गजब! शौचालय बने नही, ओडीएफ घोषित कर दिया गांव
Auraiya News - सहार विकास खंड के बेलूपुर गांव में आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। लाखों रुपए खर्च करके बनवाए गए शौचालयों की गणना तो की जा सकती है लेकिन वह उपयोग लायक नहीं है। किसी में दरवाजा नहीं है तो...
सहायल। हिन्दुस्तान संवाद
सहार विकास खंड के बेलूपुर गांव में आज भी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। लाखों रुपए खर्च करके बनवाए गए शौचालयों की गणना तो की जा सकती है लेकिन वह उपयोग लायक नहीं है। किसी में दरवाजा नहीं है तो किसी भी सीट, किसी भी गड्ढा नहीं है तो किसी में छत ही नहीं लगी। लिहाजा, इस गांव के लिए ओडीएफ बेइमानी साबित हो रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले की ग्राम पंचायतों को खुले में शौच मुक्त करना था। 2016 में कराए गए बेसलाइन सर्वे में मिले शौचालय विहीन परिवारों को प्रति शौचालय निर्माण के लिए 12 हजार रुपए की धनराशि दी गई थी। करोड़ों रुपया खर्च करने के बाद भी दो वर्षों में जैसे-तैसे शौचालयों का निर्माण हुआ, लेकिन यह उपयोग लायक नहीं रहे। हालांकि, सहार ब्लॉक के कुछ गांवों में प्रधान व सचिव की अच्छी तालमेल से इज्जतघर बन गए। लेकिन सहार ब्लॉक की ग्राम पंचायत बेलूपुर व उसके मजरों पीतमपुर, महाराजपुर, बेलूपुर का हाल नही बदला। पीतमपुर गांव में शौचालय बनने के बाद ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं। बेलूपुर व पीतमपुर के ग्रामीण रामकुमार, पंकज, कृष्ण कुमार, शैलेन्द्र कुमार, संतोष कुमार, राम सेवक ने बताया कि जो भी शौचालय बनवाए गए थे वह गुणवत्ताविहीन थे अब वह गिरने की कगार पर हैं। कई शौचालय गिर भी चुके हैं, जबकि कई शौचालय अभी अधूरे पड़े हैं। कई में गेट नहीं लगे तो कई में सीट नहीं है। जिसके चलते ग्रामीण व बच्चे खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं। सौ प्रतिशत उपयोग कर जिलों को ओडीएफ कर लिया गया। विभाग का दावा है कि ओडीएफ को लेकर जो मानक तय किए गए थे उसका पूरा ध्यान रखा गया है। हर शौचालय मानक के अनुसार बनाया गया है। विभागीय दृष्टिकोण से ओडीएफ हो चुके गांवों पर नजर डाले तो टूटे व अधूरे पड़े शौचालय और इनके निर्माण के बाद भी लोग बाहर शौच के लिए जा रहे हैं। यह हाल तब है जब प्रशिक्षण के नाम पर लाखों रुपया खर्च किया गया था।
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