मिसाल : बारात में सिर्फ दस लोग, सादगी से निकाह कर बिना दहेज ले आए दुल्हन
Amroha News - अमरोहा, संवाददाता। दहेज की आग में झुलसकर रिश्ते दरक रहे हैं। रोजाना थानों में दर्ज होने वाले दहेज प्रताड़ना के मुकदमों से जुड़े आंकड़े खुद इसकी गवाही

दहेज की आग में झुलसकर रिश्ते दरक रहे हैं। रोजाना थानों में दर्ज होने वाले दहेज प्रताड़ना के मुकदमों से जुड़े आंकड़े खुद इसकी गवाही दे रहे हैं। लालच के चलते समाज का ताना-बाना बिगड़ रहा है। शादियों में फिजूल की रस्मों संग दिन-ब-दिन बिगड़ते इस माहौल में अगर कोई बिना दहेज के शादी करने की बात करे तो एक बारगी सुनने में अटपटा जरूर लगेगा लेकिन जोया में बिना दहेज बेहद सादगी से हुई एक ऐसी ही शादी बड़ी मिसाल बनकर सामने आई है। जिसका जिक्र फिलवक्त हर जुबान पर है। यहां पर रहने वाले एक कारोबारी ने परिजनों और रिश्तेदारों के अरमानों पर पानी फेरकर अपने बेटे की शादी बड़ी सादगी के साथ की, बारात में सिर्फ दस लोगों को लेकर कांठ पहुंचे और वहां एक मस्जिद में निकाह कराने के बाद बिना किसी सामान दुल्हन को विदा कराकर अपने साथ घर ले आए।
चर्चाओं में बना मामला जोया कस्बे के मोहल्ला इकबाल नगर से जुड़ा है। यहां पर कारोबारी अब्दुल हमीद का परिवार रहता है। उन्होंने अपने बेटे मोहम्मद जुनैद का रिश्ता मुरादाबाद जिले में कांठ के रहने वाले बिरादरी के मुस्तकीम अहमद की बेटी इरम के साथ तय किया था। बताया जा रहा है कि दोनों परिवारों में पुराने ताल्लुकात भी हैं, जिन्हें करीबी रिश्तेदारी में बदलने के मकसद से ही इस रिश्ते को किया गया। रिश्ता तय होने के बाद से परिजन और रिश्तेदार काफी खुश थे। शादी को लेकर दोनों तरफ तैयारियां जोर-शोर से की जा रही थीं। कोई बारात में जाने का अरमान दिल में पाले हुए था तो कोई शादी-ब्याह के मौके पर होने वाले दूसरे दावती कार्यक्रमों में शामिल होने को कपड़े-जूतों की खरीदारी में लगा था। लेकिन इसी दरमियान में अब्दुल हमीद के एक ऐलान ने कुनबे में जारी इन सभी तैयारियों पर एकाएक ही रोक लगा दी। उन्होंने परिजनों और रिश्तेदारों से साफ कह दिया कि शरीअत के मुताबिक शादी बेहद सादगी भरे तरीके से की जाएगी। बारात में भी सिर्फ चंद लोग ही जाएंगे और दुल्हन पक्ष से किसी तरह का कोई दान-दहेज भी नहीं लिया जाएगा। इतना ही नहीं शादी में फिजूल की रस्में नहीं होंगी। बताया जा रहा है कि अब्दुल हमीद ने अपनी इसी बात पर अमल किया और शादी की तय तारीख पर महज दस लोगों के साथ बेटे को शेरवानी पहनाकर दूल्हा बनाने के बाद चुपचाप कांठ ले गए। वहां एक मस्जिद में काजी को बुलाकर सादगी से निकाह करा दिया और बतौर मेहर दस हजार रुपये की अदायगी कराकर खामोशी से दुल्हन को विदा कराकर अपने घर ले आए। शादी को आसान बनाकर समाज को मजबूत पैगाम देने वाले कारोबारी अब्दुल हमीद का कहना है कि रिश्ते सिर्फ प्यार के भूखे होते हैं। शादियों में दहेज का चलन खत्म होना अब बेहद जरूरी हो चुका है, जो बाप अपनी बेटी दे रहा है वो अपना सबकुछ दे रहा है। निकाह में डा.अथर, अनीस सैफी, इरशाद सैफी, नाजिम सैफी, इरफान सैफी, नसीम, वसीम, असीम पाशा, इस्लाम आदि शामिल हुए।
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