अर्द्धवार्षिक परीक्षा से नदारद रहे तो नहीं दे पाएंगे बोर्ड के एग्जाम
यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों को अर्द्धवार्षिक परीक्षा से नदारद रहना इस बार भारी पड़ जाएगा। जो परीक्षार्थी अर्द्धवार्षिक परीक्षा में भाग लेंगे, वे ही बोर्ड एग्जाम में बैठ पाएंगे। अन्यथा बोर्ड एग्जाम से...
यूपी बोर्ड परीक्षार्थियों को अर्द्धवार्षिक परीक्षा से नदारद रहना इस बार भारी पड़ जाएगा। जो परीक्षार्थी अर्द्धवार्षिक परीक्षा में भाग लेंगे, वे ही बोर्ड एग्जाम में बैठ पाएंगे। अन्यथा बोर्ड एग्जाम से बाहर रहेंगे।
यूपी बोर्ड परीक्षा में रिजल्ट सुधार को लेकर कड़े कदम उठाए गए हैं। अर्द्धवार्षिक परीक्षा को गंभीरता से ने लेने वाले छात्रों पर शिकंजा कस गया है। यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में रिजल्ट सुधार की कवायद शुरू हो गई है। इसके अंतर्गत बोर्ड परीक्षार्थियों को अर्द्धवार्षिक परीक्षा में भाग लेना अनिवार्य कर दिया गया है। परीक्षा में शतप्रतिशत उपस्थिति पर जोर दिया गया है। क्योंकि इस परीक्षा से बोर्ड परीक्षा की तैयारी के स्तर का पता चलता है। हम कहां पर पढ़ाई में कमजोर हैं।
परीक्षा के मार्क्स से अपनी तैयारी का आंकलन कर और सुधार कर सकते हैं। इससे बोर्ड परीक्षा में सफलता मिलेगी। जो परीक्षार्थी अर्द्धवार्षिक परीक्षा को हलके में लेते हैं और परीक्षा नहीं देते हैं, अक्सर उन छात्र-छात्राओं को बोर्ड एग्जाम में असफलता का सामना करना पड़ता है। इसी लिए बोर्ड परीक्षार्थियों के लिए अर्द्ध वार्षिक परीक्षा में दिलाने पर जोर दिया जा रहा है। इस बार कड़े कदम उठाए गए हैं, जो बोर्ड परीक्षार्थी अर्द्धवार्षिक परीक्षा से नदारद रहेंगे, वह बोर्ड परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे। कड़ाई से इस आदेश पर अमल कराने को माध्यमिक शिक्षा विभाग ने कमर कस ली है।
डीआईओएस रामाज्ञा कुमार ने बताया कि एक अक्टूबर से अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। बोर्ड परीक्षार्थियों की परीक्षा में बहाने बाजा नहीं चलेगी। जो परीक्षार्थी एग्जाम नहीं देंगे, उन्हें बोर्ड एग्जाम में नहीं बैठने दिया जाएगा। अर्द्धवार्षिक परीक्षा में कितने बोर्ड परीक्षार्थी शामिल हुए, और कितने नहीं हुए, इस संबंध में सभी कालेजों से रिपोर्ट मांगी गई है। कड़ाई से आदेश पर अमल कराया जाएगा।
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