ऐसा रेल खंड जिस पर नहीं चलती यात्री ट्रेन
अम्बेडकरनगर। रेल पटरी है। रेलवे स्टेशन है। रेलवे का स्टाफ भी नियुक्त है। तब भी यात्री ट्रेन नहीं है। देश का शायद ये ऐसा रेल खंड है जिस पर यात्री ट्रेन सालों से नहीं चलती है। यात्री ट्रेन उस रेल खंड...
अम्बेडकरनगर। रेल पटरी है। रेलवे स्टेशन है। रेलवे का स्टाफ भी नियुक्त है। तब भी यात्री ट्रेन नहीं है। देश का शायद ये ऐसा रेल खंड है जिस पर यात्री ट्रेन सालों से नहीं चलती है। यात्री ट्रेन उस रेल खंड पर नहीं चलती है जो जिला मुख्यालय नगर अकबरपुर और बुनकरों की नगरी टांडा के बीच बिछी है। टांडा के उत्पादित वस्त्र को पूरे देश में पहुंचाने की मंशा से अंग्रेजी शासनकाल में रेल लाइन बिछाई गई थी। 17 किमी के अकबरपुर-टांडा रेलखंड पर यात्री ट्रेनों का संचालन और पार्सल सेवा संचालित होती थी। यहां से भिवंडी और सूरत तक के लिए टांडा में निर्मित कपड़े भेजे जाते थे। जिस रेल लाइन को ब्रिटिश हुकूमत ने बिछवाया और ट्रेनों का संचालन किया गया था उस पर आजाद देश की चुनी सरकारों ने ट्रेनों का संचालन बन्द कर दिया है। पहले तीन में से एक फेरा और फिर दो फेरा बन्द किया गया। बाद में एटी पैसेंजर के नाम से चलने वाली दो बोगियों की ट्रेन के तीसरे फेरे को भी बंद कर दिया। करीब ढाई दशक से अकबरपुर-टांडा रेलखंड पर यात्री गाड़ी का संचालन नहीं हो रहा है।10 फरवरी 1993 से बन्द है एटी :अकबरपुर-टांडा (एटी पैसेंजर) ट्रेन 10 फरवरी 1993 से अनवरत बंद है। इसके पहले पैसेंजर ट्रेन का एक फेरा 1983 में और एक फेरा 70 के दशक में बंद हुआ था। टांडा रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक महेन्द्र कुमार मौर्य के अनुसार अभी तो यात्री गाड़ी नहीं चल रही है। कहा कि जहां तक अकबरपुर जंक्शन से टांडा सिटी के लिए पैसेंजर ट्रेनों की सेवा शुरू करने का मामला है ऐसा कुछ विचाराधीन होना संज्ञान में नहीं है।थर्मल तक रेल खंड का हुआ विस्तार :जिला मुख्यालय नगर अकबरपुर-टांडा रेल खंड के मध्य एक और रेलवे स्टेशन सूरापुर भी है। टांडा की तरह सूरापुर रेलवे स्टेशन केवल नाम का स्टेशन है। कारण इस रेल खंड पर केवल मालगाड़ियां ही चलती हैं। देश के प्रधानमंत्री रहते इंदिरा गांधी ने टांडा में एनटीपीसी की स्थापना की थी। इसके बाद रेल पटरी विद्युतनगर तक बिछ गई है। मौके पर रेल खंड पर थर्मल और सीमेंट फैक्ट्री के लिए प्रयोग होता है। रेल खंड का हो चुका है विद्युतीकरण :अकबरपुर-टांडा रेल खंड में सालों पहले यात्री ट्रेन का संचालन बंद कर दिया गया है मगर रेल खंड का समय समय पर विकास होता रहा है। अब तो पूरे रेल खंड का विद्युतीकरण तक हो चुका है। विद्युतीकरण को करीब दो साल पूरे हो चुके हैं। टांडा रेलवे स्टेशन पर भी कई विकास कार्य हाल के दिनों में हुए हैं। ट्रेन चलने से एक लाख आबादी होगी लाभान्वित :तत्समय अकबरपुर-टांडा (एटी पैसेंजर) से रविवार से शुक्रवार तक तकरीबन 300 लोग और केवल शनिवार को एक दिन हजार की संख्या लोग में यात्रा करते थे। कारण शनिवार को टांडा में कपड़ा मंडी लगती है। महानगरों से व्यापारी आते थे। तब टांडा की आबादी करीब 50 हजार और अकबरपुर की आबादी लगभग 30 हजार थी। अब अकबरपुर की आबादी 1.62 लाख और टांडा की आबादी करीब एक लाख है। एटी के चलने से करीब एक लाख से अधिक की आबादी लाभान्वित होगी।ऐसा रेल खंड जिस पर नहीं चलती यात्री ट्रेन :करीब दो दशक से बंद एटी की आवाज न तो तत्कालीन सांसदों ने और न जिला बनने के बाद के सांसदों ने ही उठाई। राम पियारे सुमन एवं राम अवध (दोनों दिवंगत) ने और घनश्याम चन्द्र खरवार, मायावती, त्रिभुवन दत्त, राकेश पांडेय और हरिओम पांडेय ने ही कभी एटी का संचालन बंद होने का मामला संसद में उठाया है। हालांकि वर्तमान संसद रितेश पांडेय ने आगामी सत्र में मामला उठाने का संकेत दिया है। बुनकर नगरी टांडा के लोगों को सांसद रितेश पांडेय से काफी उम्मीद है।
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