाई जा रही है। जिससे अभिभावकों को लाभान्वित कराया जाता है और बालरम पर रोकथाम के प्रयास किए जाते हैं।

- पल्लवी दीक्षित, कोऑर्डिनेटर चाईल्ड लाइन- 1098

6- बालश्रम को रोकने के लिए तहसील स्तर पर गठित नौ सदस्यीय टीम है। जिसमें मैं स्वयं शामिल हूं। मैंने मनरेगा योजना में किसी नाबालिग के जॉबकार्ड न बनाने न ही उनसे काम करवाने का सख्त निर्देश दिया गया है। यदि कोई गरीब बाल श्रमिक की सूचना मिलती है तो उसे टीम के संज्ञान में लाकर विधिक कार्यवाही की जाती है।

- अनुपम वर्मा, बीडीओ सोहावल

7- आरपीएफ के नन्हें फरिश्ते अभियान के तहत अयोध्या धाम जंक्शन पर विभिन्न प्रांत के बच्चों को रेस्क्यू किया गया। बच्चों से पूछताछ में बालश्रम की बात सामने आई, लेकिन सीडब्ल्यूसी के माध्यम से बच्चों के अभिभावकों को सुरक्षित सौंप दिया गया तथा जागरूक भी किया गया। पिछले वर्ष लगभग 22 बच्चों को बालश्रम के बचाने का आरपीएफ ने सफलतापर्वूक प्रयास किया है।

- यशवंत सिंह, आरपीएफ इंस्पेक्टर अयोध्या धाम

8- बालश्रम रोकने के लिए गठित टास्क फोर्स द्वारा बालश्रमिकों का अवमुक्तिकरण बालकल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुतिकरण निः शुल्क चिकित्सीय परीक्षण से लेकर चाइल्ड लाइन में संरक्षण व स्वाभाविक अभिभावकों को सुपुर्द करने की कार्यवाही श्रम विभाग द्वारा किया जाता है। इस पूरी कार्यवाही में हमारी एएचटीयू टीम पूरा सहयोग करती है।

- आशीष निगम, सीओ रुदौली

बोले जिम्मेदार-

जिले में डीएम के निर्देश पर सभी तहसों में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। अप्रैल 24 से जनवरी 25 तक कुल 123 बाल एवं किशोर श्रमिक चिन्हित/अवमुक्त किए गए हैं। दोषी कुल 57 दुकानदारों/ सेवायोजकों के विरुद्ध मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष अभियोजन दायर किया गया गया। श्रम प्रवर्तन अधिकारी द्वारा नियमित निरीक्षण किए जा रहे हैं। सीडीओ द्वारा इसकी समीक्षा भी की जा रही है। बालश्रम की शिकायत मिलने पर तत्काल विघिक कार्रवाई की जाती है और लोगों को जागरूक किया जाता है।

- एनके चौधरी, सहायक श्रम आयुक्त

प्रस्तुति- राममूर्ति यादव/ अनिल कुमार मिश्र, फोटो रवीन्द्र प्रताप सिंह।

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