भागवत कथा की विशेषता का किया वर्णन
Auraiya News - - श्री राम जानकी मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा फोटो: 3 आरती पूजन करते लोग। 4 कथा सुनते श्रद्धालुजन।अजीतमल, संवाददाता।तहसील अजीतमल क्षेत्र अ
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अजीतमल, संवाददाता। तहसील अजीतमल क्षेत्र अंतर्गत ग्राम अमावता में स्थिति श्री राम जानकी मंदिर परिसर पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस कथा में आचार्य कमला कांत मिश्रा ने भगवान के चौबीस अवतार और समुद्र मंथन कथा सहित भक्त प्रह्लाद, नरसिंह अवतार, धु्रव चरित्र, विदुर चरित्र, सती चरित्र, वाराह अवतार आदि की कथा के प्रसंग की व्याख्या का वर्णन किया। तीसरे दिन की कथा के शुभारंभ में परीक्षित शिवकांती अवस्थी और आनंद अवस्थी ने व्यास पीठ का पूजन अर्चन कर ब्यासजी का फूल माला पहनकर सम्मान किया। कथा में समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए कहा कि मानव हृदय ही संसार सागर है। मनुष्य के अच्छे और बुरे विचार ही देवता और दानव के द्वारा किया जाने वाला मंथन है। कभी हमारे अंदर अच्छे विचारों का चिंतन मंथन चलता रहता है और कभी हमारे ही अंदर बुरे विचारों का चितन मंथन चलता रहता है। व्यास जी ने बताया कि जिसके अंदर का दानव जीत गया उसका जीवन दुखी। परेशान और कष्ट कठिनाइयों से भरा होगा और जिसके अंदर के देवता जीत गया। उसका जीवन सुखी, संतुष्ट और भगवत प्रेम से भरा हुआ होगा। इसलिए हमेशा अपने विचारों पर पैनी नजर रखते हुए बुरे विचारों को अच्छे विचारों से जीतते हुए अपने मानव जीवन को सुखमय एवं आनंद मय बनाना चाहिए।
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