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बोले अम्बेडकरनगर- नियम दर किनार, धड़ल्ले से जारी नशे का कारोबार

Ambedkar-nagar News - नशे का कारोबार युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है। शराब की दुकानों के आसपास सुरक्षा की कमी के कारण महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नशे में धुत लोग...

Newswrap हिन्दुस्तान, अंबेडकर नगरSat, 22 Feb 2025 09:58 PM
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बोले अम्बेडकरनगर- नियम दर किनार, धड़ल्ले से जारी नशे का कारोबार

नशे का कारोबार बीते कुछ वर्षों से तेजी से बढ़ रहा है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लगभग दो सौ करोड़ लीटर शराब प्रति वर्ष लोग गटक रहे हैं। नशे की लत सबसे अधिक युवाओं में लग रही है। नशे में धुत होकर लड़खड़ाते कदमों से युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। नशे का अवैध कारोबार भी तेजी से पनप रहा है। इन सबके बीच यदि किसी को सबसे अधिक समस्या हो रही हैं, तो वह हैं महिलाएं। सार्वजनिक स्थानों, स्कूल, कॉलेजों व धार्मिक स्थलों के आसपास स्थित शराब की दुकानों पर अक्सर नशे में धुत होकर लोग हंगामा करते रहते हैं, लेकिन इसके बाद भी सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार गंभीरता नहीं दिखा रहे। इससे अक्सर महिलाओं को कई प्रकार की दिक्कत का सामना करना पड़ता है। शिकयतें तो समय समय पर होती रहती हैं, लेकिन जिम्मेदार तनिक भी गंभीर नहीं हो रहे हैं।

शराब के कारोबार से सरकार को सबसे अधिक राजस्व मिलता है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले की तीन सौ से अधिक शराब, बीयर की दुकानों से दो सौ करोड़ लीटर से अधिक शराब लोग एक वर्ष में गटक जाते हैं। इससे चार सौ करोड़ रुपये का राजस्व सरकारी खजाने में पहुंचता है। इसके अलावा जिले में जगह जगह अवैध नशीले पदार्थों की भी बिक्री धड़ल्ले से होती है। इन सबके बाद भी संबंधित दुकानों के आसपास सुरक्षा के बेहतर प्रबंध नहीं हैं। इससे सबसे अधिक मुश्किल महिलाओं को होती है।

जिले में देशी शराब की 172, अंग्रेजी शराब की 44, 48 बीयर की दुकान के अलावा चार मॉडल शॉप, 33 भांग की दुकानें हैं। प्रतिवर्ष चार सौ करोड़ रुपये की शराब आयात की जाती है। इसके अलावा प्रतिवर्ष एक करोड़ आठ लाख लीटर देशी शराब, 17 लाख बोतल विदेशी, 40 लाख केन बीयर की खपत होती है। 16 कुंतल भांग की खपत होती है। चार सौ करोड़ रुपये प्रतिवर्ष सरकारी खजाने में जाता है। राजस्व की इतनी बड़ी रकम मिलने के बाद भी संबंधित दुकानों व उसके ईदगिर्द सुरक्षा के बेहतर प्रबंध नहीं हैं। जिले में कहीं भी दुकान व आसपास के क्षेत्र में पुलिस कर्मियों की ड्यूटी नहीं लगती है। दुकानों के बाहर व आसपास के क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हैं। नतीजा यह है कि आए दिन नशा कर लोग दुकान के बाहर हंगामा करते रहते हैं। इससे सबसे अधिक मुश्किल महिलाओं को होती है। उनके साथ कभी कभी तो छेड़छाड़ की घटनाएं भी होती हैं। शिकायत होती है, लेकिन कोई ठोस कदम जिम्मेदार नहीं उठा रहे हैं। सामाजिक संस्था जनशिक्षण केंद्र कुटियवा की सचिव पुष्पा पाल कहती हैं कि शराब की दुकानों के आसपास सुरक्षा के बेहतर प्रबंध किए जाने चाहिए। सार्वजनिक स्थानों, स्कूल व कॉलेज के साथ ही धार्मिक स्थलों के आसपास से ऐसी दुकानों को दूर किया जाना चाहिए। संस्था कई बार महिला सुरक्षा को लेकर आवाज बुलंद करती चली आ रही है, लेकिन जिम्मेदार प्रत्येक बार सिर्फ आश्वासन ही देते हैं।

