130 वर्ष पुराना है बुनकर नगरी टांडा की रामलीला का इतिहास
अम्बेडकरनगर के टांडा में 130 साल पुराना रामलीला रंगमंच आज भी अपनी पहचान बनाए हुए है। 1894 से चल रही इस परंपरा में कई लोग श्रद्धा से शामिल होते हैं। वर्तमान में बजरंगी लाल सोनी इसके निर्देशक हैं, जो नए...
अम्बेडकरनगर, संवाददाता। बुनकर नगरी टांडा के चौक में स्थित पुराने रामलीला रंगमंच का इतिहास 130 साल पुराना है। कई उतार चढ़ाव देख चुकी रामलीला समिति आधुनिकता के इस दौर में भी श्रद्धा के साथ उमंग व दृढ़ता के चलते अभी भी अपनी पहचान बनाए हुए है। रामलीला देखने के लिए अभी भी दूर गांवों से आते हैं। पतित पावन सरयू नदी के किनारे स्थित टांडा नगर में रामलीला के मंचन की शुरुआत सन 1894 से हुई थी। समिति के प्रथम अध्यक्ष बलभद्र प्रसाद थे। उनके नेतृत्व में राम रघुवीर, वकील बाबू, रघुरन लाल खन्ना ने सामूहिक प्रयास करके टांडा चौक में रामलीला के मंचन शुरू किया था। उनके बाद रामलीला के अध्यक्ष पद का दायित्व बाबू बनारसी दास अग्रवाल, और हरि किशोर चौरसिया संभालते रहे। 1984 में ध्रुव अग्रवाल रामलीला रंगमंच के अध्यक्ष बनें। 1983 से निर्देशक का कार्य बजरंगी लाल सोनी संभाल रहे हैं। उनके रामलीला मंचन के प्रति लगन और समर्पण का नतीजा है कि आज भी वे पूरी जिम्मेदारी से निर्देशक के कार्य को बखूबी कर रहे हैं। रिहर्सल में नये कलाकार को मंच पर बोलने की शैली का उन्हें पूरा ज्ञान हैं। जिस नाते नये कलाकार उनके सानिध्य में जल्दी ही अभिनय मे पारंगत हो जाते हैं। वर्तमान समय में पुराने रामलीला के अध्यक्ष पद का दायित्व पंडित राकेश कुमार मिश्र, महामंत्री का अनिरुद्ध कुमार अग्रवाल व निर्देशक का बजरंगी लाल सोनी निभा रहे हैं। बजरंगी लाल सोनी बताते हैं कि बचपन से ही वह भगवान की भक्ति करते आये हैं। उसी प्रेरणा से पिछले 40 वर्षों से वे रंगमंच से जुड़कर भगवान की सेवा करते आ रहे हैं। बताया कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की लीला का मंचन करने से सांस्कृतिक और राष्ट्रवाद की विरासत मजबूत होती है। यह अत्यंत सुखद है कि टांडा में इस परम्परा का निर्वाह अत्यन्त बेहतर ढंग से होता चला आ रहा है और उम्मीद है कि आगे भी होता रहेगा।
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