अगहन पंचमी: धनुर्भंग के साथ संकल्प पूर्ण, स्वयंवर में एक दूजे के हुए दूल्हा -दुल्हिन सरकार
Ayodhya News - अयोध्या में शुक्रवार को श्रीसीताराम विवाह महोत्सव का आयोजन होगा। इस अवसर पर दूल्हा श्रीराम की बारात मंदिरों से निकाली जाएगी। आयोजन में तिलकोत्सव और हल्दी उत्सव जैसी पारंपरिक रस्में निभाई जाएंगी।...
अयोध्या। ‘चलो सखी हिलमिल जनक के आंगन, दूल्हा बनल श्रीराम हे.. मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी के पर्व पर शुक्रवार को श्रीसीताराम विवाह महोत्सव का मुख्य आयोजन होगा। इस अवसर पर मधुर उपासना परम्परा के दर्जनों मंदिरों से दूल्हा श्रीराम व उनके अनुजों परम्परागत बारात शोभायात्रा के रुप में निकाली जाएगी। सभी मंदिरों में धूमधाम से बारात निकालने की तैयारियां हर्षोल्लास के साथ की जा रही है। इस बीच वैवाहिक विधान की अन्य लोक रीतियों का निर्वहन भी विवाह गीतों के गायन 'चलो सखी हिलमिल जनक के आंगन, दूल्हा बनल श्रीराम हे.. ' के साथ किया जा रहा है। जानकी महल में विवाहोत्सव के तीसरे दिन दूल्हा सरकार के तिलकोत्सव का आयोजन श्रद्धा और हर्ष के वातावरण में किया गया। विवाह उपासना की प्रसिद्ध स्थली विअहुति भवन में एक दिन पूर्व तिलकोत्सव का आयोजन हुआ था। वहीं गुरुवार को जनकनंदिनी किशोरीजू के हल्दी के उत्सव का आयोजन हुआ। इस परम्परागत रस्म के निर्वाह के लिए वधू पक्ष से शामिल श्रद्धालुओं के परिवार की महिलाएं श्रद्धा एवं उल्लास के साथ आराध्य देवी के हल्दी उत्सव मनाने में जुटी रही। इस बीच पारम्परिक लोकगीत गायन भी सखी संत करते रहे। मंदिर महंत बैकुंठ शरण महाराज ने बताया कि शुक्रवार को सायं चार बजे बारात निकाली जाएगी। पुजारी रामकृपाल शरण ने अतिथियों का सत्कार किया। आयोजन में शामिल होने के लिए दिल्ली के पूर्व सांसद महावल मिश्र, उनके बेटे व आम आदमी पार्टी के विधायक विनय मिश्र सहित अन्य श्रद्धालु भी यहां पहुंच गये हैं। इसी कड़ी में दशरथ राजमहल बड़ा स्थान में बिंदुगद्याचार्य स्वामी देवेन्द्र प्रसादाचार्य महाराज के सानिध्य में जगद्गुरु राम दिनेशाचार्य रामकथा की रसवर्षा कर रहे है।
विदेह राज जनक की निराशा देखकर महर्षि विश्वामित्र ने दी धनुर्भंग की आज्ञा:
दूसरी ओर प्राचीन रंगमहल में आचार्य परम्परा के अनुसार भगवान के विवाहोत्सव की तैयारियां की गयी हैं। इस दौरान दो साल पुराने काष्ठ के विवाह मंडप को सजाया गया है। इसके साथ इस उपलक्ष्य में आयोजित रामलीला में धनुष भंग लीला का सुंदर मंचन किया। हजारों भूपति जब शिव धनुष को तनिक हिला भी नहीं सके तो विदेह राज जनक निराश हो गये। उनकी निराशा पूर्ण उदबोधन से जहां शेषावतार लक्ष्मणजी का पराक्रम जाग्रत हो उठा। भगवान राम के संकेत पर वह शांत हुए तब महर्षि विश्वामित्र ने उन्हें आज्ञा दी कि 'उठहु राम भंजऊ बहु चापा, मेटहु तात जनक परितापा.. '। गुरु की आज्ञा से भगवान ने धनुष को दो खंड में कर दिया और फिर करतल ध्वनि व पुष्पवर्षा के साथ श्रद्धालुओं ने जयघोष किया। इसी तरह से रामहर्षण कुंज, रामसखी मंदिर व अन्य स्थानों में भी धनुष भंग लीला का मंचन किया गया। जयमाला की औपचारिक विधि के बाद विवाह का निमंत्रण अयोध्या में चक्रवर्ती नरेश महाराज दशरथ को भेजा गया। अपने प्रिय पुत्र के पराक्रम और विवाह का समाचार पाकर हर्षित महाराज दशरथ भी बारात लेकर जनकपुर पहुंच गये हैं। इस क्रम में शुक्रवार को पुनः बारात बैंड-बाजे और हाथी-घोड़े के साथ निकाली जाएगी। यह बारात रामनगरी के प्रतिष्ठित कनकभवन सहित अन्य मंदिरों से निकलेगी।
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