धरना प्रदर्शन के बाद भी स्थिति जस की तस : अम्बेडकरनगर। शराब की दुकानों को सार्वजनिक स्थानों, स्कूल व कॉलेजों, धार्मिक स्थलों व आबादी से दूर किए जाने की मांग को लेकर महिलाएं जगह जगह धरना प्रदर्शन करती रहती हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार इसे लेकर गंभीर नहीं हो रहे हैं। इससे सबसे अधिक समस्या युवतियों, महिलाओं व छात्राओं को हाती है। जिले में तीन दर्जन से अधिक गांव ऐसे हैं, जिनके संपर्क मार्ग के निकट ही शराब के ठेके हैं। इसके अलावा स्कूल, कॉलेज व धार्मिक स्थल के आसपास भी शराब, बीयर, भांग, गांजा समेत अन्य नशीले पदार्थ की बिक्री धड़ल्ले से की जाती है। संबंधित दुकानों पर लगभग प्रत्येक समय नशा करने वालों की भीड़ लगी रहती है। कभी कभी तो नशा करने के बाद हंगामा भी करते हैं। सामाजिक संस्था जनविकास केंद्र भितरीडीह की सचिव गायत्री कहती हैं कि संबंधित क्षेत्र से ऐसी दुकानों को हटाने के लिए जिम्मेदारों को गंभीरता दिखानी चाहिए। महिला सुरक्षा की बातें तो बढ़ चढ़कर की जाती हैं, लेकिन उसे हकीकत देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। महिलाओं के हित को देखते हुए जिम्मेदार लोगों को गंभीरता दिखानी चाहिए।

प्रस्तुति : सर्वजीत त्रिपाठी

स्कूल-कॉलेजों में भी पनप रहा नशे का कारोबार

नशे की लत का तेजी से युवाओं में बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण स्कूल व कॉलेजों में नशे का तेजी से बढ़ता कारोबार है। नशे का कारोबार करने वाले युवा व युवतियां छात्र-छात्राओं से पहले दोस्ती करते हैं। इसके बाद उन्हें नशे में डुबो देते हैं। इसके बाद उन्हीं के माध्यम से स्कूल व कॉलेज के अंदर नशीले पदार्थों की बिक्री करवाते हैं। जिले के टांडा, आलापुर व जलालपुर तहसील क्षेत्र में बीते कुछ वर्षों से युवाओं में नशे की लत बढ़ी है। दूसरे जनपद से भी लोग स्कूल व कॉलेजों के ईदगिर्द टहलते रहते हैं। वे छात्र-छात्राओं को अपना शिकार बनाते हैं। पहले उन्हें नशे की आदत डालते हैं। इसके बाद उनके माध्यम से स्कूल व कॉलेजों में नशीले पदार्थों की बिक्री कराते हैं।

शिक्षाविद् डॉ अजय कुमार श्रीवास्तव व डॉ नलिनी कहते हैं कि जिस प्रकार से स्कूल व कॉलेजों नशीले पदार्थों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है, वह आने वाले समय में बड़ी समस्या बन सकती है। नशे के बढ़ते इस प्रकार के कारोबार से युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो गया है। जिम्मेदारों को चाहिए कि वे विशेष चौकसी बरतें। स्कूल व कॉलेजों में नशे के बढ़ते कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाएं।

नशे के बढ़ते कारोबार के बीच लड़खड़ा रहे युवाओं के कदम

अम्बेडकरनगर। निर्देश है कि स्कूल, कॉलेजों व धार्मिक स्थलों के आसपास कहीं भी शराब, बीयर, के साथ ही किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों की बिक्री नहीं होनी चाहिए, लेकिन जिले में इसका पालन होता नजर नहीं आ रहा। जिले में चार दर्शन से अधिक ऐसे स्थान हैं, जहां नियमों को ताक पर रखकर ऐसी दुकानों का संचालन हो रहा है। स्कूल, कॉलेजों व धार्मिक स्थलों के ईदगिर्द से शराब, बीयर, गांजा, भांग, ताड़ी समेत अन्य मादक पदार्थों की दुकानों को हटाए जाने की मांग समय समय पर संबंधित क्षेत्र के लोग उठाते रहते हैं।

