शायरों ने नातिया महफिल में बयां की रसूले खुदा की शान
Amroha News - अमरोहा। शायर हाफिज शमीम अमरोहवी की याद में अदबी संस्था अरबाबे दबिस्ताने अमरोहा के संयोजन में शहर के मोहल्ला बगला में नातिया महफिल का आयोजन किया गया। ज

शायर हाफिज शमीम अमरोहवी की याद में अदबी संस्था अरबाबे दबिस्ताने अमरोहा के संयोजन में शहर के मोहल्ला बगला में नातिया महफिल का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों ने रसूले खुदा की शान में कलाम पेश कर महफिल में नूरानियत का रंग भर दिया। शनिवार रात सजी इस महफिल की अध्यक्षता डा.सिराजुद्दीन हाशमी ने की। वरिष्ठ शायर जुनैद अकरम फारूकी व आईएम इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डा.जमशेद कमाल बतौर मुख्य अतिथि शामिल रहे। शुरुआत हाजी अनीस अहमद ने तिलावत से की। इसके बाद मौलाना साद अमरोहवी ने कहा...हथेली से खुशबू नहीं जा रही है, हथेली पे जब से मोहम्मद लिखा है। डा.जमशेद कमाल ने पढ़ा...यहां तो दूर तलक तीरगी है नफरत की, चरागे इश्के मोहम्मद जला लिया जाए। जमशेद नवाज ने फरमाया...मेरे फुजूल ख्यालों को मात हो जाए, कलम गजल को उठाऊं तो नात हो जाए। जुबैर इब्ने सैफी ने कहा...सारे जहां को दरसे मसावात दे गया, वो बोरिया नशीन वो सुल्ताने कायनात। अनीस अमरोहवी यूं पढ़ा...खुदारा मदीने की ताबीर निकले, मैं ख्वाबों में अपने सफर देखता हूं। इनके अलावा नुदरत नवाज, ताजदार अहमद, अंदाज अमरोहवी, नाजिश मुस्तफा, डा.आसिम अमरोहवी, मेहरबान अमरोहवी व फैज आलम व कासिम अमरोहवी ने भी अपना कलाम पेश किया। इस दौरान शाह फजल, अहमद गुलरेज, मोहम्मद असलम, इमदाद खान लोधी, गुलरेज आरिफ, मोहम्मद मुज्तबा, फहद अब्बासी आदि मौजूद रहे।
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