होलिका दहन के लिए हसनपुर के गांवों में तैयार की गईं गोबर की गुलरियां
Amroha News - हसनपुर। गांवों में होली में जलाने के लिए बड़े पैमाने पर गोबर की गुलरियां तैयार की गई हैं। बच्चे खुशी-खुशी गुलरियां बनाने के बाद इन्हें धूप में सुखा

गांवों में होली में जलाने के लिए बड़े पैमाने पर गोबर की गुलरियां तैयार की गई हैं। बच्चे खुशी-खुशी गुलरियां बनाने के बाद इन्हें धूप में सुखा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि वर्षों पहले हरे पेड़ काटकर होली में जलाए जाते थे। इससे पेड़-पौधे नष्ट होने के संग प्रदूषण भी बढ़ रहा था। इस संबंध में सरकार के संग स्थानीय संस्थाओं द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा था। पिछले वर्ष नगर की एक संस्था द्वारा शहर से लेकर गांव तक जन संपर्क करते हुए होली पर पेड़-पौधों की जगह गोबर की गुलरियां तैयार कर जलाने की अपील की गई थी। इस बार इसका परिणाम मिलता दिखाई दे रहा है। हथियाखेड़ा निवासी चंद्रपाल सिंह का कहना है कि इस बार गुलरियां बनाने को लेकर बच्चों में उत्साह देखा जा रहा है। तमाम घरों में गुलरियां तैयार की गई हैं। अब बच्चे इन्हें होली में जलाने के लिए धूप में सूखा रहे हैं। रुखालू निवासी रामपाल सिंह का कहना है कि पेड़ काट कर जलाने की परंपरा के स्थान पर फिर से गोबर के उपले व गुलरियां के प्रति लोगों का रुझान बढ़ रहा है।
इन गांवों में तैयार हुईं गोबर की गुलरिया
हसनपुर। क्षेत्र के गांव हथियाखेड़ा, रुखालू, मिलक घेर, भैंसरोली, सिरसा गुर्जर, बाईखेड़ा, गंगाचोली, सतेड़ा, दयावली, अल्लीपुर खादर, आदमपुर, दढ़ियाल, काई-मरौरा, देहरी खादर आदि गांवों में अधिकांश हिन्दू घरों में होली के लिए गुलरियां तैयार की गई हैं। बताया जा रहा है कि उक्त गांवों के आसपास पहले घने जंगल थे। इसलिए युवा व बच्चे आदि पेड़ काटकर होली में जलाते थे। अब जंगल कम होने व इस संबंध में आई जागरूकता के चलते बड़े पैमाने पर गुलरियां तैयार की जा रही हैं।
गोबर में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो वायुमंडल के हानिकारक बैक्टीरिया को मारते हैं। गोबर जलाने से वातावरण शुद्ध होता है। दूसरी ओर लकड़ी जलाने से कई जहरीले गैस निकलती हैं, जिससे वातावरण प्रदूषित होता है।
डा.ध्रुवेंद्र कुमार, चिकित्साधीक्षक सीएचसी हसनपुर
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