मंदिर की खुदाई के दौरान जमीन से निकला खजाना, पीतल के बक्से में मिली अष्टधातु की मूर्ति और प्राचीन सिक्के
- लखीमपुर खीरी में श्री बालाजी मंदिर में चबूतरे की खुदाई के दौरान कुछ पुराने सिक्के और अष्टधातु की मूर्ति बरामद हुई। मामले की सूचना क्षेत्र में कुछ ही देर में आग की तरह फैल गई। सूचना के बाद मौके पर पुलिस सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ जा पहुंची।
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यूपी के लखीमपुर खीरी से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां संपूर्णानगर स्थित श्री बालाजी मंदिर में चबूतरे की खुदाई के दौरान कुछ पुराने सिक्के और अष्टधातु की मूर्ति बरामद हुई। मामले की सूचना क्षेत्र में कुछ ही देर में आग की तरह फैल गई। सूचना के बाद मौके पर पुलिस सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ जा पहुंची। खुदाई के दौरान जमीन से मिले पुराने सिक्के व मूर्ति को पुजारी की निगरानी में मंदिर में रखवा दिया गया हैं।
बता दें कि संपूर्णानगर के सिंगाही खुर्द में बालाजी मंदिर की स्थापना 2 साल पहले ही हुई थी। मंदिर को बनने में चार साल पहले ही कार्य शुरू हुआ था। मंदिर परिसर में अब सिंदूरी वाले हनुमान जी व बालाजी खाटू श्याम की प्रतिमा स्थापित करने के लिए चबूतरे का निर्माण कराया जा रहा है। जिसको लेकर उसकी नींव खुदाई का कार्य सोमवार को हुआ। बताया जाता है कि जैसे ही खुदाई शुरू हुई नीचे से एक पीतल का बक्सा दिखाई दिया। जिसमें श्रीराम की प्रतिमा सहित पुराने सिक्के त्रिशूल व मोती मिले। यह खबर क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। देखने वालों की भीड़ लग गई। मौके पर पुलिस भी पहुंच गई। लोगों ने बताया कि अष्टधातु की मूर्ति व पुराने सिक्के व कुछ मोती मिले हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि पुराने सिक्के मोती के साथ मिली मूर्ति पीतल की, चांदी व तांबे का त्रिशूल होना बताया जा रहा हैं।
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में सदियों पुरानी पांडुलिपी
उधर, आगरा स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय स्थित कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी अभिलेख धरोहर संग्रहालय एवं शोध केंद्र लोगों के लिए खोल दिया गया है। यहां पर सदियों पुरानी पांडुलिपि और हस्तलेख उपलब्ध हैं। इसके अलावा संग्रहालय में इंडो-बैक्ट्रियन सिक्का भी मौजूद है। पाल राजवंश के दो स्वर्ण धातु के सिक्के हैं। इन सिक्कों के एक तरफ देवनागरी लिपि में पाल तथा छोटे आकार में हाथी या घोड़ा और दूसरी तरफ देवी या देवता का चित्र अंकित है।