पराली जलाने की घटनाओं को रोकने को प्रशासन सख्त
अमरोहा, संवाददाता। धान की पराली जलाने की घटनाओं को रोकने को प्रशासन सख्त हो गया है। जनपद और तहसील स्तर पर टीमों का गठन किया गया है। साथ ही लखनऊ और दिल
धान की पराली जलाने की घटनाओं को रोकने को प्रशासन सख्त हो गया है। जनपद और तहसील स्तर पर टीमों का गठन किया गया है। साथ ही लखनऊ और दिल्ली से लगातार सेटेलाइट द्वारा इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है। उप कृषि निदेशक राम प्रवेश के मुताबिक फसल अवशेष जलाने से होने वाले दुष्परिणाम से किसानों को अवगत कराने को जागरूकता अभियान चलाया गया है। इसके अंतर्गत फसल का अवशेष का प्रबंधन किस प्रकार किया जाए, इस संबंध में किसानों को जानकारी दी जा रही है। साथ ही गन्ने की पत्ती व धान की पराली व अन्य फसलों के अवशेष को नष्ट कराने के लिए डी कंपोजर मलचर का प्रयोग करने के प्रति किसानों को जागरूक किया जा रहा है। बताया कि फसल अवशेष जलाने से निकलने वाली कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड गैस बहुत ही खतरनाक है जो लगातार पर्यावरण को दूषित कर रही है। यदि इस पर विचार नहीं किया गया रोक नहीं लगाई गई तो परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सभी किसान फसल अवशेष निस्तारण के लिए उपयुक्त विधि को प्रयोग में लाएं। यदि फसल अवशेष में पराली अधिक है तो गोशाला में भेंजे या सूचित करें। फसल अवशेष को डी कंपोजर मलचर का प्रयोग कर उसे नष्ट करें। यह फसल के लिए भी लाभदायक होगी। फसल अवशेष जैविक खाद के रूप में बन सकेंगे। उन्होंने बताया कि यदि किसान फसल अवशेष जलाने से नहीं मानते हैं तो कानूनी प्रक्रिया का सहारा लिया जाएगा।
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