वैज्ञानिक तकनीक से भिंडी की खेती कर पाएं अच्छा उत्पादन: डा. रामजीत
Ambedkar-nagar News - खेती किसानी प्रजाति चयन के साथ कीटनाशक दवाओं का छिड़काव आवश्क अम्बेडकरनगर, संवाददाता। गर्मी के

खेती किसानी प्रजाति चयन के साथ कीटनाशक दवाओं का छिड़काव आवश्क
अम्बेडकरनगर, संवाददाता। गर्मी के मौसम में यदि भिंडी की फसल पर समुचित देखभाल नहीं किया गया तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है। भोजन में भिंडी का उपयोग सब्जी, दाल, सूप एवं फ्राई समेत अन्य प्रकार से लिया जाता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र पांती के वैज्ञानिक डा. रामजीत ने बताया कि अच्छी प्रजाति की भिंडी में पूसा सावनी, परमनी क्रान्ति, वर्षा उपहार, पूषा-ए-फोर एवं आजाद क्रान्ति प्रमुख रूप से है। खेतों का चयन करते समय सड़ी गोबर की खाद चार टन 10 विस्वा खेत में करना चाहिए जब कि रासायनिक खादों में नत्रजन 10 किलोग्राम, पोटाश एवं फासफोरस पांच-पांच किलोग्राम पर्याप्त होता है। भिंडी में फल छेदक, लालवग कीट व पीला मुजैक बीमारी का फसल में प्रकोप हो सकता है। फल वेधक कीट पहले कोमल टहनियों और बाद में फल में छेद कर देते हैं जिसके कारण टहनियां मुरझाकर सूख जाती हैं। कीटों से ग्रसित फलियां टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं जिसके रोकथाम के लिए नीम बीज चूर्ण तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर 10 दिनों के अंतराल पर पांच बार छिड़काव अथवा मैलाथियान 50 ईसी दो मिलीटर को प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव भी फायदेमंद होता है। भिंडी के लालवग कीट के शिशु एवं प्रौढ़ कीट दोनों पत्तियो का रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं जिससे पत्तियां सूख जाती हैं और उत्पादन प्रभावित होता है। पौध का तना एवं जड़ तो गुड़ तथा खांड़ बनाते समय रस को साफ करने के लिए किया जाता है जब कि रेसे का रस्सी और डंठलों का कागज बनाने में प्रयोग किया जा सकता है।
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