बाढ़ के पानी में डूब कर सैकड़ों एकड़ धान की फसल नष्ट
जहांगीरगंज में बाढ़ से सैकड़ों किसानों की धान की फसलें बर्बाद हो गई हैं। घाघरा नदी के तटीय गांवों में फसलें पानी में डूब गई हैं, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों और समाजसेवियों ने सरकार से...
जहांगीरगंज, संवाददाता। जिले के देवारांचल के साथ ही घाघरा नदी के तटीय गावों के सैकड़ों किसानों की खून पसीने से तैयार फसल बाढ़ की भेंट चढ़ गई गई है। बाढ़ के पानी के साथ आई नदी की गाद ने सैंकड़ों एकड़ धान की फसल को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। धान की फसल के नष्ट होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिख रही हैं। किसानों एवं समाजसेवियों ने सरकार से धान की फसल नष्ट होने पर अहेतुक मदद दिए जाने की मांग की है। बाढ़ के बाद बीते दिनों लगातार दो दिन हुई बारिश ने किसानों पर कहर बरपा दिया है। देवारांचल के मांझा कम्हरिया अराजी देवारा गांव के साथ ही घाघरा नदी के तटीय गावों इटौरा ढोलीपुर, सराय हंकार, गोपापुर, कमालपुर पिकार, इंदौरपुर घिनहापुर समेत अन्य गावों के किसानों की सैंकड़ों एकड़ धान की फसलें लगभग बीस दिनों से बाढ़ के पानी में लबालब डूबी हुई हैं। रेड़ा ले चुकी धान की फसलें गलने के साथ ही सड़ने लगी हैं। बताया जाता है कि बाढ़ के पानी के साथ आई गाद ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। गाद के कारण धान के पौधे सड़ गये हैं। किसानों ने बताया कि बाढ़ के पानी से बर्बाद हो रही धान की फसल के लिए लगातार हुई बारिश ने और भी कहर बरपा दिया है। नदी के किनारे रहने वाले अधिकांश लोगों का जीविकोपार्जन का एक मात्र साधन खेती ही है। फसलें बर्बाद होने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें दिखनी शुरू हो गई हैं। किसान तालुकदार सिंह की लगभग चार बीघा, राघवेन्द्र सिंह की तीन बीघा, परमात्मा सिंह की चार बीघा, मधुवन सिंह की चार बीघा, रामरतन यादव की एक बीघा, रामसुमेर यादव एक बीघा, दयाराम निषाद की दस बिस्वा समेत कई सैकड़ों किसानों की फसल सड़ने लगी है। तालुकदार सिंह, मधुवन सिंह, राघवेन्द्र सिंह, परमात्मा सिंह, आलोक सिंह, रामरतन यादव, अजीत सिंह, कृपाशंकर सिंह, लालचन्द्र यादव, दयाराम निषाद, संगमलाल श्रीवास्तव, ह्रदय नारायण त्रिपाठी का कहना है कि धान की फसलें अभी भी बाढ़ के पानी में डूबी हुई हैं। पौधे लगातार पानी में डूबे रहने से अधिकांश गलकर सड़ रहे हैं। जो बचे भी हैं वह भी सूख रहे हैं।
सरकार से मदद की गुहार:बाढ़ के पानी में धान की फसल के बर्बाद हो जाने के बाद किसानों और समाजसेवियों ने किसानों को अहेतुक मदद दिए जाने की मांग की है। इटौरा ढोलीपुर के समाजसेवी भावेश सिंह गंगे एवं नौजवान भारत सभा के मित्रसेन ने किसानों को क्षतिपूर्ति दिये जाने की मांग की है। दोनों युवा समाजसेवियों का कहना है कि किसानों के समक्ष फसल नुकसान होने से गम्भीर संकट है। बच्चों की पढ़ाई परिवार का भरण पोषण इलाज आदि खेती पर ही निर्भर है। अब जब फसलें डूबकर बर्बाद हो गई हैं तो उनके समक्ष भुखमरी की नौबत आ सकती है। सरकार बाढ़ से जिन किसानों की फसलें नष्ट हुई हैं उन्हें अहेतुक सहायता उपलब्ध कराए।
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