निसंतानों की झोली भरती हैं मां काली
शहर के आर्य नगर मोहल्ले में प्रसिद्ध काली माता मंदिर स्थापित है। जहां पूरे वर्ष भक्त हाजिरी लगाते हैं। नवरात्र में विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है। दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त मंदिर पर आते हैं।...
शहर के आर्य नगर मोहल्ले में प्रसिद्ध काली माता मंदिर स्थापित है। जहां पूरे वर्ष भक्त हाजिरी लगाते हैं। नवरात्र में विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है। दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त मंदिर पर आते हैं। मान्यता है कि मां के दरबार मे मांगी गई हर मुराद अवश्य पूरी होती है। नवरात्रि पर्व पर श्रद्धालु झंडे व जवारे चढ़ाने आते हैं। पूरे वर्ष यहां पर देवी भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां पर चैत्र व आश्विन मास की नवरात्र में मां के प्रत्येक स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है। मंदिर कमेटी के व्यवस्थापक गोपाल सर्राफ ने बताया की नवरात्र के प्रत्येक दिन मंदिर पर हवन आयोजित किया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते प्रतिदिन होने वाला हवन नहीं किया जा रहा है। मंदिर पर आने वाले श्रद्धालुओं से सामाजिक दूरी का पालन करते हुए माता के दर्शन करने की अपील की जा रही है।
काली माता मंदिर का इतिहास
नगर के काली देवी मंदिर की प्राचीनता के बारे में बुजुर्गों का कहना है की यह मंदिर लगभग 150 वर्ष पुराना है। यहां पर स्थापित मूर्ति सिद्ध पीठ है। मां से मांगी गई हर प्रकार की मन्नतें श्रद्धालुओं की यहां पूरी होती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि माता निसंतान दंपतियों की झोली भरती है। मन्नत पूरी होने के बाद भक्त यहां आकर झंडा, चुनरी व श्रृंगार का सामान चढ़ाते हैं। जबकि कुछ भक्त मंदिर पर भागवत या भंडारे कराने का भी संकल्प लेकर आते हैं। जबकि कुछ भक्त हवन का भी संकल्प लेते हैं और मन्नत पूरी होने पर मां के दरबार में हवन कराते हैं। काली माता का यह मंदिर शहर के कानपुर रोड के उत्तरी तरफ स्थित है। आवास विकास होते हुए मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। दिबियापुर रोड पर तहसील तिराहा से भी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
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