यह अलग बात है कि ऐसी दुकानों पर कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। कभी कभी तो धरना प्रदर्शन भी होता है, लेकिन इसके बाद भी कोई सुध जिम्मेदारों को नहीं है। नतीजा यह रहता है कि संबंधित दुकानों के सामने से गुजरने के दौरान छात्र-छात्राओं व श्रद्धालुओं को कई प्रकार की दिक्कत का सामना करना पड़ता है। अकबरपुर की सुषमा व नीतू कहती हैं कि कई बार ऐसी दुकानों के सामने से गुजरने के दौरान युवतियों व महिलाओं को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। जिम्मेदारों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। ऐसी दुकानों को अन्यत्र ले जाने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।

बोले जिम्मेदार

प्रमुख क्षेत्रों में स्थित शराब की दुकानों का समय समय पर निरीक्षण किया जाता है। संबंधित दुकानदारों को भी निर्देशित दिया जाता है कि दुकान के बाहर किसी भी प्रकार का हंगामा नहीं होना चाहिए। यदि कहीं से किसी भी प्रकार की शिकायत सामने आती है, तो उसे प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाता है। नशे की हालत में हंगामा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है।

-विशाल पांडेय, एएसपी अम्बेडकरनगर

सुझाव

1. मंदिर व स्कूल कॉलेजों के आसपास से शराब के अलावा भांग व गांजे की दुकान हटाई जानी चाहिए।

2. आबादी वाले क्षेत्र से ऐसी दुकानों को खोलने की अनुमति प्रदान नहीं की जानी चाहिए।

3. ऐसी दुकानों के सामने बेहतर सुरक्षा इंतेजाम किए जाने चाहिए। एक पुलिसकर्मी की तैनाती होनी चाहिए।

4. ग्रामीण क्षेत्रों में भी गांव के बाहर शराब की दुकान होनी चाहिए। आसपास सीसीटीवी कैमरे होना चाहिए।

5. महिलाओं व छात्र-छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यदि कहीं किसी भी प्रकार की गड़बड़ी सामने आए, तो उससे सख्ती से निपटना चाहिए।

और शिकायतें

1. जिले में कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां आबादी वाले क्षेत्र में शराब की दुकान है। इससे दिक्कत होती है।

2. मंदिर व स्कूल व कॉलेज के आसपास शराब, बीयर की दुकान हैं। इस पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए।

3. ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी के निकट शराब के ठेके होने से ग्रामीणों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

4. शराब की दुकानों के साथ ही अन्य दुकानों के सामने व आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है।

5. जिले के माझा क्षेत्र में अक्सर नकली शराब तैयार बनती रहती है। इसके पीने से अक्सर लोग बीमार होते रहते हैं।

मुझे कुछ कहना है

शराब समेत अन्य मादक पदार्थों की बिक्री पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जाना चाहिए। अर्जुन

अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए जिम्मेदार लोगों को गंभीरता दिखानी चाहिए। जगत नारायण

मादक पदार्थ की दुकानों के बाहर व आसपास के सीसीटीवी कैमरा लगाया जाना चाहिए। पतिराजी

मादक पदार्थ की दुकानों के सामने व ईदगिर्द के क्षेत्र में सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था नहीं है। कौशल्या

दो दर्जन गांवों के संपर्क मार्ग के निकट ही शराब का ठेका है। यहां शराब पीने का जमावड़ा रहता है। प्रमिला

कई मंदिरों व अन्य धार्मिक स्थलों के निकट शराब की दुकानें हैं। शाम के समय नशेड़ी एकत्र होकर हंगामा भी करते हैं। यशोदा

कई कॉलेजों के आसपास शराब की दुकानें हैं जहां नशेड़ियों का जमावड़ा बना रहता है। मंती देवी

युवाओं में नशे की लत बढ़ रही है। युवाओं का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। बच्चों को इससे बचाने की जरूरत है। लाली देव

नशा उन्मूलन के लिए अभियान तो महज औपचारिकता तक ही सीमित रहता है। संगीता

टांडा में नशे का कारोबार तेजी से फैल रहा है। जिम्मेदार इस पर र गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। सोनू कुमार

चाय, पान व चाट की दुकानों पर भांग व गांजे की बिक्री अवैध तरीके से धड़ल्ले से बिक्री की जाती है। आफताब

कई क्षेत्रों में अवैध तरीके से शराब, बीयर, भांग व गांजे की बिक्री होती है। इससे राजस्व की भी बड़ी चपत लग रही है। सुभाष

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