अब नहीं गूंज रही चाय गरम-गरम चाय की आवाज
स्टेशन है और रेल पटरी भी है। रेलवे स्टाफ भी है।
अम्बेडकरनगर। हिन्दुस्तान संवाद
स्टेशन है और रेल पटरी भी है। रेलवे स्टाफ भी है। फिर भी सन्नाटा है। कारण पटरी पर केवल मालगाड़ी दौड़ रही है। सवारी गाड़ी नहीं दौड़ आ जा रही है। इसके चलते अब ‘यू हैव ए अटेंशन प्जीज और ‘चाय गरम-गरम चाय की अनुगूंज भी नहीं हो रही है। वेंडरों के मुंह से निकलने वाली आवाज बंद है। ट्रेनों का न चलना वेंडरों पर भारी पड़ रहा है। वेंडरों की दैनिक आय बंद हो गई है। एक तरह से ट्रेनों के निरस्त रहने से बेरोजगारी तेजी से पनप रही है। प्रतिदिन 24 घंटे में 56 ट्रेनों के आने और जाने के गवाह वाले स्टेशन अकबरपुर में पंजीकृत 23 और अपरोक्ष तौर पर अंपजीकृत व्यवसाय करने वाले तीन दर्जन वेंडर और हाकर पहले से ही दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (मुगलसराय) और फैजाबाद जंक्शन के बीच चलने वाली पैसेंजर (लोकल) ट्रेन के महिनों से निरस्तचल रही, बीते नवम्बर माह से इंटरसिटी और जनता एक्सप्रेस निरस्त रहने से वेंडरों की आय आधी रह गई थी। अब सभी ट्रेनें ठप हैं। इससे वेंडरों, हाकरों के साथ कृषि आधारित उद्योग और दुग्ध उद्योग से जुड़े छोटे काश्तकारों की आय बंद हो गई। इससें बेरोजगारी तो बढ़ ही रही है, वेंडरों का परिवार भुखमरी के कगार पर हैं।चिंतित हैं दैनिक मजदूर, पटरी दुकानदार: पहले बंदिश और बंदी और अब लॉक डाउन होने से समाज का एक तबका चिन्तित है। वह तबका दैनिक मजदूरी से, ठेला खोमचा लगाने से होने वाली दैनिक आय से और पटरी पर दुकान लगाने से होने वाली कमाई से परिवार का पेट भरने वाला है। इनका परिवार भुखमरी के कगार पर है।
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